अनुच्छेद 370 हटाने को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई, केंद्र ने किया बचाव
Article 370: सोमवार को दायर एक नए हलफनामे में, केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के अपने फैसले का बचाव किया और कहा कि इससे क्षेत्र में "अभूतपूर्व स्थिरता और प्रगति" आई है। केंद्र ने तर्क देते हुए कहा है कि पथराव की घटनाएं जो 2018 में 1,767 थीं वह अब पूरी तरह से बंद हो गई है। आइए जानते हैं पूरा खबर बिस्तार से...;
Article 370: अनुच्छेद 370 निरस्त करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई होगी। भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ मामले की सुनवाई करेंगी। हालांकि केंद्र सरकार ने सोमवार को इसके बचाव में एक हलफनामा दिया है।
नए हलफनामे में, केंद्र ने 2019 में जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के अपने फैसले का बचाव किया है। केंद्र ने तर्क दिया है कि पथराव की घटनाएं जो 2018 में 1,767 तक पहुंच गईं थीं। अब यह पूरी तरह से बंद हो गए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 20 पेज के हलफनामे में केंद्र ने क्षेत्र में शांति और विकास को बढ़ावा देने के लिए उठाए गए विभिन्न कदमों का जिक्र करते हुए कहा है कि इस ऐतिहासिक कदम से क्षेत्र में स्थिरता, शांति, विकास और सुरक्षा आई है। साथ ही हलफनामे में आगे बताया गया है कि दृढ़ आतंकवाद विरोधी कार्रवाइयों से आतंकवादी पारिस्थितिकी तंत्र को नष्ट कर दिया गया है, जिसके परिणामस्वरूप आतंकवादी भर्ती में 2018 में 199 से महत्वपूर्ण गिरावट आई है और 2023 में यह 12 हो गई है।
बढ़ रही पर्यटकों की संख्या
केंद्र सरकार ने पर्यटकों की बढ़ती संख्या का हवाला देते हुए कहा कि, "फैसले के बाद घाटी में पर्यटकों की संख्या में भारी वृद्धि देखने को मिली है। दिसंबर 2022 तक यहां 1.88 करोड़ पर्यटक आए हैं। वहां यहां जी20 की बैठक भी हुई थी।
कोर्ट में दायर हुई है कई याचिकाएं
2019 में जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम लागू हुआ, जिसने राज्य को जम्मू और कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया। अदालत को इस मामले पर कई याचिकाएं प्राप्त हुई हैं, जिनमें याचिकाकर्ताओं में कई वकील, कार्यकर्ता, राजनेता और सेवानिवृत्त सिविल सेवक शामिल हैं। याचिकाकर्ताओं में वकील एमएल शर्मा, जम्मू-कश्मीर स्थित वकील शाकिर शब्बीर, नेशनल कॉन्फ्रेंस के लोकसभा सांसद मोहम्मद अकबर लोन और न्यायमूर्ति सेवानिवृत्त हसनैन मसूदी और शेहला रशीद शामिल हैं। अन्य याचिकाकर्ताओं में जम्मू-कश्मीर के लिए गृह मंत्रालय के वार्ताकारों के समूह के पूर्व सदस्य राधा कुमार, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्य सचिव हिंदल हैदर तैयबजी, सेवानिवृत्त एयर वाइस मार्शल कपिल काक, सेवानिवृत्त मेजर जनरल अशोक कुमार मेहता, पूर्व सचिव अमिताभ पांडे शामिल हैं।
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