जहांगीरपुरी हिंसा : MCD का बुलडोजर मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली HC ने कहा- आदेश में नहीं देंगे दखल
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने जहांगीरपुरी (Jahangirpuri) में उत्तरी दिल्ली नगर निगम (North Delhi Municipal Corporation) की बुलडोजर (Bulldozer) कार्रवाई पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने अतिक्रमण के खिलाफ निगम द्वारा चलाए जा रहे अभियान पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है।;
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने जहांगीरपुरी (Jahangirpuri) में उत्तरी दिल्ली नगर निगम (North Delhi Municipal Corporation) की बुलडोजर (Bulldozer) कार्रवाई पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने अतिक्रमण के खिलाफ निगम द्वारा चलाए जा रहे अभियान पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है। वही दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने जहांगीरपुरी बुलडोजर कार्रवाई विवाद में दखल देने से इनकार कर दिया है।
एसीजे विपिन सांघी (ACJ Vipin Sanghi) ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कुछ आदेश पारित किए हैं, इसलिए हम कोई आदेश पारित नहीं करेंगे। भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे द्वारा सुबह 11 बजे से ठीक पहले मामले का उल्लेख करने के बाद यथास्थिति के आदेश जारी किए। CJI ने कहा कि फिलहाल यथास्थिति बनाए रखें।
मामले की अगली सुनवाई गुरुवार को होगी। दुष्यंत दवे ( Dushyant Dave) ने तर्क दिया कि जहांगीरपुरी इलाके में जहां कथित तौर पर दंगे हुए थे, वहां घरों को गिराने का आदेश पूरी तरह से अनधिकृत और असंवैधानिक है। दवे ने अदालत को बताया कि संपत्तियों के मालिकों को कोई नोटिस जारी नहीं किया गया था। तोड़फोड़ दोपहर 2 बजे शुरू होनी थी, लेकिन उन्हें पता था कि हम अदालत जा रहे हैं, इसलिए यह कार्रवाई पहले ही शुरू कर दी गई।
सूत्रों के अनुसार याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने सुबह 11:30 बजे जहांगीरपुरी एसएचओ, नॉर्थ एमसीडी के मेयर और दिल्ली सरकार (Government of Delhi) के मुख्य सचिव को कानूनी नोटिस भेजकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की जानकारी दी थी। हालांकि दोपहर 12 बजे तक वकीलों ने कहा कि उन्हें अधिकारियों की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है और अदालत के आदेश के बावजूद अवैध निर्माण को हटाने का अभियान जारी है।
एमसीडी (NMCD) की तरफ से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा (Solicitor General Chetan Sharma) ने दलील दी कि जिन संपत्तियों को तोड़ा जा रहा है, वे अवैध हैं। इसके अलावा वहीं आलम के वकील ने तर्क दिया कि निवासियों को विध्वंस अभियान के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई और कानूनी प्रक्रिया का पालन भी नहीं किया गया। कई लोग दंगों के कारण दूसरे इलाकों में भाग गए हैं, कुछ जेल में हैं। ऐसे में बिना उन्हें बताए इस तरह का अभियान कैसे चलाया जा सकता है?