उपराज्यपाल ने आधी रात किया रैन बसेरों का औचक निरीक्षण, कमियों पर सीएम से करेंगे बात
कड़ाके की ठंड में बेघरों की वस्तु स्थिति जानने के लिए उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना शुक्रवार आधी रात खुद रैन बसेरों का औचक निरीक्षण किया। उपराज्यपाल कई अधिकारियों से देर रात अचानक से आईएसबीटी कश्मीरी गेट व हनुमान मंदिर के पास बने रैन बसेरों में निरीक्षण के लिए पहुंच गए।;
नई दिल्ली। कड़ाके की ठंड में बेघरों की वस्तु स्थिति जानने के लिए उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना शुक्रवार आधी रात खुद रैन बसेरों का औचक निरीक्षण किया। उपराज्यपाल कई अधिकारियों से देर रात अचानक से आईएसबीटी कश्मीरी गेट व हनुमान मंदिर के पास बने रैन बसेरों में निरीक्षण के लिए पहुंच गए। वहां मौके पर मौजूद बेघरों से उपराज्यपाल ने आश्रयों में और उसके आसपास रहने वालों के साथ विस्तार से बातचीत करते हुए प्रदान की जा रही सुविधाओं के बारे में पूछताछ की। इन रैन बसेरों में मिली स्वच्छता और शौचालयों की कमी पर उपराज्यपाल ने चिंता व्यक्त की, क्योंकि यहां लोगों को खुले में शौच करने के लिए मजबूर किया गया है।
उपराज्यपाल ने कहा कि रैन बसेरों की हालत को लेकर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से बात करेंगे। राजनिवास द्वारा दी गई जानकारी अनुसार उपराज्यपाल ने कहा कि दिल्ली के मास्टर प्लान 2041 में बेघरों के संबंध में पर्याप्त प्रावधान सुनिश्चित किया जाएगा। वर्तमान में आज भी अनेक बेघर खुले आसमान के नीचे सोने को मजबूर दिखे। राज निवास के अनुसार उपराज्यपाल को सूचित किया गया था कि लगभग 5000 बेघर लोग इस क्षेत्र में रहते हैं। लेकिन बनाए गए रैन बसेरों की कुल क्षमता महज 600 लोगों के लिए ही थी, जिससे साफ पता चलता है कि हजारों बेघर खुले आसमान के नीचे सोने को मजबूर है।
जो बेघर इन रैन बसेरों में पंजीकृत है सरकार केवल उन्हीं को भोजन देती है। जबकि शेष बेघर बाहरी निजी लोगों व संस्थाओं द्वारा दान के सहारे जीते है। वहीं उपराज्यपाल को बताया गया कि आश्रयों और सड़क के किनारे रहने वाले लोगों की चिंता का सबसे बड़ा कारण शौचालयों की भारी कमी थी, जिसने उन्हें यमुना किनारे खुली जगहों का उपयोग करने के लिए मजबूर किया हुआ है। उपराज्यपाल ने आश्रय स्थल के अंदर पर्याप्त रजाई, कंबल की व्यवस्था के साथ-साथ संतोषजनक साफ-सफाई की सराहना करते हुए आश्रयों और उसके आसपास के शौचालयों में पर्याप्त क्षमता की कमी पर गहरी चिंता व्यक्त की है।
उपराज्यपाल ने इस बात पर आघात व्यक्त किया कि हजारों लोग राष्ट्रीय राजधानी में खुले में शौच करने के लिए मजबूर थे, भले ही देश के दूरदराज के इलाके खुले में शौच मुक्त भारत के लक्ष्य को प्राप्त कर रहे थे। इसके अलावा उपराज्यपाल ने भारी संख्या में प्रवासी मजदूरों की समस्या को भी देख और उन्हें हल करने का भरोसा दिया।