बिजली बिल के नाम पर करोड़ों का Cyber Fraud करने वाले 65 जालसाज गिरफ्तार, ऐसे लगाते थे चूना
दिल्ली पुलिस ने बिजली बिल के नाम पर लोगों को करोड़ों रूपये का चूना लगा चुके साइबर अपराधियों के एक गैंग का पर्दाफाश किया है। देशभर के 22 से ज्यादा शहरों से 65 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।;
दिल्ली पुलिस की इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस (IFSO) टीम ने स्पेशल ऑपरेशन (Special Operation) चलाकार बिजली बिल (Electricity Bill) के नाम पर लोगों को चूना लगा रहे साइबर अपराधियों (Cyber Frauds) के एक गैंग (Gang) का भंडाफोड किया है। ये लोग अब तक देशभर में हजारों लोगों से करोड़ों रूपये की ठगी कर चुके थे। पुलिस ने 10 दिन तक स्पेशल ऑपरेशन चलाकर देशभर के 22 शहरों से 65 लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें 11 महिलायें भी शमिल हैं। पुलिस ने ये कदम केंद्र सरकार के नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (NCCRP) पर लगातर मिल मिल रही हजारों शिकायतों के बाद उठाया था। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के डाटा के अनुसार से दिल्ली-एनसीआर के 200 से ज्यादा लोग इनकी शिकायत (Complaint) कर चुके थे।
ऐसे लगाते थे लोगों को चूना
ये साइबर अपराधी बेहद शातिर तरीके से आम लोगों को चूना लगाते थे। सबसे पहले ये किसी भी रैंडम मोबाइल पर मेसैज भेजते थे। मेसैज में लिखा होता था कि आपकी बिजली का बिल कंपनी के सर्वर में नहीं चढ़ा है, इसलिए आज रात को आपका कनेक्शन काट दिया जायेगा। मेसैज में ये अपना एक नंबर भी छोड़ते और कोई परेशानी होने पर बात करने को कहते। कनेक्शन कटने की बात से परेशान होकर पीड़ित दिए गये नंबर पर फोन करते। फोन पर ये खुद को बिजली कंपनी का अधिकारी बताते हुए पीड़ित के बैंक खाते के जानकारी जुटा लेते या फिर उनके मोबाइल में कोई एप डाउनलोड कराकर, मोबाइल हैक कर लेते। बाद में पीड़ितों के खाते से पैसा उड़ा देते।
सारा काम बाकायदा स्टेप बाई स्टेप होता था
जालसाजों का गैंग बाकायदा पूरे व्यवस्थित तरीके से अपने काम को अंजाम देता था। सभी को अपने-अपने काम बांटे हुए थे। मोटे तौर पर चार स्तरों पर काम होता था-
- सिम कार्ड बेचने वाले- इनका काम फर्जी या धोखे से प्राप्त किये गये दस्तावेजों के आधार पर सिम कार्ड निकलवाना होता था। इन्ही सिम कार्ड्स से पीड़ितों को मेसैज और कॉल किये जाते थे।
- बैंक खाता धारक- ये वो लोग होते थे जो या तो फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बैंक खाता खुलवा लेते थे या कुछ पैसे देकर किसी गरीब आदमी के अकाउंट को अपने प्रयोग में लेते थे। इन्ही खातों में धोखाधड़ी की रकम मंगाई जाती थी।
- ई-मित्र केंद्र- कई बार बैंक खातों के भी जब्त होने का डर होता था, इसलिए ये जालसाज ई-मित्र केंद्र वालों की मदद से पैसे को खपाते थे। इन अपराधियों ने बहुत सारे क्रेडिट्स बनवा रखे थे और उनसे खूब खरीददारी करते थे। फ्रॉड करके कमाए गये पैसों से उन क्रेडिट कार्ड्स के बिल का भुगतान करते थे।
- टेलीकॉलर- ये लोग सैकड़ों नंबरों पर एक साथ बल्क में कनेक्शन कटने के मेसैज भेजते थे। जब भी कोई पीड़ित कॉल करता, ये उसकी कॉल को जालसाजों के पास ट्रान्सफर कर देते थे।
10 दिन, 22 शहर और 50 से ज्यादा पुलिसकर्मियों की टीम
आईएफएसओ यूनिट के डीसीपी केपीएस मल्होत्रा ने बताया कि, पिछले कुछ दिनों से NCRB के पोर्टल पर लगातार इस तरह के फ्रॉड की शिकायतें आ रहीं थीं। जांच करने पर ठगी के इस नए तरीके का पता चला। इसके भंडाफोड के लिए चार एसीपी, कई इंस्पेक्टर सहित 50 से ज्यादा पुलिसकर्मियों की स्पेशल टीम गठित की गई। इस टीम ने लगातार 10 दिनों तक 22 शहरों में छापेमारी कर, 65 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इनमें 11 महिलायें भी हैं। पुलिस ने आरोपियों के पास से 60 डेबिट कार्ड, 9 चेकबुक, 45 मोबाइल, 7 पासबुक, 25 एक्टिवेटेड सिमकार्ड बरामद किए हैं। इनके 100 से ज्यादा बैंक अकाउन्ट्स को भी फ्रीज करवा दिया गया है, जिनमें आरोपी ठगी की रकम मंगाते थे। पुलिस के अनुसार, ये जालसाज अब तक देश में हजारों लोगों को करोड़ों से ज्यादा का चूना लगा चुके हैं।
इन-इन शहरों में हुई छापेमारी
दिल्ली पुलिस की स्पेशल टीम ने देश में साइबर अपराधियों के गढ़ जामताड़ा के साथ-साथ करमाटांड़, गिरिडीह, देवगढ़, धनबाद, कोलकाता, उत्तरी-दिनाजपुर, मेदिनीपुर वेस्ट और ईस्ट, 24 परगना, अहमदाबाद, गांधी नगर, सूरत, कोलकाता, उत्तरी-दिनाजपुर, मेदिनीपुर वेस्ट और ईस्ट, 24 परगना मुंबई, कटिहार और दिल्ली सहित देशभर के 22 से ज्यादा शहरों में छापेमारी कर इन अपराधियों को गिरफ्तार किया है।