Noida International Jewar Airport: सरकार ने किसानों के लिए भेजे अरबों रुपये, इन गांवो की जमीनों का होगा अधिग्रहण
यह जमीन करौली बांगर, बीरमपुर, कुरैब, मुंडेरा और रनहेरा गांव की है। इन गांव की जमीन को जिला प्रशासन अधिग्रहीत करेगा। देश के सबसे बड़े एयरपोर्ट जेवर के लिए दूसरे चरण में करीब 1,365 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया जाना है। अधिग्रहण की कार्यवाही शुरू होने से पहले प्रशासन ने पूरा प्रस्ताव बनाकर सरकार को भेज दिया है। प्रस्ताव बनाने के लिए खसरा नंबर का सहारा लिया गया।;
दुनिया के चौथा सबसे बड़ा एयरपोर्ट नोएडा में बन रहा है। जिसे नोएडा इंटरनेशनल जेवर एयरपोर्ट (Noida International Jewar Airport) नाम दिया गया है। अब इस एयरपोर्ट का विस्तार किया जा रहा है। जिसके लिए आस-पास के छह गांवों की भूमि को अधिग्रहण किया जाना है। इस काम के लिए उत्तर प्रदेश सरकार (Uttar Pradesh Government) ने 1,084 करोड़ रुपये नोएडा जिला प्रशासन (Noida Authority) को भेजे हैं। क्योंकि इस काम के लिए 1,365 हेक्टेयर जमीन का प्रस्ताव योगी सरकार को भेजा गया था। इस प्रस्ताव के पास होने के बाद सोशल इंपैक्ट एसेसमेंट (Social Impact Assessment) शुरू किया जाएगा। एसआईए (SIA) के लिए एजेंसी का चयन शासन स्तर पर होगा। जल्द ही यह प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
इन गांवों के जमीन को किया जाएगा अधिग्रहण
पहले चरण के काम के बाद दूसरे चरण में 6 गांवों की जमीन का अधिग्रहण किया जाएगा। आपको बता दें कि यह जमीन करौली बांगर, बीरमपुर, कुरैब, मुंडेरा और रनहेरा गांव की है। इन गांव की जमीन को जिला प्रशासन अधिग्रहीत करेगा। देश के सबसे बड़े एयरपोर्ट जेवर के लिए दूसरे चरण में करीब 1,365 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया जाना है। अधिग्रहण की कार्यवाही शुरू होने से पहले प्रशासन ने पूरा प्रस्ताव बनाकर सरकार को भेज दिया है। प्रस्ताव बनाने के लिए खसरा नंबर का सहारा लिया गया। इसके साथ ही एसआईए करने के लिए भी प्रस्ताव गया है। सरकार द्वारा चयनित एजेंसी सोशल इंपैक्ट एसेसमेंट सर्वे करेगी। यह सर्वे भी जल्द शुरू होने की उम्मीद है।
कब मिलेगा मुआवजा
एडीएम एलए बलराम सिंह के अनुसार, सरकार ने जमीन अधिग्रहण के लिए 1,084 करोड़ रुपए भेजी है। इसके लिए सोशल इंपैक्ट एसेसमेंट सर्वे करने के लिए सरकार को प्रस्ताव भेजा जा चुका है। जल्द ही एजेंसी चयनित हो जाएगी। इसके बाद सोशल इंपैक्ट एसेसमेंट किया जाएगा। इसके साथ ही किसानों की सहमति ली जाएगी। दोनों काम पूरे होने के बाद मुआवजे का वितरण किया जाएगा।