सुप्रीम कोर्ट का राज्यों को आदेश- कोरोना महामारी में अनाथ बच्चों को अवैध तरीके से गोद लेने वालों के खिलाफ करें कार्रवाई

एनसीपीसीआर ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि पांच जून तक विभिन्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा सौंपे गए आंकड़ों के मुताबिक 30,071 बच्चे अनाथ हो गए। इनमें से से ज्यादातर बच्चे महामारी के कारण अभिभावकों के गुजरने या छोड़ दिए जाने के कारण बेसहारा हुए।;

Update: 2021-06-08 12:10 GMT

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को कोविड-19 महामारी (Corona Pandemic) के दौरान अनाथ हुए बच्चों (Orphan Children) को अवैध तौर पर गोद लिए जाने में संलिप्त गैर सरकारी संगठनों और लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने शीर्ष अदालत को सोमवार को सूचित किया कि पांच जून तक विभिन्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा सौंपे गए आंकड़ों के मुताबिक 30,071 बच्चे अनाथ हो गए। इनमें से से ज्यादातर बच्चे महामारी के कारण अभिभावकों के गुजरने या छोड़ दिए जाने के कारण बेसहारा हुए।

न्यायालय ने अभिभावक को खोने वाले या बेसहारा, अनाथ हुए बच्चों की देखभाल और सुरक्षा के लिए कई निर्देश जारी करते हुए कहा कि अनाथ बच्चों को गोद लिए जाने का आमंत्रण देना कानून के प्रतिकूल है क्योंकि केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (​कारा) की भागीदारी के बिना गोद लेने की अनुमति नहीं है। न्यायमूर्ति एल एन राव और न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस की पीठ ने कहा कि किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) कानून, 2015 के प्रावधानों और केंद्र, राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के कार्यक्रमों का व्यापक प्रचार करना चाहिए जिससे प्रभावित बच्चों का फायदा हो।

NCPCR प्रमुख ने कहा- कोविड से अनाथ हुए बच्चों पर पश्चिम बंगाल और दिल्ली की सरकारों का रवैया ठीक नहीं

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने सोमवार को कहा कि कोरोना वारयरस संक्रमण के कारण अनाथ हुए बच्चों को लेकर पश्चिम बंगाल और दिल्ली की सरकारों का रवैया असंवेदनशील है क्योंकि इन्होंने इन बच्चों के संदर्भ में अब तक पूरी जानकारी मुहैया नहीं कराई है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कोरोना महामारी की तीसरी लहर की आशंका के मद्देनजर सभी राज्यों को बच्चों के उपचार की पूरी व्यवस्था सुनिश्चित करनी चाहिए। कानूनगो ने कहा कि अनाथ बच्चों की मदद को लेकर कई राज्य सरकारों ने तेजी से काम किया है। यह अच्छा संकेत है कि हम बच्चों की मदद के लिए युद्ध स्तर पर काम कर रहे हैं। अफसोस की बात है कि पश्चिम बंगाल और दिल्ली दो राज्य ऐसे हैं, जहां इन बच्चों का सर्वे नहीं कराया गया और हमें पूरी जानकारी नहीं दी गई है। उन्होंने कहा कि बच्चों के प्रति इन दोनों सरकारों के रवैये को संवेदनशील नहीं कहा जा सकता।

महिला एवं बाल विकास विभाग कोविड के कारण अनाथ हुए बच्चों का आंकड़ा इकट्ठा करेगा

दिल्ली महिला एवं बाल विकास विभाग कोरोना वायरस के कारण अपने एक या दोनों माता-पिता को खोने वाले बच्चों का आंकड़ा एकत्र करेगा ताकि वे सरकार द्वारा घोषित लाभ का फायदा उठा सकें। महिला एवं बाल विकास मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने कोविड-19 की तीसरी लहर के अंदेशे के बीच तैयारियों का जायज़ा लेने के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक में कहा कि ऐसे बच्चों की संख्या स्वास्थ्य विभाग की मदद से एकत्र की जाएगी। मंत्री ने पीटीआई-भाषा से कहा कि ऐसे बच्चों की देखभाल करने वाले ऑनलाइन आवेदन कर सकेंगे। एक सरकारी बयान के मुताबिक, बैठक में महिला एवं बाल विकास विभाग (डब्ल्यूसीडी) के निदेशक, समाज कल्याण विभाग के निदेशक और स्वास्थ्य विभाग, राजीव गांधी अस्पताल और चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। 

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