टीके विपक्ष का दुष्प्रचार लोगों को गुमराह करने की कोशिश- भाजपा
भारतीय जनता पार्टी ने कहा कि देश के बाहर जो कोविड वैक्सीन डोज भेजे गए हैं, वे दो कैटेगरी के तहत भेजे गए हैं। पहली कैटेगरी है ऐड अर्थात ग्रांट के रूप में और दूसरी कैटेगरी है कमर्शियल एवं लाइसेंसिंग लाइबिलिटी के रूप में। देश में कोई भी सरकार होती तो उसे इस लाइबिलिटी के तहत वैक्सीन की आपूर्ति करनी ही होती।;
भारतीय जनता पार्टी ने कहा कि देश के बाहर जो कोविड वैक्सीन डोज भेजे गए हैं, वे दो कैटेगरी के तहत भेजे गए हैं। पहली कैटेगरी है ऐड अर्थात ग्रांट के रूप में और दूसरी कैटेगरी है कमर्शियल एवं लाइसेंसिंग लाइबिलिटी के रूप में। देश में कोई भी सरकार होती तो उसे इस लाइबिलिटी के तहत वैक्सीन की आपूर्ति करनी ही होती। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ संबित पात्रा ने बुधवार को एक प्रेस वार्ता को वर्चुअली संबोधित करते हुए विपक्ष के कुछ नेता देश की जनता को गुमराह करते हुए ये प्रश्न उठा रहे हैं कि भारत ने लगभग 6.5 करोड़ टीके विदेश क्यों भेजे और अन्य मेडिकल कंपनियों को वैक्सीन की लाइसेंसिंग क्यों नहीं दी जा रही।
साथ ही अरविन्द केजरीवाल की पार्टी ने एक प्रश्न यह भी उठाया है कि उसे केंद्र की ओर से वैक्सीन नहीं दी जा रही। ये तीनों ही आरोप सरासर गलत हैं और सच्चाई से इनका कोई लेना-देना नहीं है। यह आरोप केवल राजनीति द्वेष की भावना से लगाये गए प्रतीत होते हैं। भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि ऐड के तौर पर केवल 1.07 करोड़ कोविड वैक्सीन डोजेज ही अब तक दूसरे देशों को मदद के रूप में भेजी गई है।
इसमें से 78.5 लाख वैक्सीन डोजेज हमने अपने सात पड़ोसी देशों को दिया है। उस स्थिति में जब यह वायरस किसी देश की सरहद और सीमाएं नहीं जानता और देश में वायरस के प्रकोप को बढ़ने से रोकने के लिए यह भी जरूरी हो कि हमारे आस-पास यह न फैले, तब अपने पड़ोसी देशों को इतनी छोटी मदद देने में किसी को कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। यह केवल डिप्लोमेसी नहीं, एपिडेमिकोलोजी भी है। अपने देशवासियों को सुरक्षित रखने के लिए यह मदद कहीं से भी गलत नहीं ठहराया जा सकता। इसी ऐड कैटेगरी के तहत हमने दो लाख वैक्सीन डोज यूनाइटेड नेशन पीस कीपिंग फ़ोर्स को दिया है।
आपको मालूम हो कि हमारे लगभग 6,600 जवान संयुक्त राष्ट्र की पीस कीपिंग के लिए काम करते हैं जो अलग-अलग देशों में शांति की स्थापना हेतु काम कर रहे हैं। अगर हमने कुछ वैक्सीन डोज संयुक्त राष्ट्र पीस कीपिंग फ़ोर्स को दिया तो इससे हम अपने जवानों को भी वैक्सीन के दो डोज उपलब्ध करा रहे हैं। क्या ये गलत है? डॉ. पात्रा ने कहा कि विदेश भेजे गए कुल वैक्सीन का केवल 16% हमने ऐड अर्थात् ग्रांट के रूप में अपने पड़ोसी और दूसरे देशों को दिया है। बाकी 84% अर्थात् 5 करोड़ से अधिक वैक्सीन डोज कमर्शियल और लाइसेंसिंग लाइबिलिटी के तहत बाहर भेजे गए हैं।
हमारे देश में वर्तमान में दो कंपनियां कोविड वैक्सीन बना रही हैं। इन दोनों कंपनियों ने वैक्सीन के निर्माण के लिए पहले ही दूसरे देशों से रॉ मेटेरियल और एडवांस पेमेंट ली हुई थी ताकि वे समय से वैक्सीन का निर्माण कर सकें जिसके बदले में इनका उन देशों को कुछ वैक्सीन डोज भेजने का करार था। तो कमर्शियल लाइबिलिटी के तहत इन कंपनियों को कुछ वैक्सीन डोज अन्य देशों को पहले से तय करार के मुताबिक़ देना ही था। डॉ पात्रा ने कहा कि इसके अतिरिक्त बाहर गए कुल वैक्सीन डोज का 12.5% कमर्शियल एडवांस के तौर पर सऊदी अरब को गया है।
सऊदी में भारतीयों को मुफ्त टीका
हम सब जानते हैं कि सऊदी अरब किस तरह भारत के साथ खड़ा रहा है और वहां भारतीय डायसपोरा अपने देश के लिए कितना कटिबद्ध है। सऊदी अरब में काफी संख्या में भारतीय रहते हैं और सऊदी अरब वहां रहने वाले सभी भारतीयों को भी मुफ्त में दोनों डोजेज लगा रही है। ऐसे में सऊदी अरब को भी जो वैक्सीन डोज भेजे गए, इसे गलत नहीं ठहराया जा सकता। डॉ पात्रा ने कहा कि मनीष सिसोदिया जी ने प्रेस वार्ता कर कहा कि हमने वैक्सीन का ऑर्डर प्लेस किया लेकिन किसी ने दिया नहीं और केंद्र ने भी केवल 3.5 लाख वैक्सीन डोज ही दिए हैं।
केजरीवाल पर साधा निशाना
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि मनीष सिसोदिया का यह बयान भी सच्चाई से कोसों दूर है। कल ही दिल्ली सरकार का जो कोविड वैक्सीनेशन बुलेटिन जारी हुआ है जिसमें बताया गया है कि 18 से 44 वर्ष वाले लोगों के लिए केंद्र की ओर से 5.50 लाख वैक्सीन की आपूर्ति हुई है और आज (11 मई) ही लगभग तीन लाख डोज और आ जायेगी। इसका मतलब, 8 लाख वैक्सीन डोज का हिसाब तो महज कल के दिल्ली सरकार के एक बुलेटिन से सामने आ गया है। उन्होंने कहा कि 26 अप्रैल को अरविंद केजरीवाल प्रेस वार्ता कर बताते हैं कि दिल्ली सरकार ने 1.34 करोड़ वैक्सीन डोज का ऑर्डर प्लेस कर दिया है जबकि दिल्ली सरकार द्वारा लिखे गए लेटर में ऑर्डर प्लेस करने की बात के बजाय 'प्लानिंग टू प्रोक्योर' का जिक्र है। अरविंद केजरीवाल जी और मनीष सिसोदिया जी को 'प्लानिंग' और 'ऑर्डर' के बीच का अंतर पता होना चाहिए।