डॉ. जयंतीलाल भंडारी का लेख : आर्थिक विकास का बजट
इसमें कोई दो मत नहीं कि आगामी वित्तीय वर्ष का बजट प्रस्तुत करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री के सामने वैश्विक सुस्ती महंगाई तथा वर्तमान सरकार का लोकसभा चुनाव 2024 के पहले का आखिरी पूर्ण बजट होने के मद्देनजर लोगों को खुश करने की चुनौतिया थीं, लेकिन इस बार वित्तीय वित्त मंत्री के समक्ष वित्तीय मुश्किलें कुछ कम थी। नए बजट के तहत कृषि विकास की ऊंची उम्मीदों को साकार करने और देश के करोड़ों छोटे किसानों को मुस्कुराहट देने के लिए कई महत्वपूर्ण बातों पर विशेष ध्यान दिया गया है। कृषि की विकास दर बढ़ाने, कृषि क्षेत्र की योजनाओं को तर्कसंगत बनाने और कृषि सुधारों को व्यापक प्रोत्साहन सुनिश्चित किए जा सकते हैं।;
वर्ष 2023-24 का बजट एक ऐसा रणनीतिक बजट है, जिसमें समाज के विभिन्न वर्गों को खुशियां देने के साथ-साथ विकास दर बढ़ने और बेहतर राजकोषीय प्रबंधन की तस्वीर प्रस्तुत की गई है। वास्तव में यह बजट आर्थिक कल्याण व आर्थिक विकास का बजट है। इसमें कोई दो मत नहीं कि वित्त मंत्री के सामने वैश्विक सुस्ती, महंगाई तथा वर्तमान सरकार का लोकसभा चुनाव 2024 के पहले का आखिरी पूर्ण बजट होने के मद्देनजर लोगों को खुश करने की चुनौतियां थीं, लेकिन इस बार वित्तीय वित्तमंत्री के समक्ष वित्तीय मुश्किलें कम थी। सरकारी खजाने की स्थिति संतोषप्रद होने, पेट्रोलियम उत्पादों पर उत्पाद शुल्क में कटौती करने और विनिवेश लक्ष्य की प्राप्ति उम्मीद से कम होने के बावजूद राजकोषीय घाटे के मोर्चे पर नियंत्रण, कच्चे तेल के दाम ऊंचे स्तरों से नीचे आने की अनुकूलता, ऋण आवंटन की मजबूत दर, महामारी के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था के रिकवरी के रास्ते पर आने से वर्ष 2022 की तिमाहियों में कर संग्रह में बढ़ोत्तरी अनुकूलताएं थी। 31 जनवरी को प्रस्तुत आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि सरकार चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद के 6.4 फीसदी पर समेटने का लक्ष्य हासिल कर लेगी।
यही कारण रहा है कि बजट प्रस्तुत करते हुए जहां वित्त मंत्री की एक मुठ्ठी आम आदमी की आकांक्षाओं को पूरा करने को सौगातों व दूसरी मुठ्ठी आर्थिक सुधारों संबंधी प्रावधानों के लिए खुलते हुए दिखाई दी। नए बजट से रोजगार वृद्धि, कृषि और किसान हितों, बुनियादी ढांचे की मजबूती, उद्योग-कारोबार की गतिशीलता, रोजगार के नए अवसर, महंगाई पर नियंत्रण, नई मांग का निर्माण, स्वास्थ्य सेवाओं, डिजिटल शिक्षा, ग्रीन एनर्जी पर खर्च बढ़ाने के अलावा छोटे करदाताओं, मध्यम वर्ग, महिला वर्ग, युवा वर्ग और वरिष्ठ नागरिकों की उम्मीदों को पूरा करने के साथ-साथ बेहतर विकास दर के लक्ष्य के लिए कदम बढ़ाए गए हैं। आगामी वर्ष के बजट के माध्यम से अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों को गतिशील किए जाने के ऐसे कई प्रावधानों की लम्बी श्रृंखला है, जिनसे वर्ष 2023-24 में निर्यात और विदेशी निवेश में वृद्धि, बाजारों में उपभोक्ता मांग में तेजी, विनिर्माण और सर्विस क्षेत्र में बड़ा सुधार, शेयर बाजार की ऊंचाई, बेहतर राजकोषीय नतीजे, जीएसटी संग्रह में उछाल का परिदृश्य निर्मित होते हुए दिखाई दे सकेगा। रेलवे के लिए 2.4 लाख करोड़ रुपये का बजट जारी किया गया है। रेलवे की नई योजनाओं के लिए 75000 करोड़ रुपये का फंड आवंटित किया जाएगा। रेलवे में 100 नई अहम योजनाओं की शुरुआत की जाएगी। कारीगरों एवं शिल्पकारों को मदद के लिए पीएम विश्वकर्मा कौशल सम्मान पैकेज शुरू किया जाएगा। इससे उत्पादों की गुणवत्ता में इजाफा होगा और लघु उद्योगों में रोजगारों में इजाफा होगा। नए बजट के तहत कृषि विकास की ऊंची उम्मीदों को साकार करने और देश के करोड़ों छोटे किसानों को मुस्कुराहट देने के लिए कई महत्वपूर्ण बातों पर विशेष ध्यान दिया गया है। चूंकि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले का आखिरी पूर्ण बजट है। ऐसे में सरकार कृषि और ग्रामीण विकास पर प्रभावी खर्च बढ़ाते हुए दिखाई दी है। कृषि की विकास दर बढ़ाने, कृषि क्षेत्र की योजनाओं को तर्कसंगत बनाने और कृषि सुधारों को व्यापक प्रोत्साहन सुनिश्चित किए जा सकते हैं। कृषि के बुनियादी ढांचे और कृषि के मशीनीकरण की दिशा में संरचनात्मक सुधार लाने के प्रभावी कदम भी बजट में हैं।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत एक जनवरी 2023 से राशन प्रणाली के तहत एक वर्ष तक देश के 80 करोड़ से अधिक गरीब व कमजोर वर्ग के लोगों को दिए जाने वाले निशुल्क अनाज के मद्देनजर दो लाख करोड़ रुपये से अधिक बजट की व्यवस्था की गई है। बजट में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत कृषि और संबद्ध क्षेत्रों के समग्र विकास को सुनिश्चित करने के लिए राज्यों को जिला और राज्य कृषि योजनाओं के विकास हेतु आवंटन बढ़ा है। किसानों को उनकी मिट्टी की गुणवत्ता के बारे में जानकारी प्रदान करने के लिए शुरू की गई मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के बजट में वृद्धि की गई है। साथ ही किसानों को फसल बीमा प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की आवंटन राशि बढ़ाई गई है। नए बजट में कृषि के डिजिटलीकरण के लिए अधिक प्रावधान, किसानों और कृषि संबंधी सूचनाओं को बेहतर आदान-प्रदान के लिए कृषि सूचना प्रणाली और सूचना प्रोद्योगिकी तथा राष्ट्रीय ई-गर्वनेंस योजना को अधिक प्रोत्साहन, कृषि को हाईटेक बनाने के लिए आधुनिक आईटी जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग, ब्लॉक चेन टेक्नोलॉजी, इंटरनेट ऑफ थिंग, रोबोटिक्स आदि के उपयोग पर अधिक प्रावधान, किसानों को बेहतर तकनीक उपलब्ध कराने के साथ ही भूमि रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण और कीटनाशकों के छिड़काव में ड्रोन तकनीक मदद पर अधिक प्रावधान और खेती में स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए अधिक आवंटन किया गया है। बजट में किसानों को डिजिटल और हाई-टेक सेवाएं देने के लिए पीपीपी मॉडल में नई योजना शुरू की गई है, इसमें सार्वजनिक क्षेत्र के अनुसंधान और विस्तार संस्थान, निजी कृषि-तकनीकी संस्थान व कृषि-मूल्य श्रृंखला के हितधारक शामिल हैं।
इस बार वित्त मंत्री भारतीय मध्यम वर्ग की टैक्स छूटों में वृद्धि की अपेक्षा पूरे करते हुए भी दिखाई दी हैं। वित्त मंत्री वित्त वर्ष 2023-24 का बजट पेश करते हुए छोटे करदाताओं व मध्यम वर्ग की आर्थिक मुश्किलों को ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ी। छोटे करदाताओं और मध्यम वर्ग की मुश्किलों के बीच आयकर के नए प्रारूप वाले टैक्स स्लैब का पुनः निर्धारण किया गया है। नई टैक्स व्यवस्था में कुल 7 लाख रुपये तक की कमाई वालों पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। इसके अलावा टैक्स स्लैब की संख्या अब 7 से घटाकर 5 ही कर दी गई है। पहला स्लैब 3 से 6 लाख तक का होगा, जिसमें 5 फीसदी टैक्स देना होगा। इसके अलावा दूसरा स्लैब 6 से 9 फीसदी का होगा, जिसमें 10 फीसदी टैक्स लगेगा। वहीं तीसरा स्लैब 9 से 12 लाख का होगा, जिस पर 15 फीसदी टैक्स लगेगा। 12 से 15 लाख तक की कमाई पर 20 फीसदी टैक्स लागू होगा। वहीं इससे अधिक की कमाई पर 30 फीसदी टैक्स लागू होगा।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने महिला सम्मान बचत पत्र योजना का ऐलान बजट में किया है। इस स्कीम के तहत महिलाएं दो साल दो लाख रुपये का निवेश कर सकेंगी। इस जमा पर टैक्स में छूट मिलेगी और 7.5 फीसदी का रिटर्न मिलेगा। महिलाओं के लिए यह अपनी तरह की पहली स्कीम है। निश्चित रूप से वित्तमंत्री सीतारमण आगामी वर्ष 2023-24 के बजट में विभिन्न वर्गों के लिए राहतदायी प्रावधान सुनिश्चित किए हैं, जिनसे एक ओर समाज के विभिन्न वर्ग और अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्र लाभांवित होंगे। वहीं अर्थव्यवस्था भी छह फीसदी से अधिक की विकास दर के साथ आगे बढ़ते हुए दिखाई दे सकेगी।
(लेखक अर्थशास्त्री हैं, ये उनके अपने विचार हैं।) लेख पर अपनी प्रतिक्रिया edit@haribhoomi.com पर दे सकते हैं।