डॉ. अश्वनी महाजन का लेख : ऑनलाइन खेलों पर जीएसटी सही
जीएसटी काउंसिल ने ऑनलाइन गेम्स पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगाने का निर्णय लिया है। उसके बाद जीएसटी काऊंसिल के उस निर्णय पर घमासान जारी है। गेम खिलाने वाली एप कंपनियों की ओर से आपत्ति जरूर आई है। इन एप कंपनियों का कहना है कि ऑनलाइन गेमों पर जीएसटी लगने से उन्हें नुकसान होगा।;
जीएसटी काउंसिल ने ऑनलाइन गेम्स पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगाने का निर्णय लिया है। उसके बाद जीएसटी काऊंसिल के उस निर्णय पर घमासान जारी है। गेम खिलाने वाली एप कंपनियों की ओर से आपत्ति जरूर आई है। इन एप कंपनियों का कहना है कि ऑनलाइन गेमों पर जीएसटी लगने से उन्हें नुकसान होगा। कुछ दिन पहले 180 गेम कंपनियों की ओर से जीएसटी कांऊसिल को इस निर्णय पर पुनर्विचार करने के लिए कहा गया है। इन आभासी खेलों पर अधिकतम दर से जीएसटी (GST) लगाना बिल्कुल उपयुक्त कदम है। इन पर उच्चतम जीएसटी लगाना इस बात का संकेत है कि सरकार युवाओं को इससे रोकना चाहती है।
हाल ही में भारत की जीएसटी काउंसिल ने ऑनलाइन गेम्स पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगाने का निर्णय लिया है। उसके बाद जीएसटी काउंसिल के उस निर्णय पर घमासान जारी है। हालांकि ऑनलाइन गेम खेलने वालों की ओर से तो कोई आपत्ति तो ध्यान में नहीं आई है, लेकिन गेम खिलाने वाली एप कंपनियों की ओर से आपत्ति जरूर आई है। इन एप कंपनियों का कहना है कि ऑनलाइन गेमों पर जीएसटी लगने से उन्हें नुकसान होगा। कुछ दिन पहले 180 गेम कंपनियों की ओर से जीएसटी कांऊसिल को इस निर्णय पर पुनर्विचार करने के लिए कहा गया है।
गेमिंग कंपनियों का पहला तर्क यह है कि पूर्ण जमा राशि पर जीएसटी लगाने का प्रस्ताव इस ‘उद्योग’ के विकास पथ को उलट देगा। वर्तमान कंपनियों को तो नुकसान होगा ही, साथ ही छोटी कंपनियों का अस्तित्व भी खतरे में पड़ जाएगा। इन कंपनियों का दूसरा तर्क यह है कि इस क्षेत्र में नए घरेलू और विदेशी निवेशकों का निवेश हतोत्साहित होगा। हालांकि सरकार की ओर से जीएसटी लगाने के निर्णय के बारे में कोई तर्क नहीं दिया गया है, लेकिन यह सच है कि देश के विभिन्न हलकों में इन ऑनलाइन गेम्स में युवकों की बढ़ती लत और उसके कारण आ रही विसंगतियों और संकटों के कारण, भारी चिंता जरूर व्याप्त थी, जिसके बारे में सरकार भी अनभिज्ञ नहीं थी। ग़ौरतलब है कि इन गेम्स को कुल 4 करोड़ लोग और नियमित रूप से 1 करोड़ लोग खेलते हैं। सरकार का कहना है कि अभी तक इन खेलों पर मात्र 2 से 3 प्रतिशत का ही जीएसटी लगता है जो आम आदमी द्वारा खाने पीने की वस्तुओं पर 5 प्रतिशत जीएसटी से भी कम है। 28 प्रतिशत जीएसटी से सरकार को 20000 हज़ार करोड़ की आमदनी का अनुमान है।
पिछले कुछ सालों में कई प्रकार की ऑनलाइन गेम्स का भी प्रादुर्भाव हुआ है। कई बड़ी कंपनियों द्वारा चलाई जा रही एप्स का विज्ञापन तो खेल और मनोरंजन क्षेत्र की बड़ी हस्तियां तक कर रही हैं। हालांकि इन्हीं विज्ञापनों में एक त्वरित चेतावनी भी होती है, ‘इन गेम्स को सावधानी से खेलें, इनकी लत लग सकती है’। दरअसल आज हमारे युवा इन मशहूर हस्तियों द्वारा समर्थित ऐप्स और गेम्स के चुंगुल में फंसते जा रहे हैं। पिछले कुछ समय से देश में इंटरनेट और मोबाइल के विस्तार के कारण इस रियल मनी गेमिंग ‘उद्योग’ का काफी विस्तार हुआ है और इनका व्यापार बढ़ता ही जा रहा है। शेयर ट्रेडिंग संबंधित खेल, क्रिप्टो आधारित गेम्स, रम्मी, लुडो, आभासी खेलों (फेंटेसी स्पोर्ट्स) समेत कई ऑनलाइन और एप आधारित खेलों को ‘रियल मनी गेम्स’ कहा जाता है, क्योंकि ये गेम पैसे या इनाम के लिए खेले जाते हैं।
कहा जाता है कि इन खेलों में से कुछ कौशल आधारित हैं और कुछ संयोग आधारित (यानी जुआ) हैं। चाहे जुए के खेल हों या कौशल आधारित, सभी ऑनलाइन खेलों का तेजी से विस्तार हुआ है और इन एप्स और वेबसाइटों को बढ़ावा देने वाली कंपनियां भारी मुनाफा कमा रही हैं, लेकिन चिंता का विषय यह है कि इन खेलों के कारण हमारे युवाओं का भविष्य अंधकारमय हो रहा है। जब से इन खेलों का प्रादुर्भाव हुआ है, कई युवाओं ने कर्ज में फंसकर अपनी जान गंवा दी है। समझना होगा कि इन खेलों में जीतने की संभावना बहुत कम होती है, तो भी इन एप्स के कारण जुए की लत के चलते युवा भारी कर्ज उठाने लगते हैं और उन्हें न चुका पाने के कारण उनके परिवार बर्बाद हो जाते हैं।
आज बड़ी-बड़ी क्रिकेट हस्तियों द्वारा विज्ञापनों के कारण येे एप्स पूरे देश में प्रसिद्ध हो गए हैं। लुडो जैसे एप मनोरंजन क्षेत्र की एक बड़ी हस्ती कपिल शर्मा और कई अन्य सेलिब्रिटीज़ द्वारा अनुमोदित की जा रही है। इन एप्स में फंसकर आत्महत्या करने वाले अधिकांश 18 से 25 वर्ष के युवा हैं, जिनमें विद्यार्थी, प्रवासी मजदूर और व्यापारी शामिल हैं। ड्रीम-11 के संदर्भ में अधिकांशतः न्यायालयों ने उसे यह कहकर उचित ठहराया है कि ये जुआ नहीं बल्कि कौशल का खेल है। उसके बावजूद 6 राज्य सरकारों ने ऐसे आभासी क्रिकेट प्लेटफॉर्मों को प्रतिबंधित किया है अथवा अनुमति नहीं दी है। इसी प्रकार आंध प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई.एस. जगनमोहन रेड्डी ने 132 एप्स को प्रतिबंधित करने हेतु निवेदन किया है। चाहे यह मान भी लिया जाए कि आभासी क्रिकेट खेल में जीतने के लिए कुछ भी संयोग नहीं है(
इसलिए यह जुआ नहीं, लेकिन कुछ खेल मनोवैज्ञानिक मानते हैं कि आभासी क्रिकेट जुआ ही है और इसके कारण जुए के व्यवहार का रोग लग सकता है। इस व्यवसाय से जुड़ी कंपनियां यह मानने के लिए तैयार नहीं कि इससे लत पड़ सकती है, क्योंकि दाव की राशि बहुत कम है, लेकिन वास्तविकता इससे हटकर है। इन खेलों में हार कर लाखों रुपये के कर्जे के कारण आत्महत्या करने वालों के बारे में जानकारी से यह बात गलत सिद्ध हो जाती है, इसलिए इस विषय में इन खेल एप्स कंपनियों के दावों पर विश्वास करना ठीक नहीं है। बड़ी बात यह है कि इन खेलों के संबंध में कोई नियामक प्राधिकरण नहीं है। इस व्यवसाय से जुड़ी कंपनियों के दावों और हकीकत में बहुत अंतर है।
अभी न्यायालयों को यह तय करना बाकी है कि क्या पैसों का दांव लगाने वाली कथित कौशल आधारित गेम जुआ हैं। यदि किसी भी खेल में संयोग का अंश रहता है तो वह जुआ ही होता है और कानून के अनुसार यह वैधानिक नहीं हो सकता। कई एप्स कौशल आधारित खेलों की आड़ में विशुद्ध जुए के प्लेटफॉर्म चला रही हैं। इन एप्स में बड़ी मात्रा में विदेशी निवेशकों खासतौर पर चीनी निवेशकों ने पैसा लगाया हुआ है, और उनका एकमात्र उद्देश्य लोगों को जुए की लत लगाना है। इन एप्स का डिजाइन ही लत लगाने वाला है। यही नहीं कई तथाकथित कौशल आधारित गेम्स के सॉफ्टवेयर के साथ छेड़छाड़ कर ग्राहकों को लूटा भी जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी दी है कि इन गेम्स के नतीजों को मशीनी छेड़छाड़ से प्रभावित किया जा सकता है।
हालांकि सरकार कृषि जिन्सों को छोड़कर शेष सभी वस्तुओं और सेवाओं पर जीएसटी लगाती ही है। देश में जुआ, वेश्यावृति, चोरी-डकैती जैसे कार्यकलाप वैधानिक रूप से प्रतिबंधित हैं। कुछ ऐसी वस्तुएं होती हैं जिनके उत्पादन और उपभोग को हतोत्साहित कर उन्हें न्यूनतम करना सरकार का दायित्व होता है। उदाहरण के लिए देश में तम्बाकू उत्पादों, शराब इत्यादि पर अधिकतम टैक्स लगता रहा है। ऑनलाइन रियल मनी आभासी खेल चूंकि अभी तक ठीक प्रकार से पारिभाषित नहीं हो पाए हैं कि ये जुआ हैं अथवा कौशल के खेल इसलिए ऐसे खेलों को कम टैक्स लगा, प्रोत्साहित किया जाना सामाजिक हित के खिलाफ है। जीएसटी काउंसिल द्वारा इन आभासी खेलों पर अधिकतम दर से जीएसटी लगाना बिल्कुल उपयुक्त कदम है, क्योंकि यह एक प्रकार की सामाजिक बुराई है। इन खेलों पर उच्चतम दर से जीएसटी लगाना इस बात का संकेत है कि सरकार एप्स के जरिए चलने वाले जुए में पैसा डुबोते नासमझ युवाओं को इससे रोकना चाहती है।
डॉ. अश्वनी महाजन (लेखक दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं, ये उनके अपने विचार हैं।)
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