डॉ. जयंतीलाल भंडारी का लेख : छोटे टैक्सपेयरों व कृषि पर होगा जोर

निसंदेह छोटे करदाताओं और मध्यम वर्ग की मुश्किलों के बीच आयकर के नए प्रारूप वाले टैक्स स्लैब के पुनः निर्धारण की आवश्यकता अनुभव की जा रही है। सरकार के द्वारा इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80डी के तहत कर कटौती की सीमा को बढ़ाना चाहिए, ताकि हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर टैक्स छूट में इजाफा हो सके। टैक्पेयरों को हेल्थ इंश्योरेंस को लेकर प्रेरित करना आवश्यक है। कृषि की विकास दर बढ़ाने, कृषि क्षेत्र की योजनाओं को तर्कसंगत बनाने और कृषि सुधारों को व्यापक प्रोत्साहन सुनिश्चित किए जा सकते हैं। एग्री इन्फ्रा और कृषि के मशीनीकरण की दिशा में सुधार लाने के प्रभावी कदम भी नए बजट में हो सकते है।;

Update: 2023-01-31 08:42 GMT

इस समय जब एक फरवरी को केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के द्वारा पेश किए जाने वाले आगामी वित्त वर्ष 2023-24 के बजट की ओर देश के मध्यम वर्ग के लोगों की निगाहें लगी हुई है, तब 30 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा मंत्रियों को मध्यम वर्ग तक पहुँचकर उनके लिए की गई कई पहलों से अवगत कराने के दिए गए निर्देश अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। उम्मीद की जा रही है कि वित्त मंत्री नए बजट के माध्यम से इस वर्ग की क्रयशक्ति बढ़ाकर मांग में वृद्धि करके अर्थव्यवस्था को गतिशील करने की रणनीति पर काम कर रही हैं। साथ ही इस बजट में देश के कृषि एवं ग्रामीण क्षेत्र के विकास के लिए अभूतपूर्व प्रावधान दिखाई दे सकते हैं, जहाँ एक ओर वैश्विक खाद्य संकट के दौर में भारत के कृषि क्षेत्र की नई भूमिका महत्वपूर्ण हो गई है, वहीं दूसरी ओर किसानों की आय को दोगुना करने की दिशा में अधिक प्रभावी कदमों के मद्देनजर वित्तमंत्री नए बजट में किसानों के सशक्तिकरण और कृषि विकास के रणनीतिक प्रावधान करते हुए दिखाई दे सकती हैं।

बीते दिनों एक कार्यक्रम में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि मैं भी मध्यम वर्ग से ताल्लुक रखती हूं, इसलिए मैं मध्यम वर्ग के दबाव को समझ सकती हूं। चूँकि पिछले वर्ष 2022-23 के बजट में इस वर्ग को कोई बडी राहत नहीं मिली थी और अब महामारी के कारण दो साल की मंदी के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था रिकवरी के रास्ते पर चल पड़ी है, साथ ही पिछली कुछ तिमाहियों में कर संग्रह में लगातार बढ़ोत्तरी भी देखी गई है। इसके साथ-साथ इस बार का बजट लोकसभा चुनाव 2024 के पहले का आखिरी पूर्ण बजट है। ऐसे में सरकार के द्वारा आगामी बजट में टैक्स का बोझ कम करने के लिए प्रोत्साहन सुनिश्चित किए जा सकते हैं। कृषि की विकास दर बढ़ाने, कृषि क्षेत्र की योजनाओं को तर्कसंगत बनाने और कृषि सुधारों को व्यापक प्रोत्साहन सुनिश्चित किए जा सकते हैं। कृषि के बुनियादी ढांचे और कृषि के मशीनीकरण की दिशा में संरचनात्मक सुधार लाने के प्रभावी कदम भी नए बजट में हो सकते है।

निसंदेह छोटे करदाताओं और मध्यम वर्ग की मुश्किलों के बीच आयकर के नए प्रारूप वाले टैक्स स्लैब के पुनः निर्धारण की आवश्यकता अनुभव की जा रही है। वर्तमान में वित्त मंत्रालय 2.5 लाख रुपये से 5 लाख रुपये तक की कुल आय पर 5 फीसदी टैक्स लागू करता है। जबकि, 5 लाख से 7.5 लाख रुपये तक की कुल आय पर 10 फीसदी और 7.5 लाख से 10 लाख रुपये तक की आय पर 15 फीसदी टैक्स लागू होता है। इसी तरह 10 लाख रुपये से से 12.5 लाख रुपये की आय पर 20 फीसदी टैक्स लगाया जाता है। 12.5 लाख से 15 लाख रुपये पर 25 फीसदी और 15 लाख रुपये से ऊपर की कुल आय पर 30 फीसदी टैक्स दर लागू होती है। जो आयकरदाता आयकर के पुराने स्लैब को आपनाए हुए हैं उनके लिए विभिन्न टैक्स छूटों में वृद्धि की जाना जरूरी, मौजूदा समय में धारा 80सी के तहत 1.50 लाख रुपये की छूट मिलती है। इसके तहत ईपीएफ, पीपीएफ, एनएससी, जीवन बीमा, बच्चों की ट्यूशन फीस और होम लोन का मूलधन भुगतान भी शामिल है। मकानों की बढ़ती हुई कीमत को देखते हुए धारा 80सी के तहत 1.50 लाख की छूट पर्याप्त नहीं है। कोई व्यक्ति 1.50 लाख की छूट यदि होम लोन के मूलधन पर ले लेता है तो उसके पास अन्य जरूरी निवेश पर छूट लेने का विकल्प नहीं बचता है। अतएव धारा 80सी के तहत कर छूट की सीमा को बढ़ाकर तीन लाख रुपये किया जाना उपयुक्त होगा। आयकर अधिनियम की धारा 80सी की सीमा बढ़ाने से सबसे ज्यादा फायदा छोटी बचत योजनाओं, बीमा पॉलिसी खरीदारों, म्यूचुल फंड निवेशकों, लोनधारकों के निवेशकों और वरिष्ठ नागरिकों को होगा। पिछली बार वित्त वर्ष 2014-15 में इस सीमा को 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 1.5 लाख रुपये किया गया था। तब से इस कटौती सीमा को नहीं बदला गया है।

इसी तरह सरकार के द्वारा इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80डी के तहत कर कटौती की सीमा को बढ़ाना चाहिए। चूंकि अभी भी स्वास्थ्य संबंधी बढ़ती चुनौतियों के बीच देश में स्वास्थ्य बीमा अधिक चलन में नहीं है और अधिकतर लोगों के स्वास्थ्य बीमे का कवर अस्पताल के खर्चे से निपटने के लिए भी पर्याप्त नहीं है। ऐसे में सरकार के द्वारा 80डी के तहत हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर टैक्स छूट को बढ़ाना चाहिए ताकि टैक्पेयर्स हेल्थ इंश्योरेंस को लेकर प्रेरित हों। 80डी में कर छूट सीमा को बढ़ाने के साथ-साथ वरिष्ठ नागरिकों के लिए विशेष सीमा बढ़ाई जाने से लोगों को स्वास्थ बीमा कराने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकेगा। स्वास्थ्य बीमे को सस्ता किया जाना भी जरूरी है। इस पर 18 फीसदी जीएसटी है जिसे कम करने की जरूरत है।

सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ) में योगदान की वार्षिक सीमा को मौजूदा 1.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 3 लाख रुपये किया जाना चाहिए। वरिष्ठ नागरिकों के लिए बुनियादी आयकर छूट सीमा को संशोधित करना जरूरी है। आगामी बजट में 60 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों के लिए मूल आयकर छूट सीमा को 3 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये तथा 80 वर्ष से अधिक के वरिष्ठ नागरिकों को कर से छूट मुक्त राशि को 7.5 लाख रुपये किया जाना उपयुक्त होगा।

वित्तमंत्री नए टैक्स स्लैब के प्रारूप में बदलाव करके छोटे करदाताओं से नई राहत दे सकती हैं। इससे नए टैक्स प्रारूप के प्रति करदाताओं का आकर्षण बढ़ेगा। नए कर प्रारूप की घोषणा वर्ष 2020-21 के बजट में की गई थी, लेकिन अब तक इसके तहत लाभ लेने के लिए आयकरदाताओं का विशेष रुझान नहीं बढ़ा है। आयकर मूल्यांकन वर्ष 2022-23 में करीब 7.53 करोड़ इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल हुए, इनमें से 50 लाख से कम इनकम टैक्स रिटर्न नए टैक्स प्रारूप के तहत दाखिल हुए। ऐसे में आगामी बजट में नए टैक्स प्रारूप को आकर्षक व लाभप्रद बनाए जाने की संभावनाएँ हैं।

वर्ष 2022-23 के बजट में कृषि मंत्रालय को 1,32,514 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे, इसमें वृद्धि हो सकती है। जहाँ न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लेकर किसानों की चिंता को कम करने की कोशिश नए बजट में की जा सकती है, वहीं एमएसपी पर खरीदारी का लक्ष्य बढ़ाया जा सकता हैं। सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय को 1.36 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया था, लेकिन अनुमानित है कि यह खर्च 1.60 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो सकता है। यह बढ़ा हुआ खर्च ग्रामीण क्षेत्र में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) की अधिक मांग के कारण है। ऐसे में नए बजट में मनरेगा के लिए आवेटन में वृद्धि हो सकती है। हम उम्मीद करें कि वित्तमंत्री सीतारमण वित्त वर्ष 2023-24 का बजट पेश करते हुए छोटे करदाताओं व मध्यम वर्ग की आर्थिक मुश्किलों को ध्यान में रखते हुए, इस वर्ग को संतोषप्रद राहत देगी। कृषि क्षेत्र पर भी ध्यान देगी। इससे इस वर्ग की क्रय शक्ति बढ़ेगी, नई मांग का निर्माण होगा और अर्थव्यवस्था गतिशील होगी।

 (लेखक - डॉ. जयंतीलाल भंडारी अर्थशास्त्री हैं, ये उनके अपने विचार हैं।)

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