Fatehabad : धुंए के कारण बिगड़ी प्रदेश की सेहत, प्रशासन खामोश

  • हरसेक के आंकड़े : पिछले वर्ष से 40 प्रतिशत तो 2021 के मुकाबले 57 फीसदी कम जली पराली
  • पंजाब से आ रहे धुंए के कारण बिगड़ रही व्यवस्था
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Update: 2023-11-07 07:03 GMT

Fatehabad : पंजाब से आ रहे धुंए ने फतेहाबाद ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश की सेहत बिगाड़ रखी है। पिछले 15 दिनों से प्रदेशवासी पंजाब का दंश झेल रहे हैं। बुजुर्ग और बच्चों को न रात को नींद आ रही है और न सुबह सांस लिया जा रहा है। प्रशासन है कि सब कुछ देखते हुए भी हाथ पर हाथ धरे बैठा है। अकेले कृषि विभाग के अधिकारी दिन-रात एक कर फिल्ड में जुटे हुए हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि अब तक हरसेक ने सेटेलाइट से 296 आगजनी की लोकेशन कृषि विभाग को भेजी है जबकि बीते वर्ष अब तक यह आंकड़ा 499 था। यानि कि इस बार बीते वर्ष से 40 फीसदी पराली कम जली है।

2021 का जिक्र करें तो उस समय आज के दिन तक हरसेक ने 691 आगजनी की लोकेशन भेजी थी। 2021 के मुकाबले इस वर्ष 57 फीसदी पराली कम जली है। इसके बावजूद प्रदेश पर्यावरण प्रदूषण के मामले में दुनियाभर के नक्शे में आ गया है। देश व प्रदेश की सरकार चाहे कुछ कहे, लेकिन यह सारा धुंआ पंजाब से ही यहां आ रहा है। आंकड़े इस बात की पुष्टि कर रहे हैं। अभी दीवाली को 5 दिन शेष है। पर्यावरण खतरनाक रूप अख्तियार करता जा रहा है। आज 8वें दिन भी हवा बेहद खतरनाक श्रेणी में आ गई है। यहां का वायु गुणवत्ता सूचकांक यानि एक्यूआई 450 के करीब आंका गया। मौसम वैज्ञानिकों की भविष्यवाणी से लोगों को इस प्रदूषण से राहत मिलने की कुछ उम्मीद जगी है। हिसार स्थित एचएयू के मौसम विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डॉ. एमएल खिचड़ के अनुसार 7 नवम्बर को एक कमजोर पश्चिमी विक्षोभ पहाड़ों की तरफ बढ़ने से 8 व 9 नवम्बर को पुरवाई हवाएं चलने तथा आंशिक बादल छाने का अंदेशा है। 10 नवम्बर को फिर से उत्तर पश्चिमी हवाएं मध्यम गति से चलने से प्रदूषण से कुछ राहत मिलने की संभावना बन रही है। इस दौरान राज्य में रात के तापमान में गिरावट आने की संभावना है।

उन्होंने कहा कि दीवाली आने के साथ ही प्रदूषण और बढ़ेगा। जिससे लोगों में सेहत को लेकर चिंता भी बढ़ने लगी है। चिकित्सकों की मानें तो कोरोना का शिकार हो चुके लोगों को इस समय विशेष ध्यान रखना चाहिए क्याेंकि ऐसे मरीजों को सबसे ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ रहाहै। दमा, टीबी, सास व हृदय रोगियों को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए। अब तक बिलकुल स्वस्थ रह रहे लोगों में भी खांसी व जलन की शिकायतें बढ़ने लगी हैं। अभी धान की कटाई शेष है। किसान न मानें या प्रशासन ने सख्ती न की तो एक्यूआई बढ़कर 500 के पार जा सकता है।

बेरोकटोक चल रही पाईप फैक्ट्रियां व ईंट भट्ठे

फतेहाबाद में इस समय पाइप फैक्ट्रियों और ईंट भट्ठों की तादाद काफी अधिक है। प्लास्टिक पाइप निर्माण मामले में फतेहाबाद को सबसे आगे माना जाता है। इसके अलावा ईंट भट्ठों की संख्या भी कम नहीं। पाइप फैक्ट्रियों और ईंट भट्ठों पर प्रशासन द्वारा कोई सख्ती नहीं की गई है। वायु को प्रदूषित करने में भी इन फैक्ट्रियों और ईंट भट्ठों का बड़ा हाथ है। ऐसे में लोगाें की मांग है कि प्रदूषण फैलाने वाले ऐसे सभी कामधंधों को तुरंत रोका जाए। नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. विनोद शर्मा का कहना है कि इन दिनाें स्मॉग के कारण आंखों में जलन के मरीजों की ओपीडी बढ़ी है। बीमार लोगों, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और बच्चों को धुंध-स्माग के वातावरण में निकलने से परहेज करना चाहिए। अति आवश्यक कार्य से बाहर निकलना पड़े तो मास्क पहनें। आंखों के बचाव के लिए चश्मा पहन सकते हैं। स्माग छाने के बाद आंखों में जलन के मामले बढ़े हैं। सिविल अस्पताल में सामान्यत 10-12 मरीज आते थे, अब इनकी संख्या 40 से 50 हो गई है।

एयर क्वालिटी इंडेक्स के मानक

एयर क्वालिटी इंडेक्स यानि एक्यूआई को 0-50 के बीच बेहतर, 51-100 के बीच संतोषजनक, 101 से 200 के बीच सामान्य, 201 से 300 के बीच खराब, 301 से 400 के बीच बहुत खराब और 401 से 500 के बीच गंभीर माना जाता है।

सुबह-शाम की सैर को टालें, हो सकता है खतरनाक

जिला महामारी अधिकारी डॉ. विष्णु मित्तल ने बढ़ते प्रदूषण में स्वयं का बचाव कैसे करें, इसको लेकर कुछ अहम टिप्स दिए। उन्होंने कहा कि प्रदूषित वातावरण में योग-व्यायाम न करें। घर में एयर प्यूरीफायर लगवाएं। जरूरत पड़ने पर ही घर से निकलें। आंखों में जलन, सांस की तकलीफ या खांसी होने पर चिकित्सक से सम्पर्क करें। दिल, फेफड़े व अन्य बीमारियों के रोगी विशेष ध्यान रखें। धुंआरहित ईंधन का प्रयोग करें। ज्यादा प्रदूषित जगह पर ना जाएं। घरों की खिड़कियां, दरवाजे सुबह-शाम बंद रखें।

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