पंजाब में किसानों का उग्र हुआ प्रदर्शन, कृषि विधेयकों के विरोध में प्रधानमंत्री मोदी के पुतले जलाए

पंजाब में कृष विधेयकों के विरोध में किसानों का प्रदर्शन उग्र होता जा रहा है। एक तरफ जहां राज्य के मुख्यमंत्री कैप्टन अमिरंदर सिंह ने किसानों से प्रदर्शन खत्म करने की अपील की है उसको भी दरकिनार कर किसान इन विधेयकों के खिलाफ जमकर प्रदर्शन कर रहे हैं।;

Update: 2020-10-18 06:57 GMT

फगवाड़ा। पंजाब में कृष विधेयकों के विरोध में किसानों का प्रदर्शन उग्र होता जा रहा है। एक तरफ जहां राज्य के मुख्यमंत्री कैप्टन अमिरंदर सिंह ने किसानों से प्रदर्शन खत्म करने की अपील की है उसको भी दरकिनार कर किसान इन विधेयकों के खिलाफ जमकर प्रदर्शन कर रहे हैं। वहीं पंजाब में विभिन्न संगठनों के बैनर तले किसानों ने हाल में लागू किए गए कृषि कानूनों के खिलाफ शनिवार को प्रदर्शन किए और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पुतले जलाए। उन्होंने भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वह इन कानूनों को रद्द करने की प्रदर्शनकारियों की मांग को लेकर 'अड़ियल रवैया' अपना रही है। विपक्षी दल कृषि क्षेत्र के तीन कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उनका आरोप है कि ये 'किसान विरोधी कदम' है और ये कृषि क्षेत्र को 'नष्ट' कर देंगे। हालांकि सरकार का कहना है कि ये कानून किसानों को बिचौलियों के चंगुल से आजाद कर देंगे और वे अच्छा दाम मिलने पर किसी भी स्थान पर अपनी फसल बेच सकते हैं।

प्रदर्शनों के कारण यातायात रहा बाधित

कृषि विधेयकों के खिलाफ किसानों ने पंजाब के कई स्थानों पर जमकर बवाल काटा। किसानों ने फगवाड़ा, मुक्तसर, अमृतसर, पटियाला और बठिंडा समेत कई स्थानों पर प्रदर्शन किए, जिसके कारण यातायात बाधित हो गया। किसान फगवाड़ा-होशियारपुर सड़क पर एकत्र हुए और उन्होंने मार्च निकाला। इसके बाद उन्होंने प्रधानमंत्री का पुतला फूंका और आरोप लगाया कि दिल्ली में कृषि मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बैठक में उनके नेताओं का 'अनादर' किया गया। उल्लेखनीय है कि कई किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने केंद्रीय कृषि सचिव के साथ इन कानूनों पर चर्चा के लिए दिल्ली में आयोजित बैठक से बुधवार को उस समय बहिर्गमन कर दिया था, जब उन्हें पता लगा था कि बैठक में कोई केंद्रीय मंत्री शामिल नहीं हुआ है।

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