पंजाब में पराली जलाए जाने पर नजर रखने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने बनाई कमेटी

पिछले लंबे समय से यूपी, हरियाणा और पंजाब में पराली जलाए जाने का मसला बना हुआ है। इन राज्यों में पराली जलाए जाने से गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ता है। खासकर दिल्ली और आसपास के इलाकों में वायु प्रदूषण बदतर हालत में पहुंच जाता है।;

Update: 2020-10-16 12:40 GMT

नई दिल्ली। पिछले लंबे समय से यूपी, हरियाणा और पंजाब में पराली जलाए जाने का मसला बना हुआ है। इन राज्यों में पराली जलाए जाने से गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ता है। खासकर दिल्ली और आसपास के इलाकों में वायु प्रदूषण बदतर हालत में पहुंच जाता है। इस मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने पराली जलाए जाने के कारण होने वाले प्रदूषण की समस्या पर सुनवाई की। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने हरियाणा और पंजाब सरकार के वकीलों से पूछा कि क्या उनके पास एनसीसी कैडेट्स की पर्याप्त संख्या है जो पराली जलाने और निपटाने की समस्या को लेकर जागरुकता फैलाने, किसानों से पराली न जलाने की अपील कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पराली जलाए जाने पर नजर रखने के लिए जस्टिस मदन बी लोकुर की एक सदस्यीय मॉनिटरिंग कमेटी बनाई। याचिकाकर्ता ने मांग की थी कि पूर्व न्यायाधीश मदन बी लोकुर को पराली जलाने में नियंत्रण के लिए सुप्रीम कोर्ट नियुक्त करे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें जस्टिस लोकुर को नियुक्त करने में परेशानी नहीं है, लेकिन आप एक बार उनसे बात कर लें कि क्या वे तैयार हैं। इन तीनों राज्यों के चीफ सेक्रेटरी जस्टिस लोकुर को सहयोग करेंगे। ये कमेटी फिजिकल सर्वे करेगी। एनसीसी/ एनएसएस और भारत स्काउट गाइड के लोग भी सहयोग करेंगे।

वहीं, सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा कि ईपीसीए को इस मामले में जिम्मेदारी सौंपी गई है। एमाइकस क्यूरे पहले से नियुक्त हैं। याचिकाकर्ता ने कहा कि फिलहाल पश्चिमी यूपी में पराली जलाने कि गतिविधि रोकने के लिए व्यवस्था की जानी चाहिए। याचिकाकर्ता के वकील विकास सिंह ने कहा कि पंजाब सरकार ने एक मोबाइल एप से पराली जलाने से रोकने की व्यवस्था की है। इसके जरिए तत्काल शिकायत होती है। यूपी, हरियाणा ने अब तक कोई जवाब नहीं दिया है।

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