Air Force Day : आसमान में 'सुपर पावर' भारत
देश की करीब 24 हजार किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा की जिम्मेदारी भारतीय वायुसेना पूरी मुस्तैदी के साथ निभाती रही है। अत्याधुनिक विमान, हेलीकॉप्टर, मिसाइल इत्यादि वायुसेना का अहम हिस्सा बन जाने के बाद वायुसेना की युद्धक क्षमताएं काफी ज्यादा बढ़ी हैं और पहले से ज्यादा मजबूत हुए हैं तथा दुश्मन की किसी भी तरह की हरकत का पहले के मुकाबले अधिक ताकत के साथ जवाब देने में सक्षम हुए हैं। इस समय राफेल, सी-17 ग्लोबमास्टर, सी-130जे सुपर हरक्युलिस, मिराज, जगुआर, सुखोई, मिग-21 बायसन, प्रचंड तथा अन्य लड़ाकू विमान और मिसाइलें भारतीय वायुसेना की बेमिसाल ताकत बने हैं।;
योगेश कुमार गोयल
भारतीय वायुसेना दिवस पर प्रतिवर्ष एक एयर-शो का प्रदर्शन किया जाता है, जिसके माध्यम से सेना पूरी दुनिया को अपना दमखम दिखाती है। इसी एयर शो के जरिये वायुसेना के कई विमान और हेलीकॉप्टर आसमान में हैरतअंगेज करतब दिखाते हुए वायुसेना की निरन्तर बढ़ती ताकत का स्पष्ट अहसास कराते हैं। प्रतिवर्ष हिंडन एयरबेस में यह शो किया जाता है, लेकिन इस वर्ष पहली बार यह चंडीगढ़ में आयोजित किया जाएगा, जिसमें होने वाले एयर शो में कुल 83 एयरक्राफ्ट हैं। एयर शो के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और तीनों सेना प्रमुखों के साथ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगी। वायुसेना दिवस के अवसर पर वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल विवेक राम चौधरी वायुसेना कर्मियों के लिए नई युद्धक वर्दी का अनावरण करेंगे। एयर शो में 44 फाइटर एयरक्राफ्ट, 7 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट, 20 हेलीकॉप्टर तथा 7 विंटेज एयरक्राफ्ट शामिल हो रहे हैं जबकि 9 एयरक्राफ्ट स्टैंडबाय पर रखे जाएंगे। चंडीगढ़ में सुखना झील परिसर में वायुसेना दिवस 'फ्लाई-पास्ट' के लिए तैनात किए जाने वाले विमानों और हेलीकॉप्टरों में इस बार नए लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर भी शामिल हैं और 3 अक्तूबर को ही वायुसेना के बेड़े में शामिल हुआ भारत का पहला स्वदेशी हल्का लड़ाकू हेलीकॉप्टर 'प्रचंड' भी एयर शो के दौरान अपनी हवाई शक्ति का प्रदर्शन करेगा। एलसीएच 'प्रचंड' के अलावा हल्के लड़ाकू विमान तेजस, सुखोई, मिग-29, जगुआर, राफेल, आईएल-76, सी-130जे और हॉक सहित कई अन्य विमान तथा हेलीकॉप्टरों में उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर ध्रुव, चिनूक, अपाचे और एमआई-17 'फ्लाई-पास्ट' का हिस्सा होंगे।
भारतीय वायुसेना का ध्येय वाक्य है 'नभः स्पृशं दीप्तम' अर्थात् आकाश को स्पर्श करने वाले दैदीप्यमान। गीता के 11वें अध्याय से लिए गए ये शब्द भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत युद्ध के दौरान अर्जुन से कहे थे। 'ग्लोबल फायरपावर' के अनुसार दुनिया की शक्तिशाली वायुसेना के मामले में चीन तीसरे और भारत चौथे स्थान पर है। देश की करीब 24 हजार किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा की जिम्मेदारी भारतीय वायुसेना पूरी मुस्तैदी के साथ निभाती रही है। अत्याधुनिक विमान, हेलीकॉप्टर, मिसाइल इत्यादि वायुसेना का अहम हिस्सा बन जाने के बाद वायुसेना की युद्धक क्षमताएं काफी ज्यादा बढ़ी हैं और अब हम हवा में पहले से बहुत ज्यादा मजबूत हुए हैं तथा दुश्मन की किसी भी तरह की हरकत का पहले के मुकाबले अधिक तेजी और ताकत के साथ जवाब देने में सक्षम हुए हैं। इस समय राफेल, सी-17 ग्लोबमास्टर, सी-130जे सुपर हरक्युलिस, मिराज, जगुआर, सुखोई, मिग-21 बायसन, मिग-29, चिनूक, अपाचे, प्रचंड तथा कई अन्य अत्याधुनिक लड़ाकू विमान, हेलीकॉप्टर और मिसाइलें भारतीय वायुसेना की बेमिसाल ताकत बने हैं और आगामी 2-3 वर्षों में तेजस, कॉम्बैट हेलीकॉप्टर, ट्रेनर एयरक्राफ्ट सहित कई और ताकतवर हथियार वायुसेना की अभेद्य ताकत बनेंगे। आसमान में देश की सुरक्षा की जिम्मेदारी पूरी तरह भारतीय वायुसेना के ही हाथों में होती है, इसलिए दुश्मन देशों की चुनौतियों का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए वायुसेना को लगातार मजबूती प्रदान करना बेहद जरूरी है और भारत के लिए गर्व की बात है कि भारतीय वायुसेना को अब दुनिया की चौथी बड़ी सैन्यशक्ति वाली वायुसेना माना जाता है, जिसकी जांबाजी के अनेक किस्से दुनियाभर में विख्यात हैं।
भारतीय वायुसेना चीन के साथ एक तथा पाकिस्तान के साथ चार युद्धों में अपना पराक्रम दिखा चुकी है। द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात 1947 में भारत-पाक युद्ध, कांगो संकट, ऑपरेशन विजय, 1962 में भारत-चीन तथा 1965 और 1971 में भारत-पाक युद्ध, ऑपरेशन मेघदूत, ऑपरेशन पूमलाई, ऑपरेशन पवन, ऑपरेशन कैक्टस, 1999 में कारगिल युद्ध इत्यादि में अपनी वीरता का असीम परिचय देते हुए वायुसेना ने हर तरह की विकट परिस्थितियों में भारत की आन-बान की रक्षा की। भारतीय वायुसेना की पहली स्क्वाड्रन 1993 में बनी थी और प्रत्येक भारतीय के लिए गर्व की बात है कि हमारी वायुसेना अब इतनी ताकतवर हो चुकी है कि इसमें फाइटर एयरक्राफ्ट, मल्टीरोल एयरक्राफ्ट, हमलावर एयरक्राफ्ट तथा हेलीकॉप्टरों सहित 2200 से अधिक एयरक्राफ्ट तथा 900 से ज्यादा कॉम्बैट एयरक्राफ्ट शामिल हो चुके हैं। पड़ोसी देशों की फितरत को देखते हुए अत्याधुनिक तकनीकों से सुसज्जित एयरक्राफ्ट तथा लड़ाकू विमान वायुसेना में शामिल किए जाने की प्रक्रिया लगातार जारी है। भारत के मुकाबले चीन के पास भले ही दो गुना लड़ाकू और इंटरसेप्टर विमान हैं, भारत से दस गुना ज्यादा रॉकेट प्रोजेक्टर हैं लेकिन रक्षा विश्लेषकों के अनुसार चीनी वायुसेना भारत के मुकाबले मजबूत दिखने के बावजूद भारत का पलड़ा उस पर भारी है। दरअसल भारतीय लड़ाकू विमान चीन के मुकाबले ज्यादा प्रभावी हैं। रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक गिनती और तकनीकी मामले में भले ही चीन सहित कुछ देश हमसे आगे हो सकते हैं, लेकिन संसाधनों के सटीक प्रयोग और बुद्धिमता के चलते दुश्मन देश सदैव भारतीय वायुसेना के समक्ष थर्राते हैं। एक बार में 4200 से 9000 किलोमीटर की दूरी तक 40-70 टन के पेलोड ले जाने में सक्षम सी-17 ग्लोबमास्टर एयरक्राफ्ट भी वायुसेना के बेड़े में शामिल हैं। चिनूक और अपाचे जैसे अत्याधुनिक हेलीकॉप्टर भी वायुसेना की मजबूत ताकत बने हैं।
इसकी स्थापना के समय वायुसेना पर आर्मी का ही नियंत्रण होता था। इसे एक स्वतंत्र इकाई का दर्जा दिलाया था इंडियन एयरफोर्स के पहले कमांडर-इन-चीफ सर थॉमस डब्ल्यू एल्महर्स्ट ने, जो हमारी वायुसेना के पहले चीफ एयर मार्शल बने थे। स्थापना के समय इसमें केवल चार एयरक्राफ्ट थे और इन्हें संभालने के लिए कुल 6 अधिकारी और 19 जवान थे। आज वायुसेना में डेढ़ लाख से भी अधिक जवान और हजारों एयरक्राफ्ट्स हैं। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात वायुसेना को अलग पहचान मिली और 1950 में रॉयल इंडियन एयरफोर्स का नाम बदलकर इंडियन एयरफोर्स कर दिया गया। एयर मार्शल सुब्रतो मुखर्जी इंडियन एयरफोर्स के पहले भारतीय प्रमुख थे। उनसे पहले तीन ब्रिटिश ही वायुसेना प्रमुख रहे। इंडियन एयरफोर्स का पहला विमान ब्रिटिश कम्पनी 'वेस्टलैंड' द्वारा निर्मित 'वापिती-2ए' था। बहरहाल, भारतीय वायुसेना ने समय के साथ बहुत तेजी से बदलाव किए हैं और काफी हद तक कमियों को दूर भी किया गया है। रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार हमारे पड़ोस में उभरते खतरे के परिदृश्य में युद्ध लड़ने की मजबूत क्षमता होना आवश्यक है और भारतीय वायुसेना ऑपरेशनली सर्वश्रेष्ठ है।
( लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, ये उनके अपने विचार हैं। )