ममता के तानाशाही भरे फैसले, खतरे में अभिव्यक्ति की आजादी

लोकतंत्र की बुनियादी शर्तों में से एक है अभिव्यक्ति की आजादी, लेकिन पश्चिम बंगाल में क्या हो रहा है? सत्ता के मद में चूर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस आजादी को कुचलने का काम कर रही हैं।;

Update: 2019-05-15 18:30 GMT

लोकतंत्र की बुनियादी शर्तों में से एक है अभिव्यक्ति की आजादी, लेकिन पश्चिम बंगाल में क्या हो रहा है? सत्ता के मद में चूर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस आजादी को कुचलने का काम कर रही हैं। पश्चिम बंगाल लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी उन्हें कड़ी टक्कर दे रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की रैलियों में उमड़ रही भीड़ इस बात का संदेश है कि हवा का रुख बदल रहा है। इसी के चलते मुख्यमंत्री तानाशाही पर उतर आईं हैं। इसका ताजा उदाहरण हैं प्रियंका शर्मा।

बीवाईजेएम की कार्यकर्ता प्रियंका शर्मा ने ममता बनर्जी की फोटोशॉप्ड तस्वीर शेयर की थी। तस्वीर में प्रियंका चोपड़ा के मेट गाला अवतार में ममता बनर्जी को दिखाया गया था। इस तस्वीर को लेकर टीएमसी कार्यकर्ताओं और नेताओं की ओर से बेहद तीखी प्रतिक्रिया आई थी। प्रियंका शर्मा को कोलकाता पुलिस ने 10 मई को गिरफ्तार कर लिया और उसे 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। न्याय की गुहार लेकर जब प्रियंका के परिजन सुप्रीम कोर्ट पहुंचे तो शीर्ष अदालत ने प्रियंका को सशर्त जमानत दी।

कोर्ट ने कहा था कि प्रियंका को जेल से बाहर आने के बाद ममता बनर्जी से माफी मांगनी होगी। हालांकि बाद में कोर्ट ने प्रियंका के वकील एनके कौल को बुलाकर अपने आदेश में बदलाव करते हुए उसमें से पहले माफी मांगने की शर्त हटाने और रिहा होने के बाद माफी मांगने की जानकारी दी। वरिष्ठ वकील एनके कौल ने याचिकाकर्ता का पक्ष रखते हुए कहा कि इससे अभिव्यक्ति की आजादी के खिलाफ संदेश जाएगा। माफी मांगने का निर्देश अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार पर आघात की तरह है।

सुप्रीम कोर्ट ने तो प्रियंका को आजादी दे दी, लेकिन ममता बनर्जी को कौन समझाए। वो लगातार तानाशाही भरे फैसले ले रही हैं। विरोधियों खासकर भाजपा को पश्चिम बंगाल में चुनाव के कई महीने पहले से ही जनसभा, रैली, रथ यात्रा जैसे कार्यक्रम करने से रोका जा रहा है। चुनाव की घोषणा से पहले प्रधानमंत्री तक के कार्यक्रम में अड़ंगा लगाने की कोशिश की गई। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हेलीकॉप्टर को उतरने की इजाजत ही नहीं मिली। भाजपा के कई सभास्थल में पानी भरवा दिया गया ताकि कार्यक्रम न हो सके।

बीते साल दिसंबर में भाजपा ने गणतंत्र बचाओ यात्रा नाम से दो रथयात्राएं निकालने का कार्यक्रम बनाया था, लेकिन प्रशासन ने इसकी इजाजत नहीं दी। भाजपा सुप्रीम कोर्ट तक जाकर भी यात्रा नहीं निकाल पाई। ममता की तानाशाही के चलते ही मतदान के छह चरणों में लगातार हिंसा होती रही, जिसमें दो भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या कर दी गई। अब सातवें चरण के मतदान से पहले मंगलवार को टीएमसी कार्यकर्ताओं ने जगह-जगह लगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के पोस्टर हटा दिए।

इसके बाद टीएमसी और बीजेपी समर्थकों के बीच बवाल शुरू हो गया। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने इसे लोकतंत्र की हत्या करार दिया। पिछले साल हुए पंचायत चुनाव में भी तृणमूल के खिलाफ खड़े प्रत्याशियों को बैठने पर मजबूर किया गया। दबाव बनाने के लिए प्रत्याशियों के घर-परिवार पर हमले हुए। आतंक फैलाने के लिए हत्या, जानलेवा हमले जैसी हिंसक वारदातों का सहारा लिया गया।

कूचबिहार के दिनहाटा सब-डिविजन इलाके में तो महीनों हिंसा का तांडव चला। ममता बनर्जी अपने मनमाने आचरण से यही दर्शा रही हैं कि सत्ता जाने के भय से नेता किस तरह बेलगाम हो जाते हैं। इस पर यकीन करना कठिन है कि यह वही ममता बनर्जी हैं जो संघीय ढांचे की रक्षा के लिए चिंता जताया करती थीं। अब उनके तानाशाही भरे फैसले तो संघीय ढांचे की मूल भावना पर ही प्रहार करने वाले हैं।

और पढ़े: Haryana News | Chhattisgarh News | MP News | Aaj Ka Rashifal | Jokes | Haryana Video News | Haryana News App 

Tags:    

Similar News