Yogini Ekadashi 2019 : योगिनी एकादशी उद्यापन विधि और कथा

Yogini Ekadashi 2019/योगिनी एकादशी 2019
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योगिनी एकादशी की कथा (Yogini Ekadashi Katha)
एक कथा के अनुसार स्वर्गलोक में अलकापुरी नाम की एक नगरी हुआ करती था वहां का कुबेर नाम का राजा राज करता था । वह बहुत बड़ा शिव भक्त था और हमेशा शिव भक्ति में लीन रहता था। उसके यहां एक पुष्प नाम का माली काम करता था। राजा ने उसे प्रतिदिन पूजा के लिए फूल लाने का काम सौंप रखा था।
हेम का विवाह एक बड़ी ही सुंदर स्त्री से हुआ था । जिसका नाम विशालाक्षी था। हेम और विशालाक्षी एक - दूसरे से बहुत अधिक प्रेम करते थे। एक दिन राजा ने पूजा के लिए हेम को फूल लाने के लिए भेजा । उस समय हेम की पत्नी भी बगीचे में मौजूद थी । हेम उसकी सुंदरता में इतना खो गया कि उसे समय का पता ही नहीं चला ।
राजा पूजा के लिए हेम की राह देखता रहा और जब वह समय पर नहीं पहुंचा को वह उस पर बहुत क्रोधित हुआ। इसके बाद राजा ने हेम को खोजने के लिए अपने सैनिकों को भेजा। सैनिकों ने जब कुबेर को माली के समय पर न आने का कारण बताया तो क्रोधित होकर उसने माली को श्राप दे दिया।
जिसके कारण हेम ने पृथ्वीलोक पर एक कोढ़ी के रूप में जन्म लिया, परन्तु पिछले जन्म की सभी घटनाएं उसे याद रहीं। रोगी काया और पत्नी से विछोह के कारण हेम बहुत दुखी था। एक दिन चलते -चलते हेम मार्कंडेय ऋषि के आश्रम पहुंचा। उसकी दशा देखकर ऋषि को उस पर दया आ गई । जब ऋषि ने उसकी इस दुर्दशा का कारण पूछा तो उसने सारी घटना का ऋषि को बताई।
मार्कंडेय ऋषि ने हेम को योगिनी एकादशी का महत्व और उसकी व्रत विधि बताई । मार्कंडेय ऋषि ने हेम की समस्या का समाधाना बताते हुए योगिनी एकादशी का व्रत करने के लिए कहा। हेम ने मार्कंडेय ऋषि के अनुसार योगिनी एकादशी का व्रत किया और अपने कोढ़ी स्वरूप से मुक्त हो गया । जिसके बाद उसकी पत्नी भी उसे वापस प्राप्त हो गई। इसके बाद हेम प्रत्येक योगिनी एकादशी का व्रत रखने लगा।
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