Jyotish shastra: गंडांत योग में जन्म लेने वाला जातक माता-पिता के लिए होता है अशुभ, जानिए राशियों की दृष्टि और मान
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कर्क, वृश्चिक और मीन यानि इन तीनों राशियों के अन्तिम अंश को 'राशि सन्धि' कहा जाता है। और ज्योतिष शास्त्री इसे ही गंडांत कहते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ऐसा माना जाता है कि गंडांत में उत्पन्न होने वाला शिशु अपने कुल, माता और पिता के लिए बहुत घातक होता है। और ज्योतिष शास्त्र में यह भी बताया गया है कि यदि ऐसा बच्चा जीवित रहे तो वह अपने जीवनकाल में बहुत धनी होता है।;
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कर्क, वृश्चिक और मीन यानि इन तीनों राशियों के अन्तिम अंश को 'राशि सन्धि' कहा जाता है। और ज्योतिष शास्त्री इसे ही गंडांत कहते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ऐसा माना जाता है कि गंडांत में उत्पन्न होने वाला शिशु अपने कुल, माता और पिता के लिए बहुत घातक होता है। और ज्योतिष शास्त्र में यह भी बताया गया है कि यदि ऐसा बच्चा जीवित रहे तो वह अपने जीवनकाल में बहुत धनी होता है।
राशियों की दृष्टि
1. ज्योतिष में जिस प्रकार सभी ग्रहों आदि की दृष्टि होती है, उसी प्रकार सभी राशियों की भी दृष्टि ज्योतिष शास्त्र में मानी जाती है।
2. ज्योतिष के अनुसार सभी चर राशियां अपने से द्वितीय भाव गत, स्थिर राशि को छोड़कर, शेष तीनों स्थिर राशियां और उनमें स्थित सभी ग्रहों को देखती हैं।
3. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सभी स्थिर राशियां अपने से द्वादशगत चर राशि को छोड़कर शेष तीनों चर राशियों व इनमें स्थित सभी ग्रहों को देखती हैं।
4. सभी द्विस्वभाव राशियां अपने अतिरिक्त सभी द्विस्वभाव राशियों व इनमें स्थित ग्रहों को देखती हैं। और ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह पूर्ण दृष्टि है।
राशियों का मान
मेष, वृष, कुंभ, मीन, ह्रस्व मिथुन, कर्क, धनु, सिंह मध्य मकर, कन्या, तुला, वृश्चिक दीर्घ राशियां हैं।
जिन अंगों में जो राशि जन्म समय पड़े वही अंग दीर्घ, मध्य व ह्रस्व होता है। दीर्घ अर्थात अधिक विकसित या बड़ा व ह्रस्व छोटा या कम विकसित।