Ahoi Ashtami 2022: अहोई अष्टमी कब है, ध्यान रहें इस कथा को पढ़े या सुने बिना नहीं होगा व्रत पूरा

Ahoi Ashtami 2022: साल 2022 में अहोई अष्टमी कब है, इस व्रत की पूजा विधि क्या है और अहोई अष्टमी की व्रत कथा क्या है।;

Update: 2022-10-10 08:25 GMT

Ahoi Ashtami 2022: साल 2022 में अहोई अष्टमी कब है, इस व्रत की पूजा विधि क्या है और अहोई अष्टमी की व्रत कथा क्या है।

प्रत्येक वर्ष में कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस पर्व पर माताएं अपने बच्चों के लिए व्रत करती हैं। तथा बच्चों की लंबी उम्र और खुशहाल जीवन व सुख-समृद्धि के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। वहीं इस दिन माताएं अपने बच्चों के अच्छे स्वास्थ्य की कामना करती हैं। इस व्रत में माता पार्वती की पूजा करने का विधान है। ऐसी मान्यता है कि, अहोई अष्टमी के दिन जो भी कोई महिला माता पार्वती की पूजा-अर्चना करती है, माता उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं।

अहोई अष्टमी का व्रत करने के लिए माताएं सुबह सूर्योदय से पूर्व उठकर एक करवे अर्थात मिट्टी के बर्तन में जल भरकर रखती हैं। इसके बाद माता अहोई का ध्यान करते हुए अपनी संतान की सलामती के लिए विधिपूर्वक पूजा करती हैं। अहोई अष्टमी के दिन माताएं पूरे दिन निर्जल उपवास करती हैं।

अहोई अष्टमी शुभ मुहूर्त 2022 (Ahoi Ashtami Shubh Muhurat 2022)

अहोई अष्टमी व्रत तिथि

 17 अक्टूबर 2022, दिन सोमवार

पूजा मुहूर्त 

शाम 05:50 बजे से शाम 07:05 बजे तक

पूजा की अवधि 

01 घंटा 15 मिनट

स्नान का टाइम 

17 अक्टूबर 2022, दिन सोमवार

तारों को देखने का समय

 रात्रि 06:13 बजे

अहोई अष्टमी चंद्रोदय 

टाइम रात्रि 11:24 बजे

अष्टमी तिथि प्रारंभ 

17 अक्टूबर सुबह 09:29 बजे से

अष्टमी तिथि समाप्त

 18 अक्टूबर सुबह 11:57 बजे

अहोई अष्टमी व्रत कथा ((Ahoi Ashtami Vrat Katha)

पौराणिक कथा के अनुसार, किसी नगर में एक साहूकार अपने सात बेटों और एक बेटी के साथ रहता था। साहूकार ने सभी बेटे और अपनी एक बेटी का विवाह कर दिया। जिसके बाद उसके घर में सात पुत्रवधु भी आ गईं। साहूकार की बेटी कार्तिक माह में अपने मायके आयी हुई थी और दीपावली के त्योहार से पहले ही उन्हें अपना घर लीपना था। इसीलिए साहूकार की सभी पुत्रवधु उसकी बेटी के साथ जंगल में मिट्टी लेने के लिए गईं।

कथा के अनुसार, जिस स्थान से साहूकार की बेटी मिट्टी खोद रही थी, उसी स्थान पर स्याहु (साही) अपने सात बच्चों के संग रहती थी। साहूकार की बेटी की खुरपी से स्याहु का एक बच्चा मर गया। इससे क्रोधित होकर स्याहु ने कहा कि, मैं तुम्हारी कोख बांधूंगी।

स्याहु की बात सुनकर साहूकार की बेटी ने अपनी सभी भाभियों से कहा कि, वे उसके बदले अपनी कोख बंधवा लें। उसके ऐसा कहने पर उसकी सबसे छोटी भाभी उसकी बात मान लेती है और उसके बाद साहूकार की छोटी पुत्रवधु के गर्भ से जो भी बच्चे पैदा होते हैं, वे सब सात दिनों में ही मर जाते हैं।

एक बार निराश होकर उसने किसी ब्राह्मण से इसका उपाय पूछा, तो ब्राह्मण ने सुराही गाय की सेवा करने की सलाह दी। जिसके बाद साहूकार की छोटी पुत्रवधु ने सुराही गाय की भरपूर सेवा की।

कुछ समय बाद सुराही गाय ने प्रसन्न होकर उससे वरदान मांगने को कहा, जिस पर साहूकार की छोटी पुत्रवधु ने उसे बताया कि, एक हादसे में मेरी ननद के द्वारा स्याहु के बच्चे की मौत हो जाने के कारण स्याहु ने मुझे श्राप दिया था, जिसके कारण मेरे बच्चे नहीं होते और मेरी कोख बंधी हुई है, आप मुझ पर प्रसन्न हैं तो मुझे संतान सुख का वरदान दें।

इसके बाद सुराही गाय साहूकार की छोटी पुत्रवधु को लेकर स्याहू माता के पास पहुंची और वहीं रूककर स्याहु माता की पूजा की और उनसे संतान सुख का आशीर्वाद मांगा। जिसके बाद स्याहु माता ने उसे वरदान दिया कि, तेरे सभी बच्चे तुझे प्राप्त हो जाएंगे।

वहीं अहोई का तात्पर्य अनहोनी को होनी में बदलने से भी है। जैसा कि, साहूकार की छोटी पुत्रवधु ने कर दिया और अहोई माता ने उसकी कोख खोल दी, ऐसे ही अहोई माता इस व्रत को करने वाली और कथा को सुनने और पढ़ने वाली सभी महिलाओं की इच्छा पूरी करें।

(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।)

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