Amalaki Ekadashi 2021 : जानें, आमलकी एकादशी कथा, शुभ मुहूर्त, और महत्व

  • आमलकी एकादशी (Amalaki Ekadashi) फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन मनायी जाती है।
  • एकादशी के दिन भगवान श्रीहरि विष्णु (Shri Hari Vishnu) की पूजा करने का विधान है।
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Update: 2021-03-23 05:05 GMT

Amalaki Ekadashi 2021 : आमलकी एकादशी (Amalaki Ekadashi) फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन मनायी जाती है। एकादशी के दिन भगवान श्रीहरि विष्णु (Shri Hari Vishnu) की पूजा करने का विधान है। हिन्दू शास्त्रों के मुताबिक, आमलकी एकादशी के दिन आंवले के वृक्ष की पूजा और आंवले का उपयोग करने से भगवान श्री हरि विष्णु बहुत अधिक प्रसन्न होते हैं। तो आइए जानते हैं आमलकी एकादशी 2021 में कब है, आमलकी एकादशी का शुभ मुहूर्त, आमलकी एकादशी का महत्व और भगवान विष्णु की कथा के बारे में।

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आमलकी एकादशी 2021 शुभ मुहूर्त (Amalaki Ekadashi 2021 Shubh Muhurt)

आमलकी एकादशी व्रत तिथि : 25 मार्च 2021, दिन गुरुवार

एकादशी तिथि प्रारंभ : 24 मार्च प्रात:काल 10 बजकर 23 मिनट पर

एकादशी तिथि समाप्त  : 25 मार्च प्रात:काल 09 बजकर 47 मिनट पर

एकादशी व्रत पारण का समय :  26 मार्च प्रात:काल 06 बजकर 22 मिनट से 08 बजकर 21 मिनट तक

व्रत पारण की अवधि  : 02 घंटे

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आमलकी एकादशी की कथा (Amalaki Ekadashi Story)

पौराणिक कथा के अनुसार एक दिन सृष्टि के पालनकर्ता श्री विष्णु जी की नाभि से उत्पन्न हुए ब्रह्मा जी के मन में एक विचार उठा कि वह कौन हैं और उनकी उत्पत्ति कैसे हुई। इसके बाद ब्रह्मा जी अपनी जिज्ञासा शांत करने के उद्देश्य से परब्रह्म की तपस्या करने लगे। ब्रह्मा जी की तपस्या से प्रसन्‍न होकर भगवान विष्णु प्रकट हुए और भाव विव्हल ब्रह्मा जी के आंसू उनके चरणों पर गिरे और उन आंसुओं से आंवले का एक वृक्ष उत्पन्न हुआ। ब्रह्मा जी की भक्ति से भगवान ने कहा कि इन आंसुओं से उत्पन्न ये वृक्ष और इसके फल मुझे अति प्रिय रहेंगे। जो भी आमलकी एकादशी के दिन आंवले के वृक्ष की पूजा करेगा उसके सारे पाप समाप्त हो जाएंगे और वह मोक्ष प्राप्ति का अधिकारी होगा। इसी कारण से आमलकी एकादशी के दिन आंवले के वृक्ष को अधिक महत्व दिया जाता है। इस दिन आंवला के वृक्ष की पूजा करके खाने से सभी प्रकार के दोषों का शमन होता है।

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आमलकी एकादशी का महत्व (Amalaki Ekadashi Ka Mahatva)

  1. फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को आमलकी एकादशी के नाम से जाना जाता है। हिन्दू धर्म में आंवला के पेड़ को श्रेष्ठ स्थान प्राप्त है।
  2. माना जाता है कि जब भगवान श्री हरि विष्णु ने जब सृष्टि की रचना के लिए जब ब्रह्मा जी को जन्म दिया था। उस समय से ही आंवले के वृक्ष की उत्पत्ति भी हुई थी।
  3. आवंले के वृक्ष को भगवान विष्णु ने आदि वृक्ष के रूप में प्रतिष्ठित किया है। माना जाता है कि आवलें के वृक्ष के अंदर स्वयं श्री हरि भगवान विष्णु का वास है।
  4. इसी कारण से आमलकी एकादशी के दिन आंवले के वृक्ष की पूजा की जाती है और आंवले के वृक्ष की परिक्रमा की जाती है इस दिन आंवले का सेवन भी किया जाता है।
  5. आंवले का सेवन करने से मनुष्य के जीवन के सभी पाप कट जाते हैं। इसी कारण से इस दिन भगवान विष्णु को प्रसाद के रूप में भी आंवला चढ़ाया जाता है। आमलकी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करन से सभी सुखों की प्राप्ति तो होती ही है। इसके साथ ही मरने के बाद बैकुंठ धाम की प्राप्ति भी होती है।

(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)

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