Masik shivratri 2022: आषाढ मासिक शिवरात्रि कब है, जानें शुभ मुहूर्त, डेट और पूजा विधि

Masik shivratri 2022: हिन्दू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन भगवान शिव के लिए व्रत रखकर पूजा-अर्चना की जाती है। वहीं सोमवार का दिन भी भगवान शिव को समर्पित होता है। पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास की मासिक शिवरात्रि सोमवार को होने के कारण इसका महत्व और अधिक बढ़ जाता है। मान्यता है कि, इस दिन भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना और व्रत रखने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।;

Update: 2022-05-26 03:04 GMT

Masik shivratri 2022: हिन्दू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन भगवान शिव के लिए व्रत रखकर पूजा-अर्चना की जाती है। वहीं सोमवार का दिन भी भगवान शिव को समर्पित होता है। पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास की मासिक शिवरात्रि सोमवार को होने के कारण इसका महत्व और अधिक बढ़ जाता है। मान्यता है कि, इस दिन भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना और व्रत रखने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।

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आषाढ़ मासिक शिवरात्रि 2022 शुभ मुहूर्त

आषाढ़ मासिक शिवरात्रि दिन और तारीख 

27 जून 2022, दिन सोमवार

पूजा का समय

 12:04 AM 12:44 AM, 28 जून

पूजा की अवधि

 40 मिनट

आषाढ, कृष्ण चतुर्दशी प्रारंभ

 03:25 AM, 27 जून

आषाढ, कृष्ण चतुर्दशी समाप्त 

05:52 AM, 28 जून

मासिक शिवरात्रि पूजा विधि

शिवरात्रि के दिन प्रात: जल्दी उठकर स्नान आदि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें। पूरे घर की साफ-सफाई करें और अगर आपके घर में शिवलिंग स्थापित हो तो उसे भी साफ करें।

मासिक शिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा सुबह और रात्रि के सभी प्रहर में की जाती है। इसीलिए शुभ मुहूर्त में शिव मंदिर या घर पर ही शिवलिंग या महादेव की तस्वीर की पूजा करें। शिवजी का जलाभिषेक करें। उनको चंदन, अक्षत, बेलपत्र, भांग, मदार, पुष्प, धतूरा, शक्कर, शहद, गंगाजल, गाय का दूध, फल, मिठाई, खीर आदि अर्पित करें।

पूजा के दौरान भगवान शिव के पंचाक्षर मंत्र 'ऊँ नम: शिवाय' का उच्चारण करते रहें।

भगवान गणेश, माता गौरी, भगवान कार्तिकेय और नन्दी की भी पूजा करें। इसके बाद शिव चालीसा का पाठ करें। पूजा के अंत में भगवान शिव की आरती करें। घी का दीपक जलाएं। आरती के बाद प्रसाद का वितरण करें।

रात्रि के समय में जागरण करें और अगले दिन स्नान आदि से निवृत्त होने के पश्चात एक बार फिर से शिव पूजा करें और सूर्योदय के बाद व्रत का पारण करें।

Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।

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