जानिए प्रातःकाल व संध्याकाल में ही क्यों की जाती है पूजा

किसी भी उपासना और अराधना के लिए प्रात:काल और संध्याकाल का समय ही उचित माना जाता है। क्यों कि इस दौरान की गई पूजा और उपासना का आपको पूरा-पूरा फल निश्चित रूप से मिलता है।;

Update: 2020-10-19 09:08 GMT

किसी भी उपासना और अराधना के लिए प्रात:काल और संध्याकाल का समय ही उचित माना जाता है। क्यों कि इस दौरान की गई पूजा और उपासना का आपको पूरा-पूरा फल निश्चित रूप से मिलता है। वैसे पूजा-साधना और उपासना तो कभी भी की जा सकती है लेकिन जैसे कोई भी अनाज किसी भी समय खेत में बोया जा सकता है और उस बोये गए खेत में उस अनाज का अंकुर भी निकलेगा, लेकिन ऋतु के अनुसार न तो फसल की वृद्धि होगी और ना ही ऋतु के अनुसार उपज ही पैदा होगी।

जैसे सभी तरह की फसल के बोने का समय भी अलग-अलग निश्चित होता है। वैसे ही साधना, उपासना, आरती और और धार्मिक अनुष्ठान यज्ञ, हवन आदि का भी समय अलग-अलग निश्चित होता है। तथा शादी-विवाह, गृह प्रवेश और नामकरण जैसे मांगलिक कार्यों का भी शुभ मुहूर्त अलग-अलग होता है लेकिन प्रतिदिन की पूजा और आराधना के लिए प्रात:काल और संध्याकाल का समय ही अधिक उपयोगी होता है। जैसे सही समय पर बोया गया बीज कम परिश्रम और कम लागत में अधिक फसल देता है और किसान का परिश्रम सफल हो जाता है। तथा गर्भाधान का ऋतु-काल विशेष समय तक ही सीमित रहता है। जैसे वसंत ऋतु में पेड़-पौधों पर, पशु पक्षियों पर स्वभाविक रूप से ही उल्लास और उमंग छायी रहती है। बसंत ऋतु के दौरान पेड़-पौधों और पशु-पक्षियों तथा समस्त जीवधारियों में फूलने-फलने का उत्साह बाहर से नहीं, वह तो स्वभाविक रूप से उत्पन्न होता है।

जैसे प्रकृति की प्रेरणा से विशेष समय पर, विशेष प्रयोजन के लिए, विशेष प्रभाव उत्पन्न होते हैं। और अनुकूल परिस्थिति में जो भी प्रयत्न किया जाता है उसमें व्यक्ति को अधिक सफलता मिलती है। इसलिए ईश्वर की उपासना के लिए कोई भी समय निषेध नहीं है, लेकिन विशिष्टता की दृष्टि से उपयुक्त समय का महत्व अधिक होता है। दिन और रात्रि के मिलन की बेला दो समय पर आती है, उसे संधि-काल कहते हैं।

संधि के समय जो पूजा-साधना-प्रार्थना और आरती आदि की जाती है उसे ही संध्या कहते हैं। भगवान का नाम किसी भी समय लिया जा सकता है, उसके लिए कोई रोक-टोक नहीं है, परंतु प्रातःकाल एवं सायंकाल को ही भगवान के नाम सुमिरण और ईश्वर की आराधना के लिए सर्वाधिक उपयुक्त माना गया है।

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