Bach Baras 2021: पुत्र की दीर्घायु के लिए महिलाएं करती है बछ बारस, जानें डेट और पूजा विधि
Bach Baras 2021: बछ बारस का पर्व 4 सितम्बर 2021 को मनाया जाएगा। इस दिन गौमाता की बछड़े सहित पूजा की जाती है। माताएं अपने पुत्रों को तिलक लगाकर तलाई फोड़ने के बाद लड्डू का प्रसाद देती है यानि आज के दिन पुत्रवान महिलाये अपने पुत्र की मंगल कामना के लिए व्रत रखती है और पूजा करती है। इस दिन गेंहू से बने हुए पकवान और चाकू से कटी हुई सब्जी नही खाये जाते हैं। बाजरे या ज्वार का सोगरा और अंकुरित अनाज की कढ़ी व सूखी सब्जी बनाई जाती है। महिलाओं द्वारा सुबह गौमाता की विधिवत पूजा अर्चना करने के बाद घरों या सामूहिक रूप से बनी मिट्टी व गोबर से बनी तलैया को अच्छी तरह सजाकर उसमें कच्चा दूध और पानी भरकर उसकी कुमकुम, मौली, धूप दीप प्रज्वलित कर पूजा करते हैं और बछबारस की कहानी सुनी जाती है।;
Bach Baras 2021: बछ बारस का पर्व 4 सितम्बर 2021 को मनाया जाएगा। इस दिन गौमाता की बछड़े सहित पूजा की जाती है। माताएं अपने पुत्रों को तिलक लगाकर तलाई फोड़ने के बाद लड्डू का प्रसाद देती है यानि आज के दिन पुत्रवान महिलाये अपने पुत्र की मंगल कामना के लिए व्रत रखती है और पूजा करती है। इस दिन गेंहू से बने हुए पकवान और चाकू से कटी हुई सब्जी नही खाये जाते हैं। बाजरे या ज्वार का सोगरा और अंकुरित अनाज की कढ़ी व सूखी सब्जी बनाई जाती है। महिलाओं द्वारा सुबह गौमाता की विधिवत पूजा अर्चना करने के बाद घरों या सामूहिक रूप से बनी मिट्टी व गोबर से बनी तलैया को अच्छी तरह सजाकर उसमें कच्चा दूध और पानी भरकर उसकी कुमकुम, मौली, धूप दीप प्रज्वलित कर पूजा करते हैं और बछबारस की कहानी सुनी जाती है।
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ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया किबछ बारस प्रतिवर्ष जन्माष्टमी के चार दिन पश्चात भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की द्वादशी के दिन 4 सितम्बर को मनाया जाता है इसलिए इस गोवत्स द्वादशी भी कहते है। भगवान कृष्ण के गाय और बछड़ों से बड़ा प्रेम था इसलिए इस त्यौहार को मनाया जाता है और ऐसा माना जाता है की बछ बारस के दिन गाय और बछड़े की पूजा करने से भगवान कृष्ण सहित गाय में निवास करने वाले सैकड़ों देवताओ का आशीर्वाद मिलता है जिससे घर में खुशहाली और सम्पन्नता आती है। बछ बारस का पर्व राजस्थानी महिलाओं में ज्यादा लोकप्रिय है।
पूजन की सामग्री और पूजा की विधि
पूजा के लिए भैंस का दूध और दही , भीगा हुआ चना और मोठ ले। मोठ-बाजरे में घी और चीनी मिलाये। गाय के रोली का टीका लगाकर चावल के स्थान पर बाजरा लगाये। बायने के लिए एक कटोरी में भीगा हुआ चना , मोठ ,बाजरा और रुपया रखे। इस दिन बछड़े वाले गाय की पूजा की जाती है यदि गाय की पूजा नही कर सकते तो एक पाटे पर मिट्टी से बछ बारस बनाते है और उसके बीच में एक गोल मिट्टी की बावड़ी बनाते है। फिर उसको थोडा दूध दही से भर देते है। फिर सब चीजे चढाकर पूजा करते है। इसके बाद रोली ,दक्षिण चढाते है। स्वयं को तिलक लगाते हैं। हाथ में मोठ और बाजरे के दाने को लेकर कहानी सुनाते है। बछ बारस के चित्र की पूजा भी की जा सकती है।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi।com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)