Basant Panchami 2022: बसंत पंचमी पर बनता है विवाह का सबसे उत्तम योग
Basant Panchami 2022: माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी के रूप में मनाया जाता है। इसे बसंत पंचमी के नाम से जाना जाता है है। इस खास पर्व में विद्या और कला की देवी मां सरस्वती की पूजा अर्चना की जाती हैं। मां सरस्वती को समर्पित त्योहार बसंत पंचमी इस बार 5 फरवरी को मनाया जा रहा है। इस दिन को बागीश्वरी जयंती और श्रीपंचमी भी कहा जाता है।;
Basant Panchami 2022: माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी के रूप में मनाया जाता है। इसे बसंत पंचमी के नाम से जाना जाता है है। इस खास पर्व में विद्या और कला की देवी मां सरस्वती की पूजा अर्चना की जाती हैं। मां सरस्वती को समर्पित त्योहार बसंत पंचमी इस बार 5 फरवरी को मनाया जा रहा है। इस दिन को बागीश्वरी जयंती और श्रीपंचमी भी कहा जाता है। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि इस दिन मां सरस्वती प्रकट हुई थी, जिसके कारण इस उत्सव को बसंत पंचमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन मांगलिक कार्य जैसे विवाह, मुंडन संस्कार, कोई नई विद्या आरंभ करना, कोई नया काम शुरू करना, अन्नप्राशन संस्कार, गृह प्रवेश या अन्य कोई शुभ काम करना अच्छा माना जाता है। हर साल की तरह इस साल भी बसंत पंचमी पर लाखों जोड़े विवाह के बंधन में बंध जाएंगे। कहा जाता है कि बसंत पंचमी के दिन अबूझ विवाह के लिए सर्वश्रेष्ठ संयोग और मुहुर्त होता है। यानी जिन जोड़ों के विवाह का कोई मुहूर्त नहीं निकल पाता वो बेझिझक बसंत पंचमी के दिन विवाह कर सकते हैं।
ये भी पढ़ें: Basant Panchami 2022: बसंत पंचमी पर जरुर करें ये पांच काम, जानें शुभ मुहूर्त और पूजाविधि
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 5 फरवरी को प्रातः 3.47 बजे से अगले दिन 6 फरवरी को प्रातः 3.46 बजे तक रहेगी। इस अवसर पर अगले दिन शाम 4 बजे से शाम 7.11 बजे से शाम 5.42 बजे तक सिद्धयोग रहेगा। 5.43 बजे से दिन तक साध्य योग रहेगा। इसके अलावा रवि योग का संयोग भी बना रहा। ये संयोग दिन को शुभ बना रहे हैं। बसंत पंचमी के मांगलिक कार्य जैसे विवाह, मुंडन संस्कार, कोई नई विद्या आरंभ करना, गृह प्रवेश, अन्नप्राशन संस्कार, कोई नया काम शुरू करना या अन्य कोई भी शुभ काम करना शुभ माना जाता है। और खुशी की बात तो ये है कि इस साल इस दिन पर दो शुभ योग भी बन रहे हैं। इस दिन पर शुभ योग में माता सरस्वती की वंदना करने और मंत्रों का जाप करने से मां सरस्वती की कृपा मिलती है। पौराणिक शास्त्रों व कथाओं में बताया गया है कि बसंत पंचमी के दिन शिक्षा व ज्ञान की देवी मां सरस्वती का उद्भव हुआ था, इसलिए इस दिन मां सरस्वती की विशेष पूजा की जाती है।
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि बसंत पंचमी के दिन दोषरहित परम श्रेष्ठ योग के साथ साथ रवि योग भी लगता है जो किसी शुभ काम में बनने वाले विपरीत हालातों का नाश करके शुभ काम को परिपूर्ण करता है। इतना ही नहीं इस दिन अमृत सिद्धि योग भी होता है और पूरे दिन जो भी काम किया जाए, वो शुभ संपन्न होते हैं। कहा जाता है कि इस दिन शादी ही नहीं कोई भी शुभ काम बिना झिझक और बिना मुहुर्त निकाले किया जा सकता है।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)