Bhadli Navmi 2022: भड़ली नवमी होती है बहुत खास, जानें दिन के बारे में ये विशेष बात

Bhadli Navmi 2022: आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को भड़ली नवमी के नाम से जाना जाता है। वहीं शास्त्रों की मानें तो विवाह के मुहूर्त का इंतजार कर रहे लोगों के लिए यह दिन बहुत खास होता है, क्योंकि इस दिन अबूझ मुहूर्त होता है और पूरे दिन किसी भी लग्न में बिना पंचांग देखे ही विवाह संपन्न कराए जा सकते हैं।;

Update: 2022-07-05 03:42 GMT

Bhadli Navmi 2022: आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को भड़ली नवमी के नाम से जाना जाता है। वहीं शास्त्रों की मानें तो विवाह के मुहूर्त का इंतजार कर रहे लोगों के लिए यह दिन बहुत खास होता है, क्योंकि इस दिन अबूझ मुहूर्त होता है और पूरे दिन किसी भी लग्न में बिना पंचांग देखे ही विवाह संपन्न कराए जा सकते हैं।

वहीं पंचांग के अनुसार, इस साल भड़ली नवमी के दिन तीन शुभ योग बन रहे हैं। भड़ली नवमी के दिन शिव योग, सिद्ध योग और रवि योग का निर्माण हो रहा है, जोकि भड़ली नवमी के महत्व में और भी बढ़ा रहे हैं। इस दिन शिव योग सुबह 09:01 बजे तक रहेगा। वहीं सिद्धि योग सुबह 09:01 बजे से अगले दिन यानि 09 जुलाई को सुबह 09:48 बजे तक रहेगा। वहीं रवि योग 08 जुलाई को दोपहर 12:14 बजे से 09 जुलाई को सुबह 05:20 बजे तक रहेगा।

वहीं भड़ली नवमी के दिन अभिजीत मुहूर्त का समय दोपहर 12:05 बजे से दोपहर 12:58 बजे तक रहेगा। वहीं इस दिन दोपहर 12:13 बजे तक चित्रा नक्षत्र रहेगा और उसके बाद स्वाति नक्षत्र प्रारंभ हो जाएगा। पंचांग के मुताबिक, दोनो ही नक्षत्र मांगलिक कार्यों के लिए बहुत शुभ माने जाते हैं।

अबूझ मुहूर्त

भड़ली नवमी के दिन अक्षय तृतीया और फुलेरा दूज के समान ही अबूझ मुहूर्त होता है और इस दिन किसी भी लग्न में विवाह समेत सभी प्रकार के शुभ और मांगलिक कार्यों को किया जा सकता है। भड़ली नवमी के दिन आप शॉपिंग, नया बिजनेस, मुंड़न और गृह प्रवेश आदि कार्य भी कर सकते हैं। क्योंकि इस दिन किसी भी शुभ कार्य को करने के लिए पंचांग देखने की आवश्यकता ही नहीं होती है।

वहीं पंचांग की मानें तो भड़ली नवमी के दो दिन बाद ही यानि आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि अर्थात देवशयनी एकादशी के दिन से ही चातुर्मास शुरु हो जाता है और भगवान श्रीहरि विष्णु चार माह के लिए योग निंद्रा में चले जाते हैं। देवशयनी एकादशी के दिन से ही सभी प्रकार के शुभ और मांगलिक कार्य बंद हो जाते हैं और चार महीने के बाद देवउठनी एकादशी से शुभ और मांगलिक कार्यों की फिर से शुरूआत हो जाती है। इन चार महीनों में समस्त सृष्टि का कार्यभार भगवान शिव के अधीन रहता है।

(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।)

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