Bhai dooj 2020: जानिए भाई दूज की तिथि, शुभ मुहूर्त, कथा और महत्व, ऐसे करें अपनी बहन के घर भोजन तो नहीं रहेगा नर्क की यातनाओं का डर
Bhai dooj 2020: भाई दूज का त्योहार कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस पर्व को सबसे पहले यमुना जी और यमराज ने मनाया था।;
Bhai dooj 2020: भाई दूज का त्योहार कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस पर्व को सबसे पहले यमुना जी और यमराज ने मनाया था। मान्यता है कि यदि इस दिन कोई बहन अपने भाई को प्रेम पूर्वक अपने घर भोजन के लिए आमंत्रित करके उसका तिलक करती है तो उसे नर्क की यातनाओं का सामना नहीं करना पड़ता है। तो आइए जानते हैं कि 16 नवंबर को भाई दूज के दिन द्वितीया तिथि में भाई को तिलक करने का मुहूर्त क्या रहेगा, तिलक करने की विधि क्या है और क्या है भाई दूज की कथा व महत्व।
भाई को तिलक करने की विधि
भाई दूज पर सभी शादीशुदा बहनों को अपने भाई को भोजन के लिए अपने घर आमंत्रित करना चाहिए। और जो बहन कुंवारी है वो अपने मायके में ही अपने भाई का तिलक कर सकती है। इस दिन भाई का तिलक करने से पहले भगवान गणेश की आराधना करनी चाहिए। उसके पश्चात तिलक की थाली तैयार करनी चाहिए। जिसमें रोली, अक्षत और गोला अवश्य रखें। तिलक की थाली तैयार करने के बाद अपने भाई को रोली से तिलक करें और उस पर अक्षत लगाएं। उसके बाद गोले पर तिलक लगाकर उन्हें भाई को दे दें। इसके बाद अपने भाई को प्रेम पूर्वक भोजन कराएं। इस दिन अपने भाई की रूचि का भोजन बनाएं। भोजन के बाद भाई अपनी बहन को उपहार दें। और उनका आशीर्वाद ले।
भाई दूज 2020
16 नवम्बर 2020, सोमवार
द्वितीया तिथि
प्रारम्भ:- 07:06 AM, 16 नवम्बर
समाप्त:- 03:56 AM, 17 नवम्बर
भाई दूज 2020
तिलक करने का मुहूर्त
16 नवम्बर 2020, सोमवार
01:10 PM से 03:18 PM
अवधि:- 02 घण्टे 08 मिनट्स
भाई दूज की कथा के अनुसार एक बार सूर्यदेव और छाया की पुत्री यमुना ने अपने भाई यमराज को प्रेम पूर्वक अपने घर आने और भोजन करने का निमंत्रण दिया। कि वे उनके घर आएं और भोजन ग्रहण करें। यमराज अपनी व्यस्तता के कारण यमुना की बात को टाल देते हैं। लेकिन कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि के दिन यमराज यमुना के घर अचानक पहुंच जाते हैं।
अपने भाई को दरवाजे पर खड़ा देखकर यमुना की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। यमुना अपने भाई का स्वागत-सत्कार करती है। और प्रेम पूर्वक उन्हें भोजन कराती है। यमराज जी अपनी बहन का स्नेह और प्रेम देखकर भाव-विभोर हो गए। और उन्हें वर मांगने के लिए कहा।
तब यमुना ने अपने भाई से वर के रूप में मांगा कि वे हर वर्ष इसी दिन उनके यहां भोजन करने के लिए आएं। जो भी बहन इस दिन अपने भाई का टीका करके उन्हें भोजन खिलाए उसे आपसे किसी भी प्रकार का भय ना हो। उसके बाद यमराज यमुना को तथास्तु कहकर यमलोक लौट गए।
तभी से सभी बहनें अपने भाई का प्रेम पूर्वक तिलक करके उन्हें भोजन कराती हैं। जिससे भाई और बहन को यमदेव का किसी भी प्रकार का भय नहीं रहता है।