Bhimashankar Jyotirlinga: भोलेनाथ ने स्वयं की थी भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की स्थापना, कहानी जानकर हो जाएंगे हैरान

Bhimashankar Jyotirlinga: 12 ज्योतिर्लिंग में से भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग भी एक है। यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र से थोड़ी दूर सहाद्रि नामक पर्वत पर स्थित है। इस भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग का संबंध रावण के भाई कुंभकरण के बेटे से है। आइये जानते हैं इस भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के बारे में...;

Update: 2023-07-20 12:14 GMT

Bhimashankar Jyotirlinga: 12 ज्योतिर्लिंग में से भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग भी एक है। यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र से थोड़ी दूर सहाद्रि नामक पर्वत पर स्थित है। इस भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग का संबंध रावण के भाई कुंभकरण के बेटे से है। इसका वर्णन शिवपुराण में भी किया गया है। ऐसी मान्यता है कि इस भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग में सूर्योदय के बाद जो भी व्यक्ति अपने सच्चे मन से भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करता है, उसे सभी पापों से छुटकारा मिल जाता है। आइये जानते हैं इस भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के बारे में...

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग का आकार काफी मोटा है और इसे मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर के नजदीक एक नदी की धारा बहती है, जिसका नाम भीमा है। वहीं, इस नदी की चर्चा शिवपुराण में भी की गई है। जब राक्षस भीमा और भगवान भोलेनाथ के बीच भयंकर युद्ध हुआ था, उस दौरान भगवान शंकर के शरीर से पसीने की बूंद निकली थी। उसी बूंद से ही भीमारथी नदी का निर्माण हुआ था।

कुंभकरण के बेटे का भीमाशंकर से संबंध

शिवपुराण के मुताबिक, त्रेतायुग में रावण के भाई कुंभकरण का एक पुत्र भीमा था। भीमा का जन्म कुंभकरण की मृत्यु के बाद हुआ था। भीमा को जब पता चला कि उसके पिता का वध भगवान विष्णु के अवतार यानी श्रीराम ने किया है, तो वे पूरी तरह से क्रोधित हो गए। इसके बाद उन्होंने भगवान विष्णु से बदला लेने के लिए बह्मा जी से वरदान पाने को तप करने लगा। इसके बाद ब्रह्मा ने उनके तप से प्रसन्न होकर वारदान दे दिया। ब्रह्मा जी के वरदान से भीमा बेहद शक्तिशाली हो गया। इसके बाद भीमा ने देवलोक पर अपना अस्तित्व स्थापित करना शुरू कर दिया। 

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भगवान शंकर ने भीमा को किया विनाश

संसार को भीमा से बचाने के लिए राजा कामरूप ने भगवान शंकर की भक्ति करनी शुरू कर दी। यह खबर भीमा को पता चली तो उसने राजा कामरूप को कारागार में डाल दिया। इसके बावजूद कामरूप ने भगवान शिव की भक्ति नहीं छोड़ी। बताया जाता है कि एक दिन राजा कामरूप की शिव के लिए भक्ति देखकर भीमा अत्याधिक क्रोधित हो गया। उसने शिवलिंग को नष्ट करने का प्रयास किया, लेकिन अचानक भगवान शिव प्रकट हो गए। भीमा को अधर्म का मार्ग छोड़ने को कहा, लेकिन वो भगवान शिव के साथ युद्ध करने पर अड़ गया। भगवान शंकर और भीमा के बीच खूब भयंकर युद्ध हुआ। अंतत: भगवान शिव ने राक्षस भीमा का विनाश कर दिया। अब इसके बाद देवताओं ने इसी स्थान पर महादेव से शिवलिंग स्थापित करने को कहा था। वहीं, इस स्थान पर स्थापित शिवलिंग को भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता है।

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