Chaitra Navratri 2022: कन्या पूजन के लिए इतनी होनी चाहिए कन्याओं की उम्र, आयु से जानें देवी का मंत्र, रुप और महत्व
Chaitra Navratri 2022: नवरात्रि में नौ दिनों तक शक्ति मां की पूजा करने के बाद अष्टमी और नवमी तिथि के दिन कन्या पूजन करने का विधान है। शास्त्रों के अनुसार, दो से दस वर्ष तक की कन्या देवी के शक्ति स्वरूप की प्रतीक मानी जाती हैं। कन्या पूजन के लिए कन्याओं की आयु 2 वर्ष से कम और 10 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए।;
Chaitra Navratri 2022: नवरात्रि में नौ दिनों तक शक्ति मां की पूजा करने के बाद अष्टमी और नवमी तिथि के दिन कन्या पूजन करने का विधान है। शास्त्रों के अनुसार, दो से दस वर्ष तक की कन्या देवी के शक्ति स्वरूप की प्रतीक मानी जाती हैं। कन्या पूजन के लिए कन्याओं की आयु 2 वर्ष से कम और 10 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए। शास्त्रों में दो वर्ष की कन्या कुमारी, तीन वर्ष की कन्या त्रिमूर्ति, चार वर्ष की कन्या कल्याणी, पांच वर्ष की कन्या रोहिणी, छह वर्ष की कन्या कालिका , सात वर्ष की चंडिका, आठ वर्ष की कन्या शांभवी, नौ वर्ष की कन्या दुर्गा तथा दस वर्ष की कन्या सुभद्रा मानी जाती है। वहीं कन्या पूजन के दौरान कन्याओं का विधिवत मंत्रोच्चार के साथ पूजन करना चाहिए। तो आइए जानते हैं कन्या पूजन के मंत्र, रुप और महत्व के बारे में...
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1. कौमाटर्यै नम:
2. त्रिमूर्त्यै नम:
3. कल्याण्यै नम:
4. रोहिर्ण्य नम:
5. कालिकायै नम:
6. चण्डिकार्य नम:
7. शम्भव्यै नम:
8. दुर्गायै नम:
9. सुभद्रायै नम:।
कन्या में नौ देवियों का रूप, आयु और महत्व
- हिंदू धर्मशास्त्रों में दो वर्ष की कन्या को कुमारी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इसके पूजन से दुख और दरिद्रता समाप्त हो जाती है।
- मान्यता है कि, तीन वर्ष की कन्या त्रिमूर्ति मानी जाती है। त्रिमूर्ति के पूजन से धन-धान्य का आगमन और संपूर्ण परिवार का कल्याण होता है।
- चार वर्ष की कन्या कल्याणी के नाम से संबोधित की जाती है। कल्याणी की पूजा से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
- पांच वर्ष की कन्या रोहिणी कही जाती है। रोहिणी के पूजन से व्यक्ति रोग-मुक्त होता है।
- छह वर्ष की कन्या कालिका की अर्चना से विद्या, विजय, राजयोग की प्राप्ति होती है।
- सात वर्ष की कन्या अर्थात चण्डिका के पूजन से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
- आठ वर्ष की कन्या यानी शाम्भवी की पूजा करने से वाद-विवाद में विजय होती है।
- नौ वर्ष की कन्या को दुर्गा कहा जाता है। किसी कठिन कार्य को सिद्धि करने तथा दुष्ट का दमन करने के उद्देश्य से दुर्गा की पूजा की जाती है।
- हिन्दू धर्मशास्त्रों मे 10 वर्ष की कन्या को सुभद्रा कहते हैं। इनकी पूजा से लोक-परलोक दोनों में सुख प्राप्त होता है।
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