Chaitra Purnima 2022: चैत्र पूर्णिमा कब है, जानें व्रत तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजाविधि और उपाय
Chaitra Purnima 2022: पंचांग के अनुसार हर माह का अंतिम दिन पूर्णिमा होता है। पूर्णिमा के बाद ही नए माह की शुरुआत होती है। पूरे साल में 12 पूर्णिमा आती हैं और शास्त्रों में चैत्र माह की पूर्णिमा का खास महत्व बताया गया है। यह हिन्दू वर्ष की पहली पूर्णिमा होती है और इसी दिन हनुमान जी का जन्म भी हुआ था।;
Chaitra Purnima 2022: पंचांग के अनुसार हर माह का अंतिम दिन पूर्णिमा होता है। पूर्णिमा के बाद ही नए माह की शुरुआत होती है। पूरे साल में 12 पूर्णिमा आती हैं और शास्त्रों में चैत्र माह की पूर्णिमा का खास महत्व बताया गया है। यह हिन्दू वर्ष की पहली पूर्णिमा होती है और इसी दिन हनुमान जी का जन्म भी हुआ था। चैत्र पूर्णिमा को चैती पूजन या चैत्र पूर्णमासी के नाम से भी जाना जाता है। इस तिथि के स्वामी चंद्रदेव है। इस दिन स्नान, दान, व्रत और चंद्रदेव की पूजा बेहद लाभकारी होती है। तो आइए जानते हैं चैत्र पूर्णिमा व्रत तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इस दिन किए जाने वाले विशेष उपायों के बारे में।
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चैत्र पूर्णिमा शुभ मुहूर्त 2022
चैत्र पूर्णिमा व्रत | साल 2022 में चैत्र पूर्णिमा का व्रत 16 अप्रैल, दिन शनिवार को रखा जाएगा। |
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ | 16 अप्रैल प्रात:काल 02:15 बजे से |
पूर्णिमा तिथि समापन | 17 अप्रैल प्रात:काल 12:24 बजे। |
स्नान-दान की पूर्णिमा | 17 अप्रैल, दिन रविवार को है। |
चंद्रोदय का समय | 16 अप्रैल शाम 06:27 बजे |
चैत्र पूर्णिमा पूजा विधि
पूर्णिमा तिथि पर भगवान विष्णु की पूजा और व्रत उपवास कर रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण किया जाता है। पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठकर किसी पवित्र नदी या सरोबर में स्नान कर सूर्यदेव को जल का अर्घ्य दें। यदि आप किसी नदी सरोवर में स्नान नहीं कर सकते हैं तो घर पर ही गंगाजल मिले जल से स्नान करें और व्रत का संकल्प लें। इसके बाद भगवान सत्यनारायण की पूजा करें और पूरे दिन व्रत करने के बाद रात्रि में चंद्रदेव के दर्शन और पूजा कर चंद्रमा को दूध मिले जल से अर्घ्य देकर और किसी जरुरतमंद को दान आदि देकर व्रत संपन्न करें।
चैत्र पूर्णिमा उपाय
- पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से युक्त होता है। इस दिन किए गए उपाय बहुत ही कारगर माने जाते हैं। चैत्र पूर्णिमा के दिन भगवान शंकर और माता पार्वती को बिल्वपत्र अर्पित करने से सौभाग्य में वृद्धि होती है।
- पूर्णिमा की रात चंद्रोदय के बाद चंद्र दर्शन कर चंद्रमा को दूध मिले जल का अर्घ्य देकर शुद्ध घी का दीपक और खीर का भोग लगाएं। इससे मनोकामना पूरी होती है।
- चैत्र पूर्णिमा के दिन लक्ष्मी जी का पूजन कर उन्हें हल्दी की गांठ अर्पित करें, पूजा के बाद इस हल्दी को अपने धन रखने के स्थान पर रख लें।
- पूर्णिमा के दिन पीपल के वृक्ष् पर मां लक्ष्मी जी का आगमन होता है। ऐसे में अगर आप पूर्णिमा की सुबह पीपल के पेड़ में मीठा जल अर्पित करें तो आपको मां लक्ष्मी जी का आशीर्वाद मिलता है।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)