Chaturmas 2021 : चातुर्मास कब से शुरू होगा, जानें ये छह विशेष बातें
- आषाढ मास हिन्दू मास का चौथा मास होता है।
- आषाढ शुक्ल एकादशी से प्रारंभ होता है चातुर्मास
- कार्तिक शुक्ल एकादशी के दिन सामप्त होता है चातुर्मास
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Chaturmas 2021 : आषाढ मास हिन्दू मास का चौथा मास होता है। पंचांग के अनुसार आषाढ मास की शुक्ल एकादशी से चातुर्मास प्रारंम हो जाते है। आषाढ़ी एकादशी के दिन से चार माह के लिए देव सो जाते हैं। इसलिए आषाढ शुक्ल एकादशी का देवशयनी एकादशी भी कहते हैं। देवशयनी एकादशी के बाद चातुर्मास के शुरू होते ही शादी-विवाह जैसे धार्मिक कार्यों पर रोक लग जाती है। चातुर्मास देशशयनी एकादशी यानी आषाढ शुक्ल एकादशी से लेकर देवउठनी एकादशी तक रहता है। साल 2021 में चातुर्मास 20 जुलाई से प्रारंभ होगा और कार्तिक शुक्ल एकादशी तिथि तक यानी 14 नवंबर तक रहेगा। 14 नवंबर 2021 को देवोत्थान एकादशी है। तब तक भगवान विष्णु विश्राम की अवस्था में शयन करने के लिए क्षीर सागर में चले जाते हैं। तो आइए जानते हैं चातुर्मास की खास 6 बातें।
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चातुर्मास के महीने
चातुर्मास 4 महीने की अवधि है, जो आषाढ़ शुक्ल एकादशी से प्रारंभ होकर कार्तिक शुक्ल एकादशी तक चलता है। ये चार माह है श्रावण, भाद्रपद, आश्विन और कार्तिक। इसमें आषाढ़ के 15 और कार्तिक के 15 दिन शामिल है। चातुर्मास के प्रारंभ को 'देवशयनी एकादशी' कहा जाता है और अंत को 'देवोत्थान एकादशी'।
व्रत, तप और साधना समय
इन चाह माह को व्रत, भक्ति, तप और साधना का माह माना जाता है। इन चाह माह में संतजन यात्राएं बंद करके आश्रम, मंदिर या अपने मुख्य स्थान पर रहकर ही व्रत और साधना का पालन करते हैं। इस दौरान शारीरिक और मानसिक स्थिति तो सही होती ही है, साथ ही वातावरण भी अच्छा रहता है।
मांगलिक कार्यों पर ब्रेक
इन चार माहों में सभी तरह के मांगलिक और शुभ कार्य बंद हो जाते हैं। इन 4 माह में विवाह संस्कार, जातकर्म संस्कार, गृह प्रवेश आदि सभी मंगल कार्य निषेध माने गए हैं।
इन नियमों का करें पालन
इस दौरान फर्श पर सोना और सूर्योदय से पहले उठना बहुत शुभ माना जाता है। उठने के बाद अच्छे से स्नान करना और अधिकतर समय मौन रहना चाहिए। वैसे साधुओं के नियम कड़े होते हैं। दिन में केवल एक ही बार भोजन करना चाहिए।
इन पदार्थों का करें त्याग
इस व्रत में दूध, शकर, दही, तेल, बैंगन, पत्तेदार सब्जियां, नमकीन या मसालेदार भोजन, मिठाई, सुपारी, मांस और मदिरा का सेवन नहीं किया जाता। श्रावण में पत्तेदार सब्जियां यथा पालक, साग इत्यादि, भाद्रपद में दही, आश्विन में दूध, कार्तिक में प्याज, लहसुन और उड़द की दाल आदि का त्याग कर दिया जाता है। उक्त 4 माह में जहां हमारी पाचनशक्ति कमजोर पड़ती है वहीं भोजन और जल में बैक्टीरिया की तादाद भी बढ़ जाती है। इसीलिए नियम पालन करना जरूरी है।
व्रत का करें पालन
इन माह को व्रतों का माह इसलिए कहा गया है कि इन चार माह में से प्रथम माह तो सबसे महत्वपूर्ण माना गया है। इस संपूर्ण माह व्यक्ति को व्रत का पालन करना चाहिए। ऐसा नहीं कि सिर्फ सोमवार को ही उपवास किया और बाकी वार खूब खाया। उपवास में भी ऐसे नहीं कि साबूदाने की खिचड़ी खा ली और खूब मजे से दिन बिता लिया। शास्त्रों में जो लिखा है उसी का पालन करना चाहिए। इस संपूर्ण माह फलाहार ही किया जाता है या फिर सिर्फ जल पीकर ही समय गुजारना होता है।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)