Chhath Puja 2023 Date Time Shubh Muhurt: कब है चैती छठ महापर्व, जानें अर्घ्य देने का सही टाइम और 4 दिन का पूरा शेड्यूल

हिंदू पंचांग के अनुसार, एक चैत्र के महीने में और दूसरा कार्तिक मास में छठ महापर्व मनाया जाता है। इस दिन भगवान सूर्य की उपासना की जाती है।;

Update: 2023-03-12 06:30 GMT

Chhath Puja 2023 Date Time Shubh Muhurt: क्या आप जानते हैं कि छठ का पर्व भारत में काफी लोकप्रिय है और ये दो बार आता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, एक चैत्र के महीने में और दूसरा कार्तिक मास में छठ महापर्व मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं भगवान सूर्य की उपासना करती हैं। बिहार, झारखंड में छठ का पर्व काफी धूमधाम से मनाया जाता है। हर साल चैती छठ महापर्व शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। जो 4 दिनों तक चलता है। इस दिन की भी शुरुआत नहाए खाए से होती है। पारण के साथ इस महापर्व का समापन भी हो जाता है। जानें मार्च 2023 में कब से चैती छठ पर्व शुरू हो रहा है और अर्घ्य देने का सही समय क्या है।

Chhath Puja 2023 Date Time

हिंदू पंचांग के मुताबिक, चैत्र और कार्तिक माह में छठ का पर्व बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश समेत देश के कई हिस्सों में मनाया जाता है। इस साल यानी 2023 में चैती छठ पूजा 25 मार्च 2023 को नहाय खाय के साथ शुरू होगी और 28 मार्च 2023 को सुबह अर्घ्य और पारण के साथ इस पर्व का समापन हो जाएगा। महिलाएं सबसे पहले नहाने के बाद अगले दिन खरना की तैयारी में लग जाती हैं। इस दिन स्नान करने के बाद सूर्य देव को जल चढ़ाते हैं और फिर पीतल या मिट्टी के पात्र में गुड़ की खीर बनाकर भोग लगाते हैं।

मार्च 2023 में 4 दिनों तक चलेगा चैत्र छठ महापर्व, जानें पूरा शेड्यूल


त्योहार

विशेष दिन

डेट

डे

चैती छठ 2023

नहाय खाय 

25 मार्च 2023 

शनिवार

चैती छठ 2023

खरना दिनांक 

26 मार्च 2023

रविवार

चैती छठ 2023

संध्या अर्घ्य 

27 मार्च 2023

सोमवार

चैती छठ 2023

अर्घ्य और पारण की तारीख 

28 मार्च 2023

मंगलवार

चैत्र मास का महत्व

ज्योतिषीयों के मुताबिक बताया गया है कि चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा से सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना प्रारंभ की थी। वहीं सतयुग का आरंभ भी चैत्र से माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इसी महीने की प्रतिपदा को भगवान विष्णु के 10 अवतारों से पहले अवतार मत्स्यावतार ने अवतार लिया था। जलप्रलय से घिरे मनु को सुरक्षित स्थान पर ले आए थे। कहते हैं कि प्रलय के बाद से ही एक नई दुनिया की शुरुआत इसी दिन से हुई थी। 

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