जानें, किस प्रकार के कर्मों से मिलते हैं ऐसे पुत्र
- जानें, पुत्र कितने प्रकार के होते हैं।
- जानें, किस प्रकार के कर्म करने से पुत्र किस प्रकार का पैदा होता है।
- जानें, आपके घर में रोगी पुत्र क्यों जन्म लेते हैं।
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मनुष्य अपनी इच्छा के अनुसार जन्म लेने के लिए घर-परिवार का चुनाव नहीं कर सकता। जन्म लेने के लिए वो भाग्य और तकदीर के ऊपर निर्भर है। जोकि पैदा होने से पहले ही तय हो चुका होता है और पिछले जन्म के कर्म ही हमारे भाग्य को बनाते हैं। जिस प्रकार हमारे सगे-संबंधी हमें अपने पिछले जन्मों के कारण मिले हैं, वैसे ही पुत्र भी हमारे पिछले जन्मों के कर्मों का ही फल है। शास्त्रों के अनुसार मनुष्य के पिछले जन्म का संबंधी ही पुत्र के रुप में जन्म लेता है। धर्मशास्त्रों के अनुसार, पिछले जन्म के कर्म के अनुसार ही मनुष्य को इस जन्म में चार प्रकार के पुत्र संतान के रुप में मिलते हैं। तो आइए जानते हैं पुत्रों के बारे में कुछ जरुरी बातें...
1. ऋणानुबंध
पूर्व जन्म में आपके द्वारा किया गया किसी का नुकसान या किसी प्रकार से आपने किसी की संपत्ति नष्ट की है तो ये पुत्र आपके घर में जन्म लेता है। इस तरह का पुत्र अपने साथ कोई बीमारी लेकर आता है। आपका धन गंभीर बीमारी या व्यर्थ के कामों में तब तक नष्ट होता है जब तक कि उसका पूरा हिस्सा ना हो जाए।
2. शत्रु पुत्र
ये पुत्र पूर्व जन्म का आपका कोई सबसे बड़ा शत्रु होता है। जोकि बदला लेने के लिए जन्म लेता है। इस प्रकार के पुत्र जन्म लेने पर अपने माता-पिता से लड़ाई-झगड़ा करके उन्हें पूरी जिन्दगी किसी ना किसी प्रकार से कष्ट पहुंचाते रहते हैं और ऐसा वे तब तक करते हैं जब तक कि उसके पूर्व जन्म का हिसाब ना हो जाए।
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3. उदासीन पुत्र
इस प्रकार के पुत्र जन्म के उपरांत अर्थात बड़े होने पर अपने माता-पिता की सेवा नहीं करते। अपितु अपना विवाह करके उनसे अलग हो जाते हैं। ऐसे पुत्र पशु के समान कहलाते हैं और इस प्रकार से आपसे पूर्व जन्म का हिसाब करते हैं।
4. सेवा करने वाला पुत्र
इस प्रकार का पुत्र पिछले जन्म में आपके द्वारा की गई सेवा का फल है। जोकि पुत्र या पुत्री का रुप लेकर आपके घर में जन्म लेता है और आपकी सेवा का कर्ज चुकाता है। तथा अपने माता-पिता को हर प्रकार से सुख देता है और उनकी सेवा करता है।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi।com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)