Dev Diwali 2022 Date : देव दिवाली पर क्या है स्नान-दान का महत्व, जानें...
Dev Diwali 2022 Date : पौराणिक काल से ही देव दिवाली अर्थात कार्तिक पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व रहा है। पुराणों की मानें तो कार्तिक पूर्णिमा के दिन दान: पुण्य, स्नान, जप: तप, व्रत आदि करने से मनुष्य की सदगति हो जाती है और उसके पूर्वज भी प्रसन्न होकर उसपर कृपा का सागर उड़ेल देते हैं।;
Dev Diwali 2022 Date : पौराणिक काल से ही देव दिवाली अर्थात कार्तिक पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व रहा है। पुराणों की मानें तो कार्तिक पूर्णिमा के दिन दान: पुण्य, स्नान, जप: तप, व्रत आदि करने से मनुष्य की सदगति हो जाती है और उसके पूर्वज भी प्रसन्न होकर उसपर कृपा का सागर उड़ेल देते हैं। वहीं कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा और गंगास्नान आदि नामों से भी जाना जाता है। कहा जाता है कि, कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नाम राक्षस का वध किया था और उसके आंतक से देवताओं की रक्षा की थी। तभी से भगवान शिव का एक नाम त्रिपुरारी भी है और तभी से कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाने लगा। वहीं इस साल कार्तिक पूर्णिमा 07 नवंबर 2022 को मनायी जाएगी। वहीं 08 नवंबर 2022 को भी पूर्णिमा तिथि रहेगी, लेकिन इस दिन चंद्र ग्रहण लगने के कारण कोई भी धार्मिक कार्य नहीं किए जा सकेंगे। देव दिवाली और कार्तिक पूर्णिमा से जुड़े सभी धार्मिक कार्य जैसे स्नान, दान, पुण्य और दीपदान आदि सभी कार्य 07 नवंबर 2022 को ही संपन्न होंगे।
मान्यता है कि, कार्तिक पूर्णिमा के दिन कृतिका नक्षत्र में जो भी मनुष्य भगवान शिव के दर्शन और उनका अभिषेक करता है, अगले कई जन्मों तक वह मनुष्य भाग्यशाली बना रहता है। उसके परिवार में कभी धन: धान्य और ज्ञान की कोई कमी नहीं होती है।
कार्तिक पूर्णिमा अर्थात देव दिवाली के दिन गंगा स्नान करने के बाद शिव का पूजन करने से महादेव की विशेष अनुकंपा प्राप्त होती है। इस दिन गंगा स्नान करने से पितृ भी प्रसन्न होते हैं।
वहीं कार्तिक पूर्णिमा के दिन किए गए दान का कई गुना अधिक फल मनुष्य को प्राप्त होती है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन क्षीरसागर का दान करना भी शुभ माना जाता है। ऐसा करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और वे माता लक्ष्मी समेत प्रसन्न होकर भक्त की सभी मनोकामनाओं को पूरा करते हैं।
वहीं कार्तिक पूर्णिमा के दिन स्नान के पश्चात श्रीसत्यनारायण स्वामी की व्रत कथा का पाठ करना भी शुभ फलदायी माना जाता है।
कार्तिक पूर्णिमा के दिन मंदिर, नदी, तालाब, तुलसी, पीपल, केला आदि वृक्षों के पास दीपदान करने से भी पुण्य की प्राप्ति होती है। इसीलिए इस दिन कम से कम पांच दीपों का दान जरुर करना चाहिए।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।)