devuthani ekadashi 2020: जानिए देवउठनी एकादशी के दिन किस मंत्र के प्रभाव से जागते हैं भगवान विष्णु

devuthani ekadashi 2020: दीपावली के 11 दिन बाद कार्तिक शुक्ल एकादशी के दिन देवात्थान एकादशी जिसे हरि प्रबोधनी एकादशी आदि कई नामों से जाना जाता है। वह इस दिन मनाई जाती है। हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार ऐसी मान्यता है कि इस दिन देव प्रबोधन मंत्रों से दिव्य तत्वों यानि कि देवताओं को जागृत किया जाता है।;

Update: 2020-11-24 07:01 GMT

devuthani ekadashi 2020: दीपावली के 11 दिन बाद कार्तिक शुक्ल एकादशी के दिन देवात्थान एकादशी जिसे हरि प्रबोधनी एकादशी आदि कई नामों से जाना जाता है। वह इस दिन मनाई जाती है। हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार ऐसी मान्यता है कि इस दिन देव प्रबोधन मंत्रों से दिव्य तत्वों यानि कि देवताओं को जागृत किया जाता है। तो आइए आप भी जानिए देव प्रबोधन मंत्र यानि देवों को जगाने वाले और इस दौरान देवताओं की स्तुति करने वाने मंत्रों के बारे में।


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भगवान विष्णु को जगाने वाला मंत्र

ब्रह्मेन्द्ररुदाग्नि कुबेर सूर्यसोमादिभिर्वन्दित वंदनीय,

बुध्यस्य देवेश जगन्निवास मंत्र प्रभावेण सुखेन देव।

भावार्थ: हे भगवान आप ब्रह्मा, इंद्र, रुद्र, अग्नि, कुबेर, सूर्य, सोम आदि देवताओं के द्वारा भी वंदनीय हैं। यानि कि ब्रह्मा, इंद्र, रुद्र, अग्नि, कुबेर, सूर्य और सोम आदि सभी देवता आपकी पूजा करते हैं। हे जगन्निवास, भगवान आप सभी देवताओं के स्वामी हैं। आप इन मंत्रों के प्रभाव से सुखपूर्वक उठ जाइए। यानि कि हे भगवान आप योगनिन्द्रा से जाग जाइए।

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देवोत्थान एकादशी के दिन इस मंत्र से करें देवों की स्तुति

उदितष्ठोतिष्ठ गोविन्द त्यज निद्रां जगत्पते,

त्वयि सुप्ते जगन्नाथ जगत्सुप्तं भवेदिदम्‌।

उत्थिते चेष्टते सर्वमुत्तिष्ठोत्तिष्ठ माधव॥

देवोत्थान एकादशी भगवान विष्णु की पूजा का विशेष अवसर है। इस दिन लोग ब्रह्ममुहूर्त में स्नान आदि से निवृत होकर भगवान का गुणगान करते हैं। शंख, घड़ियाल आदि बजाकर भगवान को जगाते हैं। और इस दिन रात्रि जागरण और कई स्नानों पर नगर कीर्तन भी किए जाते हैं। तथा घरों में मंगल गीत गाए जाते हैं। मंदिरों में विशेष पूजा की जाती है। और तुलसी विवाह भी संपन्न कराए जाते हैं।

ऐसा करने से लोगों को बहुत अधिक पुण्य की प्राप्ति होती है। पुराणों और शास्त्रों के अनुसार इस दिन किए गए भगवान के पूजन को बहुत ही अधिक फलदायी माना जाता है। और इस दिन भगवान का पूजन करने के बाद से ही सभी मांगलिक कार्य विधि-विधान से प्रारंभ हो जाते हैं।

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