Diwali 2020: दीपावली पर ऐसे करें अष्टलक्ष्मी दीपक की पूजा, मां आपकी सभी मनोकामनाएं करेंगी पूर्ण

Diwali 2020: हिन्दू धर्मशास्त्रों में दीपावली पूजन के कई प्रकार बताए गए हैं। और लोग भी दीपावली के दिन अनेक प्रकार से मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं।;

Update: 2020-11-13 06:48 GMT

Diwali 2020: हिन्दू धर्मशास्त्रों में दीपावली पूजन के कई प्रकार बताए गए हैं। और लोग भी दीपावली के दिन अनेक प्रकार से मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं। मां लक्ष्मी चंचल चित और सहज हृदय वाली हैं लोगों के द्वारा किए गए थोड़े से प्रयास में ही मां लक्ष्मी प्रसन्न हो जाती हैं। तो आइए आप भी जानें दीपावली की रात मां लक्ष्मी की अष्टलक्ष्मी दीपक पूजा विधि के बारें में।

अष्टलक्ष्मी दीपक पूजा विधि(Ashtalakshmi deepak puja vidhi)

सबसे पहले आप जिस स्थान पर मां लक्ष्मी की पूजा करना चाहते हैं वहां पर पानी में सेंधा नमक मिलाकर पोंछा लगा लें। यानि उस स्थान को अच्दे से साफ करेंगे। ऐसा करने से सारी नेगेटिव एनर्जी दूर हो जाती है। और उसके बाद उस स्थान पर रंगोली बनाएं। किसी भी शुभ कार्य से पहले रंगोली बनाना जरुरी होता है।

रंगोली बनाने से घर में सकारात्मकता आती है। और सकारात्मकता से ही जीवन में संपन्नता आती है। और रंगोली बहुत शुभ और मंगलकारी भी होती है।

अष्टलक्ष्मी दीपक की हम लोग शुक्रवार और दीपावली के दिन पूजा करते हैं। अष्टलक्ष्मी दीपक की पूजा के लिए दीपावली का दिन सबसे शुभ होता है। रंगोली बनाने के बाद आप एक थाली लें और उसमें हल्दी- कुमकुम लगाएं। और थोड़े से फूल थाली में रख लें। इसके बाद आप अष्टलक्ष्मी दीपक पर स्थापित आठों लक्ष्मी मां की प्रतिमाओं को हल्दी, रोली या कुमकुम लगाएं।

मां अष्टलक्ष्मी के नाम (Names of mother Ashtalakshmi )

1. इसमें जो पहली लक्ष्मी हैं वो श्रीआदिलक्ष्मी हैं, ये जीवन के कारक और आयु को संबोधित करती हैं।

2. अष्टलक्ष्मी दीपक में दूसरी लक्ष्मी है श्रीधनलक्ष्मी। ये जीवन में धन और धान्य को संबोधित करती हैं।

3. तीसरी हैं श्रीधर्य लक्ष्मी। ये जीवन में आत्मबल और धैर्य को संबोधित करती हैं।

4. चतुर्थ हैं श्रीगज लक्ष्मी। ये जीवन में स्वास्थ्य और बल को संबोधित करती हैं।

5. पांचवी हैं श्रीसंतान लक्ष्मी। ये जीवन में परिवार और संतान को संबोधित करती हैं।

6. छठी हैं श्रीविजय लक्ष्मी जिन्हें वीर लक्ष्मी भी कहा जाता है। ये आपके जीवन में जीत और वर्चस्व को संबोधित करती हैं।

7. सातवीं है श्रीविद्या लक्ष्मी। ये आपके जीवन में बुद्धि और ज्ञान को संबोधित करती हैं।

8. आठवी हैं श्रीऐश्वर्य लक्ष्मी। ये जीवन में प्रणय-भोग-विलासिता और जो भी सारे भौतिक सुख हैं उनको संबोधित करती हैं।

इस अष्टलक्ष्मी दीये को शास्त्रों के अनुसार साक्षात मां अष्टलक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है। और लोग इस दीये की पूजा करते हैं। इसलिए इस दीये को आप विधि-विधान से सजाएं। और पूजा की थाली में फूलों के ऊपर अच्छे से स्थापित करें। अगर आप दीपावली के दिन अष्टलक्ष्मी दीपक जला रहे हैं तो इस दीये में सरसों का तेल भरें। और अगर आप शुक्रवार के दिन या किसी अन्य दिन पूजा-पाठ के लिए अष्टलक्ष्मी दीपक जला रहे हैं तो आप हमेशा इस दीपक में तिल का तेल डालें। केवल कार्तिक के महीने में इस दीपक में सरसों का तेल डाला जाता है।

इसके बाद आपको अष्ट लक्ष्मी के लिए आठ दीये प्रज्ज्वलित करने होते हैं। तो आपको उन आठों दीयों के नीचे भी छोटी-छोटी रंगोली बनानी हैं। और प्रत्येक छोटी-छोटी रंगोली के ऊपर आप एक पान का पत्ता रखें। मां लक्ष्मी को पान बहुत प्रिय होता है। इसलिए मां लक्ष्मी की पूजा में पान का प्रयोग किया जाता है। और प्रत्येक पान के ऊपर भी आप कुमकुम और रोली लगाएं। और प्रत्येक पान को एक -एक मां लक्ष्मी को समर्पित करें। और आठों दीयों को प्रज्ज्वलित करने से पहले दीयों का पूजन जरूर करें। और दीयों के ऊपर हल्दी, कुमकुम, रोली और चावल आदि लगाएं। और पान के पत्तों पर भी हल्दी, कुमकुम, रोली और चावल लगाएं। इसके बाद आप प्रत्येक दीये में दो बत्तियों को एक साथ बठकर यानि डबल करके दीयों में लगाएं। और सभी दीयों में सरसों का तेल भरें।

इसके बाद एक कटोरी में हल्दी और एक कटोरी में कुमकुम भरकर मां लक्ष्मी को समर्पित करते हुए अष्टलक्ष्मी दीपक के सामने रखें। हल्दी से आप मां के सामने आरोग्य की मंगल कामना करेंगे। और कुमकुम से आप अखंड सौभाग्य की कामना करेंगे।

आरोग्य और सौभाग्य के साथ -साथ आप माता से सुख, समृद्धि, ऐश्वर्य और जीवन में अपनी सभी कामनाओं को पूरा करने की प्रार्थना करें। धन की कामना करें। शक्ति की कामना करें। उन्नति और प्रगति की कामना करें।

माता लक्ष्मी को गुलाब और कमल का फूल अति प्रिय है। इसलिए माता को आप कमल और गुलाब के फूल अर्पित करें। ऐसा करने से मां लक्ष्मी आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी करती है और अपने भक्तों के भंडार भरती हैं। उन्हें धन, धान्य की कभी कमी नहीं होने देती। और माता अपने भक्तों के सभी सुखों में वृद्धि करती हैं।

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