Diwali Special Story: सीता स्वयंवर से खास रिश्ता रखता है ये मंदिर, जानें जगह

Diwali Special Story: दिवाली का पर्व आने में कुछ दिन ही शेष है। दिवाली का पर्व कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। इस दिन भगवान राम लंकापति रावण का वध कर अयोध्या वापस लौटे थे। ऐसे में आज हम आपको भगवान राम के जीवन के अहम प्रसंग के बारे में बताने जा रहे हैं।;

Update: 2023-10-30 11:17 GMT

Diwali Special Story: दिवाली का पर्व साफ-सफाई, रौनक, जगमगाहट, खुशी और उत्साह का प्रतीक है। साल 2023 में यह पर्व 12 नवंबर को मनाया जाएगा। आपको बता दें कि भगवान राम और माता सीता का जिस स्थान पर विवाह हुआ था वह मंदिर नेपाल में स्थित है। सीता स्वयंवर को लेकर शर्त रखी गई थी, जो सभा में उपस्थित देवगण महादेव के धनुष को तोड़ेगा, उसका विवाह माता सीता के साथ किया जाएगा। इस स्वयंवर में भगवान राम ने महादेव का धनुष तोड़कर जनक दुलारी से विवाह किया था, लेकिन क्या आपको पता है कि जब भगवान श्री राम ने धनुष तोड़ा तो उसके तीन हिस्से हुए थे, जो अलग-अलग स्थान पर गिरे थे।

धनुषा धाम मंदिर 

भगवान राम द्वारा तोड़े गए धनुष पिनाक का हिस्सा नेपाल में गिरा, जिसे वर्तमान समय में धनुषा धाम के नाम से जाना जाता है। बढ़ते मस्सा से छुटकारा पाने के लिए भी लोग इस मंदिर में आकर दर्शन करते हैं। स्थानीय लोगों का मानना है कि जो भी यहां आकर कहता है कि उसका बढ़ता हुआ मस्सा रुक जाए, तो वह यहां आकर बैंगन का भार (11, 21, 101 किलो) चढ़ाएगा, तो उस इंसान को बढ़ते मस्से से छुटकारा मिल जाता है। मकर संक्रांति के खास मौके पर लोग बैंगन का भार चढ़ाने आते हैं।

जनकपुर के समीप स्थित ये मंदिर

धनुषा धाम मंदिर जनकपुर से महज कुछ दूरी पर स्थित है। इस मंदिर में लोग शिव धनुष के टुकड़े की पूजा- अर्चना करने हैं। आपको बता दें कि इस स्थान पर धनु के बीच का हिस्सा गिरा था। इस मंदिर में एक धनुष कुंड भी बना हुआ है। स्थानीय लोगों की मान्यता है कि जिस जगह पर धनुष का हिस्सा गिरा, वहां पर पीपल का पेड़ उग आया। इसके साथ धनुष कुंड को लेकर लोगों का मानना है कि इस कुंड के जल से पता लगाया जाता है कि इस बार फसल कैसी होगी। शिव धनुष के मध्य के हिस्से को लेकर मानना है कि 5 से 7 साल के अंतराल पर ये थोड़ा-थोड़ा बढ़ता है।

पूर्ण होती है हर मनोकामना

धनुषा धाम मंदिर को लेकर ऐसा कहा जाता है कि यहां जो भी भक्त शिव धनुष के दर्शन और पूजा करते हैं। उन पर माता सीता और भगवान राम के साथ-साथ महादेव की भी कृपा बरसती है। यहां मकर संक्रांति के अवसर पर भव्य मेले का आयोजन किया जाता है।

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