Dussehra 2020 October : दशहरे पर जानिए कैसे हुआ था रावण का जन्म
Dussehra 2020 October : दशरहे का त्योहार (Dussehra Festival) रावण वध के रूप में मनाया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि रावण का जन्म किस प्रकार से हुआ था। क्या था रावण के जन्म का रहस्य (Ravan Ke Janam Ka Rahasya) अगर आप इस बारे में नहीं जानते तो आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे तो चलिए जानते हैं रावण के जन्म का रहस्य।;
Dussehra 2020 October : दशहरे के दिन भगवान राम (Lord Rama) ने रावण का वध किया था। रावण एक ऋषि का पुत्र था। जिनका नाम महाऋषि विश्रवा था और रावण की माता का नाम कैकशी था। लेकिन क्या आप जानते हैं कि रावण का जन्म (Ravan Ka Janam) किस प्रकार से हुआ था। कैसे एक महार्षि ने एक राक्षस कुल की कन्या से विवाह किया था। अगर नहीं तो आपको रावण के जन्म का रहस्य अवश्य जानना चाहिए तो आइए जानते हैं रावण के जन्म की कथा।
कैसे हुआ था रावण का जन्म (Kaise Hua Tha Ravan ka Janam)
पौराणिक कथा के अनुसार सुकेश नाम का एक राक्षस हुआ करता था। जिसके तीन बड़े ही बलशाली पुत्र थे। जिनके नाम थे माल्यवान,सुमाली और माली। उन तीनों भाईयों ने कठोर तपस्या करके ब्रह्मा जी से यह वरदान मांग लिया की हम भाईयों का प्रेम अटूट बना रहे और हमें कोई पराजित न कर सके। यह वरदान पाकर तीनों भाई निर्भय हो गए थे। जिसके बाद उन्होंने सभी को सताना शुरू कर दिया और भगवान विश्वकर्मा को भी अपने वश में कर लिया।
जिसके बाद उन्होंने विश्वकर्मा जी से सुंदर नगर का निर्माण करने के लिए और कहा और विवश होकर विश्वकर्मा जी को उन्हें लंका नगरी का पता देना पड़ा। जिसके बाद यह तीनों अपने परिवार के साथ लंका पहुंच गए। जिसके बाद इन तीनों के 21 पुत्रों ने धरती पर ऋषियों को सताना शुरू कर दिया। इस समस्या के निवारण के लिए सभी लोग विष्णु जी के पास गए। जिसके बाद भगवान विष्णु ने ऋषियों को आश्वासन दिया की वह जल्द ही इन सभी राक्षसों का अंत कर देंगे।
जब राक्षसों को इस बारे में पता चला। जिसके बाद सभी राक्षस क्रोधित होकर स्वर्गलोक पर आक्रमण करने के लिए चल दिए। लेकिन भगवान विष्णु ने माली सहित राक्षसों की सेना का अंत कर दिया। जिसके बाद माल्यवान भगवान विष्णु से युद्ध करने के लिए चल पड़ा। भगवान विष्णु ने माल्यवान सहित सभी राक्षसों का वध कर दिया। इस युद्ध में तीनों भाईयों के सभी पुत्र भी मारे गए।जब सुमाली को इसके बारे में पता चला तो वह डरकर लंका से भाग गया।
जिसके बाद लंका पर भगवान कुबेर का राज हुआ। लेकिन सुमाली अपने भाई और पुत्रों की मौत से बड़ा ही दुखी था। जिसके बाद सुमाली ने अपनी पुत्री से कहा कि तुम महार्षि विश्रवा के पास जाओ और उनसे पुत्र प्राप्त करो। जिसके बाद कैकशी ऋषि विश्रवा के पास चली गई। लेकिन इस ऋषि विश्रवा ने कैकशी से कहा कि इस समय में जो भी पुत्र होगा वह बड़ा ही दुष्ट होगा। जिसके बाद कैकशी ने कहा कि मैं आप जैसे महात्मा से दुष्ट संतान प्राप्त नहीं करना चाहती तब विश्रवा ऋषि ने कहा कि तुम्हारा सबसे छोटा पुत्र सदाचारी और महात्मा प्रकृति होगा। इस तरह से रावण, कुंभकर्ण, सुर्पनखा और विभीषण का जन्म हुआ था।