Dussehra 2022: विजयदशमी का दिन होता है बहुत शुभ, बिन मुहूर्त देखे करें ये सभी कार्य

Dussehra 2022: शास्त्रों के अनुसार, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को दशहरा या विजयदशमी का पर्व बड़े धूमधाम से मनाने का विधान है। दुर्गा पूजा के दशवें दिन मनायी जाने वाली विजयदशमी अभिमान, अत्याचार एवं बुराई पर सत्य-धर्म और अच्छाई की विजय का प्रतीक है।;

Update: 2022-10-04 07:22 GMT

Dussehra 2022: शास्त्रों के अनुसार, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को दशहरा या विजयदशमी का पर्व बड़े धूमधाम से मनाने का विधान है। दुर्गा पूजा के दशवें दिन मनायी जाने वाली विजयदशमी अभिमान, अत्याचार एवं बुराई पर सत्य-धर्म और अच्छाई की विजय का प्रतीक है। भगवान श्रीराम ने अधर्म-अत्याचार और अन्याय के प्रतीक रावण का वध करके पृथ्वी वासियों को भयमुक्त किया था और देवी भगवती दुर्गा ने महिषासुर नामक असुर का वध करके धर्म और सत्य की रक्षा की थी। इस दिन भगवान श्रीराम, दुर्गा जी, लक्ष्मी, सरस्वती, गणेश, महेश, हनुमान जी आदि देवों की आराधना करके सभी के लिए मंगल की कामना की थी।

समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए विजयदशमी पर रामायण पाठ, श्रीराम रक्षास्तोत्र, सुंदरकाण्ड आदि का पाठ किया जाना शुभ माना जाता है। विजयदशमी सर्वसिद्ध दायक तिथि है। इसीलिए इस दिन को सभी शुभ कार्यों के लिए शुभ माना जाता है।

ज्योतिष मान्यता के अनुसार, इस दिन बच्चों का अक्षर लेखन, दुकान या घर का निर्माण, गृह प्रवेश, मुण्डन, अन्नप्रासन, नामकरण, कर्णछेदन, यज्ञोपवीत संस्कार, भूमि पूजन आदि शुभ कार्य किए जा सकते हैं। परन्तु विजयदशमी के दिन विवाह संस्कार को निषेध माना जाता है।

मान्यता है कि, दशहरा के दिन जो कार्य शुरु किया जाता है, उस कार्य में मनुष्य को सफलता अवश्य मिलती है। यही वजह है कि, प्राचीन काल में राजा-महाराजा विजय की कामना से रणयात्रा के लिए प्रस्थान करते थे। इस दिन जगह-जगह मेले लगते हैं और रामलीला का आयोजन होता है। साथ ही रावण का विशाल पुतला बनाया जाता है और उसे बुराई के प्रतीक के रुप में जलाया जाता है।

पौराणिक मान्यता के अनुसार, महाभारत काल में पाण्डवों ने शमी के पेड़ के ऊपर अपने अस्त्र-शस्त्र छिपाए थे। जिसके बाद उन्होंने कौरवों पर जीत हासिल की थी। इसी दिन घर की पूर्व दिशा में शमी की टहनी प्रतिष्ठित करके उसका विधिपूर्वक पूजन करने से घर परिवार में सुख-समृद्धि का वास होता है। महिलाओं को अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है और इस वृक्ष की पूजा करने से शनि के अशुभ प्रभावों से मुक्ति मिलती है।

दशहरे के दिन रावण, कुंभकरण और मेघनाद के पुतले दहन किए जाते हैं और उसके बाद पान का बीड़ा खाना सत्य की जीत की खुशी को व्यक्त करता है। इस दिन हनुमान जी को मीठी बूंदी का भोग लगाने के बाद उन्हें पान का बीड़ा अर्पित करके उनका आशीर्वाद लेने का महत्व है। विजयदशमी के दिन पान खाना और पान खिलाना मान-सम्मान, प्रेम और विजय का सूचक माना जाता है।

लंकापति रावण पर विजय पाने की कामना से मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने पहले नीलकंठ पक्षी के दर्शन किए थे। नीलकंठ पक्षी को भगवान शिव का प्रतिनिधि माना जाता है। दशहरे के दिन नीलकंठ पक्षी के दर्शन और भगवान शिव से शुभ फल की कामना करने से जीवन में भाग्योदय, धन-धान्य और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।)

Tags:    

Similar News