hastrekha shasatra : अनामिका अंगुली के प्रभाव, आप भी जानें
hastrekha shasatra : अंगुली को रिंग फिंगर भी कहते हैं। यह सूर्य पर्वत की अंगुली होती है। इसके तीनों पोर पर कर्क, सिंह और कन्या राशि होती है। और इस अंगुली में सोना पहना जाता है। अपने अतिथियों और संबंधियों का तिलक करते समय सबसे पहले अनामिका अंगुली से बिन्दी बनाई जाती है और उसके बाद उसे टीका या तिलक का रूप दिया जाता है। हाथ की इस तीसरी अंगुली यानि अनामिका का सीधा संबंध व्यक्ति के मस्तिक के अवचेतन मन और व्यक्तिगत जीवन से जुड़ा होता है। अनामिका अंगुली सीधी हो तो मनुष्य के जीवन में संवेगों के साथ शेष व्यक्तित्व का तालमेल बना रहता है।;
hastrekha shasatra : अंगुली को रिंग फिंगर भी कहते हैं। यह सूर्य पर्वत की अंगुली होती है। इसके तीनों पोर पर कर्क, सिंह और कन्या राशि होती है। और इस अंगुली में सोना पहना जाता है। अपने अतिथियों और संबंधियों का तिलक करते समय सबसे पहले अनामिका अंगुली से बिन्दी बनाई जाती है और उसके बाद उसे टीका या तिलक का रूप दिया जाता है। हाथ की इस तीसरी अंगुली यानि अनामिका का सीधा संबंध व्यक्ति के मस्तिक के अवचेतन मन और व्यक्तिगत जीवन से जुड़ा होता है। अनामिका अंगुली सीधी हो तो मनुष्य के जीवन में संवेगों के साथ शेष व्यक्तित्व का तालमेल बना रहता है।
अनामिका अंगुली के टेढ़ी रहने पर व्यक्ति के जीवन में कठिनाईयां, निराशा, धोखा और गलत प्रताड़नाएं उसे जीवन भर मिलती रहती हैं। ऐसे व्यक्ति का जीवन दूभर हो जाता है। और उसे कई बार धोखा खाने के बाद अपने जीवन में वह व्यक्ति हताश होने लगता है। अनामिका अंगुली में एक मानसिक चेतना अच्छे स्तर की होती है। जोकि जीवन तत्व के साथ घुली-मिली रहती है। उद्योगी हाथ की अंगुली को कलात्मक रुचि प्रदान करती है। व्यक्ति के मानसिक और शारीरिक शक्ति का अनामिका अंगुली तालमेल बनाए रखती है।
अनामिका अंगुली के अधिक लंबी होने से 'येन केन उपायेन' धन उपार्जन की चेष्टा व्यक्ति में बनी रहती है। ऐसा व्यक्ति सौदा, सट्टा भी कर सकता है। ऐसे व्यक्ति का झुकाव जुआ आदि की ओर भी रह सकता है। तथा लंबी अनामिका अंगुली वाला व्यक्ति यह जानते हुए भी कि जुआ लोभ का पुत्र है। दुराचार का भाई है, और बुराईयों का पिता है, उसके बाद भी वह व्यक्ति जुआ खेले बगैर नहीं मानता है। अचानक उसकी मानसिक स्थिति बिगड़ जाती है। और ऐसा व्यक्ति जल्दी ही गाली-गलौंच पर उतर आता है। इसके साथ मंगल पर्वत उठा हुआ होने पर ही यह बातें सिद्ध होती हैं अन्यथा नहीं।