Ganeshotsav 2021 : श्रीगणेश की आरती : शेंदुर लाल चढ़ायो...पढ़कर करें उन्हें प्रसन्न और पाए मनोवांछित वरदान

Ganeshotsav 2021 : भगवान गणेश सभी प्रकार की रिद्धि-सिद्धियों के स्वामी माने जाते हैं और वहीं हर वर्ष भाद्रपद मास में उनका जन्मोत्सव मनाया जाता है। भगवान गणेश का जन्मोत्सव गणेश चतुर्थी से लेकर अनंत चतुर्दशी तक लगभग 11 दिन तक मनाया जाता है। इस दौरान उसकी प्रतिमा स्थापित करने के विधि-विधान से प्रतिदिन उनकी पूजा की जाती है और उन्हें भोग अर्पित किया जाता है। गणेशोत्सव के दौरान प्रतिदिन सुबह-शाम पूजन करने के बाद उनकी आरती की जाती है। मान्यता है कि, भगवान गणेश प्रथम पूज्य देव हैं और उनकी पूजा के बिना किसी भी देवता की पूजा मान्य नहीं होती है। वहीं गणेश भगवान की अगर विधिपूर्वक पूजा की जाए तो वे बहुत जल्दी ही प्रसन्न होकर अपना आशीर्वाद देते हैं और भक्तों के सभी मनोरथ पूर्ण करते हैं। तो आइए भगवान गणपति बाप्पा को प्रसन्न करने के लिए उनकी प्रिय आरती 'शेंदुर लाल चढ़ायो अच्छा गजमुखको' पढ़ें और मनोवांछित वरदान प्राप्त करें।;

Update: 2021-09-12 00:41 GMT

Ganeshotsav 2021 : भगवान गणेश सभी प्रकार की रिद्धि-सिद्धियों के स्वामी माने जाते हैं और वहीं हर वर्ष भाद्रपद मास में उनका जन्मोत्सव मनाया जाता है। भगवान गणेश का जन्मोत्सव गणेश चतुर्थी से लेकर अनंत चतुर्दशी तक लगभग 11 दिन तक मनाया जाता है। इस दौरान उसकी प्रतिमा स्थापित करने के विधि-विधान से प्रतिदिन उनकी पूजा की जाती है और उन्हें भोग अर्पित किया जाता है। गणेशोत्सव के दौरान प्रतिदिन सुबह-शाम पूजन करने के बाद उनकी आरती की जाती है। मान्यता है कि, भगवान गणेश प्रथम पूज्य देव हैं और उनकी पूजा के बिना किसी भी देवता की पूजा मान्य नहीं होती है। वहीं गणेश भगवान की अगर विधिपूर्वक पूजा की जाए तो वे बहुत जल्दी ही प्रसन्न होकर अपना आशीर्वाद देते हैं और भक्तों के सभी मनोरथ पूर्ण करते हैं। तो आइए भगवान गणपति बाप्पा को प्रसन्न करने के लिए उनकी प्रिय आरती 'शेंदुर लाल चढ़ायो अच्छा गजमुखको' पढ़ें और मनोवांछित वरदान प्राप्त करें।

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श्रीगणेश की आरती

शेंदुर लाल चढ़ायो अच्छा गजमुखको।

दोंदिल लाल बिराजे सुत गौरिहरको।

हाथ लिए गुडलद्दु सांई सुरवरको।

महिमा कहे न जाय लागत हूं पादको ॥1॥

जय जय श्री गणराज विद्या सुखदाता।

धन्य तुम्हारा दर्शन मेरा मन रमता ॥धृ॥

अष्टौ सिद्धि दासी संकटको बैरि।

विघ्नविनाशन मंगल मूरत अधिकारी।

कोटीसूरजप्रकाश ऐबी छबि तेरी।

गंडस्थलमदमस्तक झूले शशिबिहारि ॥2॥

जय जय श्री गणराज विद्या सुखदाता।

धन्य तुम्हारा दर्शन मेरा मन रमता ॥

भावभगत से कोई शरणागत आवे।

संतत संपत सबही भरपूर पावे।

ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे।

गोसावीनंदन निशिदिन गुन गावे ॥3॥

जय जय श्री गणराज विद्या सुखदाता।

धन्य तुम्हारा दर्शन मेरा मन रमता ॥

(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)

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