Garun puran: अकाल मृत्यु के बाद आत्मा किस योनि में भटकती है, आइए आप भी जानें

Garun puran: अकाल मृत्यु के बाद कौन सी आत्मा किस योनि में भटकती रहती है। गरुण पुराण में बताया गया है कि जो पुरूष अकाल मृत्यु को प्राप्त करता है तो वह भूत, प्रेत, पिशाच, कुष्मांडा, ब्रह्मराक्षस, बेताल या क्षेत्रपाल की योनि में भटकता रहता है। जबकि कोई स्त्री अकाल मृत्यु को प्राप्त होती है तो वह भी इसी प्रकार की योनियों में भटकती रहती है। लेकिन उसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है। जैसे की कोई नवयुवती स्त्री, या प्रसूता अकाल मृत्यु को प्राप्त होती है, तो वह चुड़ैल बन जाती है। वहीं जब किसी कुवांरी कन्या की अकाल मृत्यु हो जाती है तो उसे तीन योनि में भटकना पड़ता है।;

Update: 2020-08-21 03:47 GMT

Garun puran: अकाल मृत्यु के बाद कौन सी आत्मा किस योनि में भटकती रहती है। गरुण पुराण में बताया गया है कि जो पुरूष अकाल मृत्यु को प्राप्त करता है तो वह भूत, प्रेत, पिशाच, कुष्मांडा, ब्रह्मराक्षस, बेताल या क्षेत्रपाल की योनि में भटकता रहता है। जबकि कोई स्त्री अकाल मृत्यु को प्राप्त होती है तो वह भी इसी प्रकार की योनियों में भटकती रहती है। लेकिन उसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है। जैसे की कोई नवयुवती स्त्री, या प्रसूता अकाल मृत्यु को प्राप्त होती है, तो वह चुड़ैल बन जाती है। वहीं जब किसी कुवांरी कन्या की अकाल मृत्यु हो जाती है तो उसे तीन योनि में भटकना पड़ता है।

इन सबके अलावा गरुण पुराण में अकाल मृत्यु के कारणों से शांति हेतु कई प्रकार के उपाय बताए गए हैं। गरुण पुराण में बताया गया है कि अकाल मृत्यु को प्राप्त करने वाली आत्मा हेतु उसके परिवार जनों को नदी या तालाब में तर्पण करना चाहिए। और इसके साथ ही मृत आत्मा की पूर्ति के लिए पिंडदान अथवा सत्कर्म करने चाहिए। उस आत्मा की शांति के लिए दान, पुन्य अथवा गीता आदि का पाठ भी करवाना चाहिए।

ये कार्य कम से कम तीन वर्षों तक कराते रहना चाहिए। और इसके साथ ही वर्षी आने पर भूखे ब्राह्मणों और बालकों को भोजन भी कराना चाहिए। ताकि मृत आत्मा को जल्द से जल्द मुक्ति मिल सके। वैसे दुर्घटना, रोग या अन्य किसी प्रकार की अकाल मृत्यु को रोकना तो हम इंसानों के वश की बात नहीं है। लेकिन आत्महत्या को हम रोक सकते हैं।

जब भी आपके मन में आत्महत्या करने का ख्याल आये तो उससे पहले उससे जुड़े परिणामों के बारे में अवश्य जान लें। क्योकि अकसर लोग यही सोचकर आत्महत्या करने जैसा कदम उठाते हैं कि उन्हें सभी कष्टों से मुक्ति मिल जाएगी। लेकिन अज्ञानता के कारण वो यह नहीं जानते कि मृत्यु के बाद उन्हें वर्तमान में हो रहे कष्टों से ज्यादा ही कष्ट भोगने पड़ेंगे।     

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