Gochar 2021 : बृहस्पति 20 जून से होंगे वक्री, कोरोना के टीकाकरण में आएगी तेजी

  • देवगुरु का वक्री होना देश के लिए रहेगा शुभ
  • गुरू के वक्री होने से कोरोना संक्रमण से मिलेगी राहत
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Update: 2021-06-15 02:45 GMT

Gochar 2021 : देवगुरु 20 जून को रात 8.34 बजे कुंभ राशि में वक्री होंगे तथा देवगुरु 14 सितंबर को फिर से मकर राशि में वक्री गति से चले जाएंगे। बाद में 18 अक्टूबर को देवगुरु मार्गी होंगे तथा 20 नवंबर को फिर से कुंभ राशि में चले आएंगे। जहां पर वह अगले वर्ष 14 अप्रैल 2022 तक रहेंगे। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि देवगुरु का कुंभ राशि में 20 जून से 14 सितंबर तक वक्री होना देश दुनिया में बड़ी राजनीतिक उथलपुथल लेकर आएगा। पिछले कुछ समय से कोरोना महामारी के चलते संघर्ष कर रहे लोग गुरु के इस गोचर से अब कुछ चैन की सांस ले सकेंगे। कुंभ में गुरु के गोचर से धार्मिक उत्सवों का आयोजन बढ़ेगा तथा दवा निर्माण के कार्य में भी तेज़ी आएगी क्योंकि कुंभ राशि को विशेष रूप से धर्म प्रधान और अमृत कलश यानि जीवन रक्षक दवाओं से संबंधित माना जाता है। ऐसे में कोरोना के टीकाकरण में तेज़ी आएगी तथा आने वाले समय में भारत गरीब देशों को कोरोना वैक्सीन देने में विश्व में अग्रणी भूमिका निभाएगा।

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ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि कुंभ राशि पानी से उत्पन्न पदार्थों फल फूल रत्नों आदि से सम्बंधित मानी जाती है। कुंभ राशि में गुरु का गोचर मछली पालकों मखाना उत्पादकों फलों और फूलों की खेती एवं व्यवसाय रत्नों का काम करने वालों को राहत देगा। ज्योतिष शास्त्र में किसी सौम्य ग्रह के वक्रत्वकाल का शुभ प्रभाव बताया गया है। देवगुरु के वक्री होते ही इस दौरान आमजन सुख का अनुभव करेंगे। व्यापार व्यवसाय में प्रगति तथा आर्थिक उन्नति होगी। विभिन्न राशि के जातकों को लाभ प्राप्त होगा। आने वाले चार माह सुख, शांति व समृद्धि से संपन्न रहेंगे। हालांकि आरोग्यता के लिए सावधानी रखना अनिवार्य है। अगर इन चार माह में सावधानी रखी तो आने वाले समय में संभावित परेशानियों को टाला जा सकता है। गुरु हर 13 महीने में लगभग 4 महीने के लिए वक्री हो जाते हैं। देवगुरु बृहस्पति 20 जून से 14 सितंबर तक कुंभ राशि में उल्टी चाल चलेंगे। इसके बाद गुरु मार्गी होकर मकर राशि में प्रवेश कर जाएंगे।

कोरोना टीकाकरण में आएगी तेज़ी

ज्योतिष की मानें तो पिछले कुछ समय से कोरोना महामारी के चलते संघर्ष कर रहे लोग गुरु के इस गोचर से अब कुछ चैन की सांस ले सकेंगे। कुंभ में गुरु के गोचर से धार्मिक उत्सवों का आयोजन बढ़ेगा तथा दवा निर्माण के कार्य में भी तेज़ी आएगी क्योंकि कुंभ राशि को विशेष रूप से धर्म प्रधान और अमृत कलश यानि जीवन रक्षक दवाओं से संबंधित माना जाता है। ऐसे में कोरोना के टीकाकरण में तेज़ी आएगी तथा आने वाले समय में भारत गरीब देशों को कोरोना वैक्सीन देने में विश्व में अग्रणी भूमिका निभाएगा।

होगी आसामान्य वर्षा

भविष्यवक्ता अनीष व्यास ने बताया कि कुंभ राशि में गुरु का गोचर कृषि कार्य करने वालों के लिए कोई विशेष शुभ नहीं माना जाता। असामान्य वर्षा से फसलों को नुकसान होने की संभावना है इस वर्ष गोचर में मंगल के सूर्य के आगे चलने तथा मानसून के समय गुरु के 20 जून से 14 सितंबर तक वक्री रहने के समय आसामान्य वर्षा से उत्तर मध्य और पश्चिम भारत में किसानों को कठिनाई होगी लेकिन पूर्व में तथा दक्षिण में वर्षा अधिक होने की संभावना रहेगी। जब गुरु कुंभ राशि में आते हैं तो तीन महीने तक कांसा पीतल लोहा सीसा सोना आदि सस्ता रहता है।

शासन में बढ़ेगी मुस्तैदी

कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि बृहस्पति कुंभ राशि पर वक्री होने जा रहे हैं। कुंभ राशि के अधिपति शनिदेव हैं। इससे शनि व गुरु का राशि संबंध बनेगा। शनि शासनतंत्र व न्याय के देवता हैं। इस दृष्टि से आने वाले समय में न्यायतंत्र व शासकीय गतिविधियों में सुदृढ़ता आएगी। इसका प्रभाव व्यवस्था में दिखाई देगा।

महंगाई बढ़ने से जनता का होगा हाल बेहाल

ज्योतिषाचार्यों का मानना है कि कुंभ राशि में गुरु का गोचर असामान्य वर्षा के कारण फसलों को नुकसान पंहुचा सकता है जिससे कुछ खाद्यानों और विशेषरूप से सब्ज़ियों की कीमतें बढ़ सकती हैं। इस वर्ष हिंदू नववर्ष कुंडली में मंगल के राजा और मंत्री बन जाने से भी महंगाई बढ़ने के संकेत हैं। जरूरी चीजों की बढ़ती कीमत से जनता का हाल बेहाल होगा। 

(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)

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