Govardhan Puja 2022: दीपावली के कितने दिन बाद होती है गोवर्धन पूजा, जानें श्रीकृष्ण ने क्यों खाया था देवराज इंद्र का भोज

Govardhan Puja 2022: दिवाली के अगले दिन यानि कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन पूजा का विधान है। ये पर्व भी लीलाधर भगवान श्रीकृष्ण की एक लीला का ही एक भाग है;

Update: 2022-09-22 05:46 GMT

Govardhan Puja 2022: दिवाली के अगले दिन यानि कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन पूजा का विधान है। ये पर्व भी लीलाधर भगवान श्रीकृष्ण की एक लीला का ही एक भाग है। पौराणिक शास्त्रों की मानें तो कहा जाता है कि, जो भी भक्त पर्वतराज गिरिराज जी के दर्शन करता है और गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करता है, उसे अनेक तीर्थों और तप करने से भी कई हजार गुना अधिक पुण्य फल प्राप्त होता है।

द्वापर युग में ब्रज के रहने वाले लोग देवराज इंद्र के डर से उनका 56 भोगों से पूजन किया करते थे। ऐसे समय में श्रीकृष्ण भगवान ने गोवर्धन पर्वत, गोप और ग्वालों की पूजा करने के लिए लोगों को प्रेरित किया और उन्होंने इंद्र के भोग को स्वयं ही गोवर्धन के रूप में प्रकट होकर ग्रहण कर लिया।

वहीं देवराज इंद्र ने इसे अपना अपमान समझा और क्रोधित होकर देवराज ने ब्रज में भयंकर जलवृष्टि की, जिससे संपूर्ण ब्रजमंडल जलमग्न होने लगा। वहां रहने वाले सभी ब्रजवासी घबरा गए और अपना जीवन बचाने को व्याकुल हो गए।

सभी लोग भगवान श्रीकृष्ण के पास आए और बोले कि, अब तुम ही बताओं कि, हम लोग क्या करें और कैसे बचें। क्योंकि तुम्हारे ही कहने पर ही हम लोगों ने इंद्र की पूजा नहीं की।

इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी अंगुली पर गोवर्धन पर्वत को धारण कर लिया और सभी ब्रजवासियों को उसके नीचे आने को कहा। तथा ऐसा करके श्रीकृष्ण ने इंद्र के प्रकोप से संपूर्ण ब्रजमंडल के लोगों को बचा लिया और बारिश से होने वाली हानि को रोक लिया।

इंद्र ने इसके बाद भी वर्षा जारी रखी, किन्तु जब देखा कि, किसी भी प्राणी को कोई नुकसान नहीं हुआ है तो उनका अभिमान टूट गया और देवराज इंद्र ने स्वयं वहां आकर श्रीकृष्ण की शरण ली और अपनी गलती के लिए उनसे क्षमा मांगी।

साथ ही संपूर्ण ब्रजमण्डल में भगवान श्रीकृष्ण का गुणगान किया और पूरे ब्रज में उत्सव मनाया गया। इसीलिए तभी से कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा के दिन गोवर्धनधारी भगवान श्रीकृष्ण जी और गाय के गोबर से श्रीकृष्ण और गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाकर उनका पूजन किया जाने लगा।

वहीं साथ ही इस दिन गऊ माता की भी पूजा की जाती है। वहीं स्वयं भी भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत की पूजा लोगों से कराई।

(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।)

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