Guru Purnima 2022: साल 2022 में गुरु पूर्णिमा कब है, जानें तारीख, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व
Guru Purnima 2022: गुरुपूर्णिमा का पर्व गुरुओं को समर्पित है। हर साल आषाढ मास की पूर्णिमा तिथि को गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। इस पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहते हैं। इस दिन भगवान सत्यनारायण और गुरू की पूजा विशेष रुप से की जाती है। संसार में गुरु ही हैं जो इस संसार रुपी भवसागर से पार करने करने में हमारी सहायता करते हैं।;
Guru Purnima 2022: गुरु पूर्णिमा का पर्व गुरुओं को समर्पित है। हर साल आषाढ मास की पूर्णिमा तिथि को गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। इस पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहते हैं। इस दिन भगवान सत्यनारायण और गुरू की पूजा विशेष रुप से की जाती है। संसार में गुरु ही हैं जो इस संसार रुपी भवसागर से पार करने करने में हमारी सहायता करते हैं और हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाते हैं। गुरु पूर्णिमा के दिन महर्षि वेद व्यास जी का जन्म हुआ माना जाता है। शास्त्रों में गुरु से मंत्र प्राप्त करने के लिए भी ये दिन उत्तम माना जाता है। तो आइए जानते हैं साल 2022 में गुरु पूर्णिमा कब है, पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इसका महत्व क्या है।
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गुरु पूर्णिमा तिथि शुभ मुहूर्त 2022
गुरु पूर्णिमा तिथि और वार | साल 2022 में गुरु पूर्णिमा 13 जुलाई, दिन बुधवार को है। |
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ | 13 जुलाई प्रात:काल 04:00 बजे |
पूर्णिमा तिथि समापन | 14 जुलाई प्रात:काल 12:06 बजे |
गुरु पूर्णिमा पूजा विधि
गुरु पूर्णिमा के दिन भगवान सत्यनारायण और गुरु का पूजन किया जाता है। इस दिन सबसे पहले दैनिक कार्यो से निवृत्त होकर स्नान के बाद शुद्ध वस्त्र धारण करें और उत्तर दिशा में व्यास जी की प्रतिमा स्थापित कर उस पर सुगंधित फूल माला अर्पित कर पूजा आरती करें। भगवान को मिठाई का भोग लगाएं। इसके बाद अपने गुरु को आसन पर विराजित कर पूजा कर पुष्पमाला पहनाएं। इसके बाद अपनी श्रद्धा के अनुसार, वस्त्र, फल-फूल, माला व उपहार स्वरुप कुछ ना कुछ भेंट कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें। गुरु पूर्णिमा के दिन सफेद और पीले वस्त्र पहनकर पुष्प, अक्षत और चंदन से गुरु की पूजा करें। प्रत्येक पूर्णिमा के दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा का विधान है। इसीलिए सत्यनारायण जी की पूजा कर व्रत कथा का पाठ करना चाहिए।
गुरु पूर्णिमा महत्व
गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहते हैं। इस दिन महर्षि व्यास जी का जन्म हुआ था। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, संस्कृत के महान विद्यान होने के साथ ही उन्होंने महाभारत महाकाव्य की रचना की थी। वेद व्यास जी को आदि गुरु भी कहा जाता है। इस दिन अपने गुरुजनों की यथासंभव सेवा कर उनका आशीर्वाद पाना चाहिए। मान्यता है कि, गुरु के बिना एक शिष्य के जीवन का कोई अर्थ नहीं होता है। इसीलिए अपने गुरु का आदर सत्कार करें। इस दिन व्यास जी की पूजा करने से व्यक्ति को ज्ञान की प्राप्ति होती है।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi।com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)