Hariyali Teej 2020 Kab Ki Hai : हरियाली तीज 2020 में कब है जानिए शुभ मुहूर्त, महत्व पूजा विधि, कथा पौराणिक मान्यता और कैसे मनाते हैं हरियाली तीज

Hariyali Teej 2020 Mein Kab Hai : हरियाली तीज के दिन ही भगवान शिव ने माता पार्वती को पत्नि के रूप में स्वीकार किया था, पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप के पाने के लिए 108 जन्म लिए थे तो आइए जानते हैं हरियाली तीज 2020 में कब है (Hariyali Teej 2020 Mein Kab Hai), हरियाली तीज शुभ मुहूर्त (Hariyali Tee Shubh Muhurat),हरियाली तीज का महत्व (Hariyali Teej ka Mahatva), हरियाली तीज की पूजा विधि (Hariyali Teej ki Puja Vidhi),हरियाली तीज की कथा (Hariyali Teej Story), हरियाली तीज की पौराणिक मान्यता और कैसे मनाते हैं हरियाली तीज;

Update: 2020-07-16 08:56 GMT

Hariyali Teej 2020 Kab Ki Hai : हरियाली तीज का पर्व श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। यह दिन सुहागन महिलाओं के लिए अत्यंत ही विशेष होता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। हरियाली तीज (Hariyali Teej) के दिन सुहागन महिलाएं निर्जल व्रत (Nirjal Vrat) रखकर माता पार्वती से अपने पति की लंबी उम्र और वैवाहिक सुख के लिए प्रार्थना करती हैं। इतना ही नहीं इस व्रत को कुंवारी कन्याएं भी एक अच्छा जीवनसाथी पाने के लिए करती हैं तो आइए जानते हैं हरियाली तीज 2020 में कब है, हरियाली तीज शुभ मुहूर्त, महत्व पूजा विधि, कथा पौराणिक मान्यता और कैसे मनाते हैं हरियाली तीज


हरियाली तीज 2020 तिथि (Hariyali Teej 2020 Tithi)

23 जुलाई 2020

हरियाली तीज 2020 शुभ मुहूर्त (Hariyali Teej 2020 Subh Muhurat)

तृतीया तिथि प्रारंभ- शाम 7 बजकर 21 मिनट से (22 जुलाई 2020)

तृतीया तिथि समाप्त- अगले दिन शाम 5 बजकर 2 मिनट तक (23 जुलाई 2020)

हरियाली तीज का महत्व (Hariyali Teej Mahatva/Importance)

हिंदू शास्त्रों के अनुसार हरियाली तीज का त्योहार सुहागन स्त्रियों के लिए अति महत्वपूर्ण है। इस दिन सुहागन स्त्रियां अपनी पति की लंबी उम्र के व्रत रखती हैं। हरियाली तीज श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है। इसलिए इसे श्रावण तीज और छोटी तीज भी कहा जाता है। जिस समय हरियाली तीज आती है उस समय प्रकृति हरी हो जाती है यानी हर तरह हरियाली हो जाती है। श्रावण मास से ही भारत में मानसून का आगमन होता है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार हरियाली तीज जुलाई या अगस्त के महीने में पड़ती है। यही कारण है कि अक्सर हरियाली तीज को ग्रीन तीज भी कहा जाता है।

यह विवाहित महिलाओं द्वारा मनाया जाता है। भारत के उत्तरी राज्यों में, मुख्य रूप से बिहार, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और हरियाणा में इस त्योहार को विशेष रूप से मनाया जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं अखंड सुहाग और उनके उत्तम स्वास्थय के लिए उपवास करती हैं और मां पार्वती से प्रार्थना करती हैं। इस व्रत में पानी की एक बूंद भी ग्रहण नहीं की जाती। इसलिए इस व्रत को निर्जला भी कहा जाता है। हरियाली तीज का व्रत कन्याएं अच्छे पति के कामना और वैवाहिक सुख के लिए करती हैं। मान्यताओं के अनुसार इसी दिन मां पार्वती को भगवान शिव पति के रूप में प्राप्त हुए थे।


हरियाली तीज पूजा विधि (Hariyali Teej Puja Vidhi)

1. हरियाली तीज का व्रत निर्जल रहकर किया जाता है। इसलिए महिलाओं एक दिन पहले से ही हरियाली तीज के नियमों का पालन करना चाहिए।

2.हरियाली तीज के दिन महिलाओं को घर को अच्छी तरह से साफ करके सजाना चाहिए और आम के पत्तों का तोरण घर के बाहर लगाएं।

3. इसके बाद मिट्टी में गंगाजल डालकर भगवान गणेश, भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा बनाकर एक चौकी पर गंगाजल डालकर स्थापित करें।

4. इसके बाद पहले गणेश जी का पूजन करें। उसके बाद भगवान शिव और मां पार्वती को पुष्प, नैवेध और श्रृंगार की सभी वस्तुएं अर्पित करें और विधिवत पूजन करें।

5. अतं में हरियाली तीज की कथा सुने और सभी भगवान गणेश, शिवजी और माता पार्वती की कथा सुनें और रात भर कीर्तन करें।


हरियाली तीज की कथा (Hariyali Teej Katha/Story)

एक कथा के अनुसार एक बार माता पार्वती भगवान शिव से अपने पिछले जन्म के बारे में पूछती हैं। तब भगवान शिव माता पार्वती को बताते हैं कि मुझे अपने पति के रूप में प्राप्त करने के लिए तुमने हिमालय पर कठिन तपस्या की थी।उस समय तुमने अन्न और जल का भी त्याग कर दिया था। उस समय तुमने सिर्फ सूखे पत्ते ही खाए थे। तुम्हारी यह दशा देखकर तुम्हारे पिता अत्यंत दुखी थे। जिसकी वजह से उन्हें मुझ पर अत्याधिक क्रोध भी था। उस समय एक दिन नारद जी तुम्हारे पिता के पास आए । तुम्हारे पिता ने विनम्रता पूर्वक नारद जी के आने के कराण पूछा

तब नारद जी ने कहा कि मैं यहां भगवान विष्णु के कहने पर आया हूं। नारद जी कहते हैं कि भगवान शिव आपकी पुत्री की तपस्या से अत्यंत प्रसन्न हैं और उससे विवाह करना चाहते हैं। इसी कारण से मैं आपके पास आया हूं। यह सुनकर तुम्हारे पिता अत्यंत प्रसन्न हुए। इसके बाद तुम्हारे पिता ने कहा कि अगर भगवान शिव स्वंय मेरी पुत्री से विवाह करना चाहते हैं तो मुझे इसमें क्या अपत्ति हो सकती है। मैं इस विवाह के लिए अपनी अनुमति देता हुं। इसके बाद नारद जी भगवान विष्णु के पास गए और उन्हें यह शुभ समाचार सुनाया।

हरियाली तीज से जुड़ी पौराणिक मान्यता (Hariyali Teej Poranik Manyata)

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव और देवी पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में हरियाली तीज का त्योहार मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन, भगवान शिव ने देवी पार्वती के प्रेम को स्वीकार किया और उनसे विवाह किया। देवी पार्वती ने 108 पुनर्जन्म लिया और भगवान शिव के प्रति अपने प्रेम और भक्ति को साबित करने के लिए वर्षों तक उपवास और तप किया। यही कारण है कि इसे तीज माता के नाम से जाना जाता है।यह माना जाता है कि देवी पार्वती इस दिन उपवास और प्रार्थना करने वाली महिलाओं को वैवाहिक सुख का वरदान देती हैं। श्रावण मास में पड़ने वाले इस त्योहार का एक और महत्व भी है। यह त्योहार वैवाहिक जीवन में जोड़ों के लिए समृद्धि, खुशी और वृद्धि का प्रतीक भी है।


कैसे मनाते हैं हरियाली तीज (Kaise Manate Hai Hariyali Teej)

हरियाली तीज के दिन महिलाएं हरे रंग के कपड़े पहनती हैं, हरे रंग की चूड़िया पहनती है, मेंहदी लगाती है और पूरा श्रृंगार करती हैं। इस दिन मायके वाले अपनी बेटी के ससुराल में उपहार भेजते हैं। कुछ जगहों पर तो इस त्योहार में नवविहाहित महिलाएं अपने घर जाती है और उनके घर से ही उनके ससुराल में उपहार भेजे जाते हैं जिन्हें सिंधारा कहा जाता है। हरियाली तीज के दिन झूला भी झूला जाता है। गुजरात में महिलाएं पारंपरिक पोशाक पहनती हैं और तीज माता को समर्पित गीत गाते हुए अपने सिर पर कलश ले जाती हैं।

उत्तर प्रदेश के वृंदावन शहर में भक्त बड़े ही हर्षोल्लास के साथ त्योहार मनाते हैं। हरियाली तीज का उल्लेख झूला लीला के रूप में भी किया जाता है, क्योंकि जिन देवताओं की पूजा की जाती है, उन्हें झूला झूलाया जाता है। इस शुभ दिन पर, भगवान कृष्ण और देवी राधा की मूर्तियों को सोने झूले पर झूला झूलाया जाता है और मंदिर से जुलूस में निकालकर प्रत्येक जगह पर घूमाया जाता है। इस प्रकार से हरियाली तीज पूरे भारत में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है। भारत के प्रत्येक राज्य में इसे अलग - अलग तरीके से मनाने का रिवाज है।  

Tags:    

Similar News