Hariyali Teej 2022: हरियाली तीज पर अखंड सौभाग्य पाने के लिए जरूर पढ़ें ये कथा, वरना....

Hariyali Teej 2022: हिन्दू पंचांग के अनुसार, हर साल सावन महीने में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरियाली तीज मनायी जाती है। इस साल हरियाली तीज 31 जुलाई, दिन रविवार को मनायी जाएगी। जहां हरियाली तीज में सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं, वहीं हरियाली तीज का व्रत कुंवारी कन्याएं उत्तर वर की प्राप्ति के लिए रखती हैं।;

Update: 2022-07-28 05:32 GMT

Hariyali Teej 2022: हिन्दू पंचांग के अनुसार, हर साल सावन महीने में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरियाली तीज मनायी जाती है। इस साल हरियाली तीज 31 जुलाई, दिन रविवार को मनायी जाएगी। जहां हरियाली तीज में सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं, वहीं हरियाली तीज का व्रत कुंवारी कन्याएं उत्तर वर की प्राप्ति के लिए रखती हैं। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं। इस दिन पूजा करने के अलावा हरियाली तीज की कथा भी जरुर पढ़नी और सुननी चाहिए। तभी इस व्रत का शुभ फल प्राप्त होता है। तो आइए जानते हैं हरियाली तीज की कथा के बारे में...

हरियाली तीज व्रत कथा

भगवान शिव ने माता पार्वती को उनके पूर्व जन्म का स्मरण कराते हुए कहा कि, हे! पार्वती तुमने मुझे पति के रुप में पाने के लिए हिमालय पर अन्न-जल का त्याग कर सर्दी-गर्मी और बरसात जैसी सभी ऋतुओं का कष्ट सहनकर बहुत कठिन तप किया था। तुम्हें इस तरह से व्रत करते देखकर तुम्हारे पिताजी हिमवान बहुत दुखी हुए थे। एक दिन नारद मुनि तुम्हारे घर पधारे और उन्होंने तुम्हारे पिता से कहा कि, मैं भगवान श्रीहरि के कहने पर आया हूं और भगवान विष्णु आपकी कन्या की तपस्या से प्रसन्न हुए और आपकी कन्या से विवाह करना चाहते हैं। नारद मुनि की बात सुनकर पिता पर्वतराज बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने नारद जी से कहा कि, वे इस प्रस्ताव को स्वीकार करते हैं और अपनी पुत्री पार्वती का विवाह भगवान विष्णु से कराने के लिए तैयार हो गए। इतना सुनते ही नारद मुनि भगवान विष्णु के पास पहुंचे और उन्हें सूचित किया।

भगवान शिव पार्वती से कहते हैं कि, तुम्हारे पिता ने जब ये खबर तुम्हें सुनाई तो तुम्हें अत्यंत दुख हुआ। क्योंकि तुम मन से मुझे पति के रुप में स्वीकार कर चुकीं थीं। तब तुमने अपने मन की पीड़ा अपनी एक सखी को बताई। इस पर तुम्हारी सखी ने तुम्हें घने जंगल में रहने का सुझाव दिया। तुम जंगल चली गईं और जंगल में तुमने मुझे प्राप्त करने के लिए खूब तपस्या की। जब तुम्हारे वहां से जाने के बाद तुम्हारे मन की बात तुम्हारे पिता पर्वतराज को पता चली तो वे अत्यंत दुखी हुए और चिंतित हो गए। वे सोचने लगे कि अगर भगवान विष्णु जी बारात लेकर आ गए तो क्या होगा।

शिवजी ने माता पार्वती को कहा कि, तुम्हारे पिता पर्वतराज ने तुम्हें खोजने में धरती-पाताल एक कर दिए, लेकिन तुम उन्हें कहीं नहीं मिली। परन्तु तुम एक गुफा में रेत की शिवलिंग बनाकर मेरी पूजा करने लगी। तुम्हारी तपस्या से मैं बहुत प्रसन्न हुआ और तुम्हारी मनोकामना पूरी करने का तुम्हें वचन दिया। इसी बीच तुम्हारे पिता भी तुम्हें ढ़ूंढते हुए गुफा तक पहुंच गए। तुमने अपने पिता को सारी बातें बताईं। तुमने अपने पिता से कहा कि, हे! पिताजी मैंने अपना जीवनसाथी शिव के रुप में प्राप्त करने का वर पाया है और आज मेरी तपस्या सफल हो गई है और मैं आपके साथ तभी चलूंगी जब आप मेरा विवाह शिवजी से कराएंगे। शिवजी ने कहा कि, हे पार्वती तुम्हारी बात सुनकर तुम्हारे पिता मान गए और पर्वतराज ने विधि विधान से हमारा विवाह करवाया।

शिवजी ने कहा कि, हे! पार्वती तुमने जो कठोर तप किया है, उसी के फलस्वरुप हमारा विवाह हुआ है। वहीं जो स्त्री इस व्रत को निष्ठापूर्वक करती है, उसे मैं मनवांछित फल देता हूं। इस व्रत को करने वाली हर स्त्री को अटल सुहाग की प्राप्ति होती है।

(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।)

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