Holashtak 2022: जानें, होलाष्टक के दौरान किस तिथि को कौन से ग्रह का रहता है दुष्प्रभाव
Holashtak 2022: प्रतिवर्ष फाल्गुन पूर्णिमा से आठ दिन पहले होलाष्टक शुरु हो जाते हैं। होलाष्टक के दौरान शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं, क्योंकि इस दौरान कई ग्रह अपने उग्र रुप में रहते हैं। वहीं साल 2022 में 10 मार्च से होलाष्टक प्रारंभ होंगे जोकि होली के दिन होलिका दहन तक अपने उग्र रुप में रहेंगे।;
Holashtak 2022: प्रतिवर्ष फाल्गुन पूर्णिमा से आठ दिन पहले होलाष्टक शुरु हो जाते हैं। होलाष्टक के दौरान शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं, क्योंकि इस दौरान कई ग्रह अपने उग्र रुप में रहते हैं। वहीं साल 2022 में 10 मार्च से होलाष्टक प्रारंभ होंगे जोकि होली के दिन होलिका दहन तक अपने उग्र रुप में रहेंगे। होलिका दहन के बाद ये ग्रह अपने शांत रुप में आ जाते हैं। तो आइए जानते हैं होलाष्टक के दौरान किस तिथि को कौनसा ग्रह अपने उग्र रुप में रहता है।
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होलाष्टक और उग्र होने वाले ग्रह
चंद्रमा
फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन होलाष्टक का प्रथम दिन होता है और इस दिन चंद्रदेव अपने उग्र रुप में होते हैं और वातावरण में अपना अशुभ प्रभाव छोड़ते हैं।
सूर्य
फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि के दिन होलाष्टक का दूसरा दिन होता है और इस दिन भगवान सूर्यदेव अपने उग्र रुप में होते हैं और वातावरण में अपना अशुभ प्रभाव छोड़ते हैं।
शनिदेव
फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के दिन होलाष्टक का तीसरा दिन होता है और इस दिन न्याय और दंण्ड देने वाले कर्मफल के दाता शनिदेव भगवान अपने उग्र रुप में होते हैं और वातावरण में अपना अशुभ प्रभाव छोड़ते हैं।
शुक्र
फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन होलाष्टक का चौथा दिन होता है और इस दिन वैवाहिक जीवन में आनंद और सुख, ऐश्वर्य देने वाले शुक्र ग्रह अपने उग्र रुप में होते हैं और वातावरण में अपना अशुभ प्रभाव छोड़ते हैं। वहीं इस दिन रंगभरी एकादशी और आंवला एकादशी का व्रत भी किया जाता है।
बृहस्पति
फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि के दिन होलाष्टक का पांचवां दिन होता है और इस दिन देवगुरु बृहस्पति अपने उग्र रुप में होते हैं और वातावरण में अपना अशुभ प्रभाव छोड़ते हैं।
बुध
फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन होलाष्टक का छठा दिन होता है और इस दिन बुध ग्रह अपने उग्र रुप में होते हैं और वातावरण में अपना अशुभ प्रभाव छोड़ते हैं।
मंगल
फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन होलाष्टक का सातवां दिन होता है और इस दिन देव सेनापति मंगल अपने क्रोध के कारण उग्र रुप में होते हैं और वातावरण में अपना अशुभ प्रभाव छोड़ते हैं।
राहु
फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन होलाष्टक का अंतिम दिन होता है और इस दिन राहु ग्रह अपने उग्र रुप में होते हैं और वातावरण में अपना अशुभ प्रभाव छोड़ते हैं।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)