Holi 2022: भद्रा मुख काल में ना करें होलिका दहन, वरना...
Holi 2022: भद्रा रहित, प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा तिथि, होलिका दहन के लिये उत्तम मानी जाती है। यदि भद्रा रहित, प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा का अभाव हो परन्तु भद्रा मध्य रात्रि से पहले ही समाप्त हो जाए तो प्रदोष के पश्चात जब भद्रा समाप्त हो तब होलिका दहन करना चाहिये। यदि भद्रा मध्य रात्रि तक व्याप्त हो तो ऐसी परिस्थिति में भद्रा पूंछ के दौरान होलिका दहन किया जा सकता है।;
Holi 2022: भद्रा रहित, प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा तिथि, होलिका दहन के लिये उत्तम मानी जाती है। यदि भद्रा रहित, प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा का अभाव हो परन्तु भद्रा मध्य रात्रि से पहले ही समाप्त हो जाए तो प्रदोष के पश्चात जब भद्रा समाप्त हो तब होलिका दहन करना चाहिये। यदि भद्रा मध्य रात्रि तक व्याप्त हो तो ऐसी परिस्थिति में भद्रा पूंछ के दौरान होलिका दहन किया जा सकता है। परन्तु भद्रा मुख में होलिका दहन कदाचित नहीं करना चाहिये।
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धर्मशास्त्रों के अनुसार भद्रा मुख में किया होली दहन अनिष्ट का स्वागत करने के जैसा है जिसका परिणाम न केवल दहन करने वाले को बल्कि शहर और देशवासियों को भी भुगतना पड़ सकता है। किसी-किसी साल भद्रा पूंछ प्रदोष के बाद और मध्य रात्रि के बीच व्याप्त ही नहीं होती तो ऐसी स्थिति में प्रदोष के समय होलिका दहन किया जा सकता है। कभी दुर्लभ स्थिति में यदि प्रदोष और भद्रा पूंछ दोनों में ही होलिका दहन सम्भव न हो तो प्रदोष के पश्चात होलिका दहन करना चाहिये।
होलिका दहन भद्रा रहित प्रदोष काल व्यापिनी - फाल्गुन पूर्णिमा के दिन होलिका दहन किया जाता है। इस वर्ष 18 मार्च 2022 ई. को यह दोपहर 12 घं. 47 मि. पर ही समाप्त हो रही है। जबकि 17 मार्च को यह प्रदोषव्यापिनी है। परन्तु इस दिन प्रदोष काल भद्रा से व्याप्त है। और भद्रा में होलिका दहन का सर्वदा निषेध है। इस स्थिति में भद्रा पूंछ में होलिका दहन का निर्देश शास्त्रों में बताया गया है। वहीं होलिका दहन आज 17 मार्च 2022 की रात्रि 09:01 मिनट से लेकर 10:12 बजे तक बहुत ही उत्तम रहेगा।
होली शुभ मुहूर्त 2022
पूर्णिमा तिथि आरंभ | 17 मार्च दिन 01:29 बजे से। |
पूर्णिमा तिथि समाप्त | 18 मार्च रात 12:47 बजे |
भद्रा पूंछ रात्रि | 09:01 बजे से 10:12 बजे तक |
भद्रा मुख रात्रि | 10:12 मिनट से मध्यरात्रि 12:11 बजे तक। |
होलिका दहन मुहूर्त गुरुवार | 17 मार्च रात्रि 09:01 बजे से रात्रि 10:12 बजे तक। |
रंगवाली होली (धुलण्डी) | 18 मार्च शुक्रवार |
भद्रा रहित, प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा तिथि, होलिका दहन के लिये उत्तम मानी जाती है। यदि भद्रा रहित, प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा का अभाव हो परन्तु भद्रा मध्य रात्रि से पहले ही समाप्त हो जाए तो प्रदोष के पश्चात जब भद्रा समाप्त हो तब होलिका दहन करना चाहिये। यदि भद्रा मध्य रात्रि तक व्याप्त हो तो ऐसी परिस्थिति में भद्रा पूंछ के दौरान होलिका दहन किया जा सकता है। परन्तु भद्रा मुख में होलिका दहन कदाचित नहीं करना चाहिये।
Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।