Holi Bhai Dooj History: जानें दुल्हेंडी के अगले दिन क्यों मनाया जाता है भाई दूज, ये है कहानी

होली भाई दूज का पर्व हर साल होलिका दहन के दूसरे दिन यानी चैत्र कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है।;

Update: 2023-03-09 04:03 GMT

Holi Bhai Dooj History: भारत में भाई दूज का त्योहार बहुत ही महत्वपूर्ण है। ये देश के कई राज्यों में मनाया जाता है। भारत ही नहीं नेपाल में भी इस त्योहार को मनाया जाता है। लेकिन यहां हम बात कर रहे हैं होली भाई दूज पर्व की। क्योंकि दिवाली के दूसरे दिन भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है, जो सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है लेकिन होली भाई दूज के बारे में कम ही लोग जानते हैं। यह पर्व भाई-बहन के पवित्र रिश्ते की अहमियत को बताया है। ये दिन रक्षा बंधन के समान माना गया है। होली भाई दूज का पर्व हर साल होलिका दहन के दूसरे दिन यानी चैत्र कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। त्योहार पर बहनें अपने भाई को तिलक लगाती हैं और उनकी लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और उज्ज्वल भविष्य की कामना करती हैं। आइए जानते हैं इस साल होली के बाद भाई दूज की तिथि, तिलक लगाने का शुभ मुहूर्त और महत्व...

भाई दूज की तिथि, तिलक लगाने का शुभ मुहूर्त

होली भाई दूज का शुभ मुहूर्त चैत्र मास की द्वितीया तिथि 8 मार्च 2023 को शाम 7:42 बजे से है, जो 9 मार्च 2023 को रात 8:54 बजे तक रहेगा। 9 मार्च को राहुकाल दोपहर 2:29 बजे तक है। ज्योतिषाचार्य पंडित पवन शास्त्री जी के अनुसार, बहनें अपने भाई को द्वितीय तिथि के राहु काल को छोड़कर किसी भी शुभ मुहूर्त में तिलक लगा सकती हैं। इस दिन बहनें भाई के लिए व्रत रखती हैं।

होली भाई दूज पूजा विधि

1. सबसे पहले सूर्योदय से पहले उठकर चंद्रमा के दर्शन करने चाहिए।

2. इसके बाद स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहनने चाहिए। यमुना जल को जल में डालकर स्नान करें।

3. इसके बाद भाई दूज मनाने के लिए एक थाली तैयार करें।

4. इस थाली में अक्षत, सूखा नारियल और मिठाई रखें।

5. इसके बाद भाई को उत्तर-पूर्व दिशा में बिठाएं, फिर घी का दीपक जलाकर उसकी आरती करें और शुभ मुहूर्त में भाई को तिलक लगाएं।

6. बहनें भाई को नारियल का गोला देकर उसका मुंह मीठा कराएं।

होली भाई दूज की क्या है कहानी

पौराणिक कथा के अनुसार एक नगर में एक बुढ़िया रहती थी। उनके एक बेटा और एक बेटी थी। वृद्धा ने अपनी बेटी की शादी कर दी थी। एक बार होली के बाद भाई ने अपनी मां से तिलक करवाने के लिए अपनी बहन के यहां जाने का आग्रह किया, तब बुढ़िया ने अपने बेटे को जाने की इजाजत दे दी। बेटा एक जंगल से गुजर रहा था। तभी एक नदी ने कहा कि मैं तुम्हारी मौत हूं और मैं तुम्हें मार डालूंगी। लेकिन तभी बुढ़िया के बेटे ने कहा कि पहले मैं अपनी बहन का तिलक करवा लूं, फिर मेरे प्राण ले लेना।

होली भैया दूज पौराणिक कथा

इसके बाद वह आगे बढ़ा जहां उसे एक शेर, सांप मिला तो उनसे भी यहीं वादा किया। जिसके बाद वह अपनी बहन के घर पहुंचता है। इसके बाद उसका भाई तिलक करवाकर दुखी मन से चला जाता है। इस पर बहन उसके दुख का कारण पूछती है और भाई उसे सारी बात बता देता है। इस पर बहन कहती है रुको भैया, मैं पानी पीकर आती हूं और वह एक तालाब पर जाती है। जहां उसे एक बुढ़िया मिलती है। वह उस बुढ़िया से अपनी समस्या का समाधान करने के लिए कहती है। इस पर बुढ़िया कहती है कि यह तुम्हारे पिछले जन्मों का कर्म है। जो तुम्हारे भाई को भुगतना पड़ रहा है। बुढ़िया ने कहा कि अगर तू अपने भाई को बचाना चाहती है। तो उसकी शादी होने तक वह हर विपदा को टाल दे तो तेरा भाई बच सकता है।

इसके बाद उसकी बहन भाई के पास पहुंची और कहा कि मैं तुझे घर छोड़ने चलती हूं। रास्ते में शेर के लिए मांस, सांप के लिए दूध और नदी के लिए ओढ़नी लेकर चलती है। पहले बहन शेर के आगे मांस डाल देती है। उसके बाद आगे सांप को दूध दे देती है और अंत में उन्हें नदी मिलती है। जिस पर वह ओढ़नी डाल देती है। इस तरह दोनों भाई बहन घर पहुंच जाते हैं। तभी से होली भाई दूज मनाने की परंपरा शुरू हुई।

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