Janmashtami 2020 Date In India : जानिए क्या है आपके शहर में जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण की पूजा का शुभ मुहूर्त

Janmashtami 2020 Date In India : जन्माष्टमी 11 अगस्त 2020 (Janmashtami 11 August) को मनाई जाएगी। इस दिन नई दिल्ली में भगवान कृष्ण की पूजा (Lord Krishna Puja) का शुभ मुहूर्त रात 12 बजकर 05 मिनट से रात 12 बजकर 48 मिनट तक रहेगा। इसके अलावा क्या है आपके शहर में जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण की पूजा का शुभ मुहूर्त आइए जानते हैं...;

Update: 2020-08-09 06:00 GMT

Janmashtami 2020 Date In India : जन्माष्टमी का त्योहार (Janmashtami Festival) भगवान के कृष्ण के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान कृष्ण की पूजा रात 12 बजे की जाती है। यदि आप भी जन्माष्टमी (Janmashtami) पर भगवान कृष्ण की पूजा करना चाहते हैं तो आपको अपने शहर के अनुसार जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण की पूजा का शुभ मुहूर्त अवश्य जान लेना चाहिए। जिससे आप पूजा में कोई भी गलती न करें।

भारत में जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त (Bharat Mein Janmashtami Ka Shubh Muhurat)

नई दिल्ली - रात 12 बजकर 05 मिनट से रात 12 बजकर 48 मिनट तक (12 अगस्त 2020)

पुणे -रात 12 बजकर 17 मिनट से रात 1 बजकर 2 मिनट तक (12 अगस्त 2020)

चेन्नई -रात 11 बजकर 51 मिनट से रात 12 बजकर 37 मिनट तक (12 अगस्त 2020)

जयपुर - रात 12 बजकर 10 मिनट से रात 12 बजकर 54 मिनट तक (12 अगस्त 2020)

हैदराबाद - रात 11 बजकर 59 मिनट से रात 12 बजकर 49 मिनट तक (12 अगस्त 2020)

गुरुग्राम - रात 12 बजकर 06 मिनट से रात 12 बजकर 49 मिनट तक (12 अगस्त 2020)

चण्डीगढ़ - रात 12 बजकर 07 मिनट से रात 12 बजकर 49 मिनट तक (12 अगस्त 2020)

कोलकाता- रात 11 बजकर 20 मिनट से रात 12 बजकर 04 मिनट तक (12 अगस्त 2020)

मुम्बई- रात 12 बजकर 21 मिनट से रात 1 बजकर 06 मिनट तक (12 अगस्त 2020)

बेंगलूरु -रात 12 बजकर 02 मिनट से रात 12 बजकर 48 मिनट तक (12 अगस्त 2020)

अहमदाबाद - रात 12 बजकर 23 मिनट से रात 1 बजकर 07 मिनट तक (12 अगस्त 2020)

नोएडा - रात 12 बजकर 04 मिनट से रात 12 बजकर 47 मिनट तक (12 अगस्त 2020)

क्यों मनाई जाती है जन्माष्टमी (Kyu Manayi Jati Hai Janmashtami)

जन्माष्टमी का त्योहार भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। माना जाता भाद्रपद के शुक्ल की अष्टमी तिथि को भगवान विष्णु ने देवकी और वासुदेव के यहां पुत्र रूप में जन्म लिया था। जिसके बाद वासुदेव अपने पुत्र को अत्याचारी कंस से बचाने के लिए अपने मित्र नदं के यहां छोड़ आए थे। भगवान विष्ण ने कृष्ण रूप में अवतार कंस का वध करने और धरती पर फिर से धर्म की स्थापना के लिए लिया था। 

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