Jyotish Shastra In Hindi: कैसे जानें आपके जीवन में आएगा राजयोग, कब मिलता है ये शुभ फल

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली से व्यक्ति के भाग्य का पता लगाया जाता है। किसी भी शख्स महिला या पुरुष की कुंडली का नवम भाव भाग्य के बारे में जानकारी देता है।;

Update: 2023-03-19 05:05 GMT

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली से व्यक्ति के भाग्य का पता लगाया जाता है। किसी भी शख्स महिला या पुरुष की कुंडली का नवम भाव भाग्य के बारे में जानकारी देता है। कुंडली का नवम भाव धर्म और कर्म के बारे में भी बताता है। साथ ही अपनी अच्छाई के कारण इंसान जीवन में खूब उन्नति करता है। नवम भाव का स्वामी कुंडली में राजयोग बनाता है। यहां हम आपको बता रहे हैं कि राज योग का मतलब क्या होता है और कुंडली में कैसे राजयोग बनता है।

ज्योतिष में क्या है राज योग का मतलब

कुंडली के योग व्यक्ति के जीवन पथ को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जब कुण्डली में अनुकूल योग बनते हैं तो इन्हें शुभ फल मिलते हैं। इनमें से राज योग सबसे प्रमुख प्रतीत होता है। राज शब्द का अर्थ राजा है, जिसका अर्थ किसी के जीवन में प्रसिद्धि, समृद्धि, धन, प्रतिष्ठा और इच्छाओं की पूर्ति के रूप में भी किया जा सकता है। किसी व्यक्ति की कुंडली में राज योग का होना उसके जीवन में सुख-सुविधाओं की प्राप्ति का संकेत देता है।

वैदिक ज्योतिष के अनुसार कुल 32 प्रकार के राज योग होते हैं, जो इंसान को भविष्य में पद, प्रतिष्ठा और सम्मान दिलाते हैं। ऐसे ग्रहों के योगों का बनना व्यक्ति को सफलता की ओर ले जाते हैं और जीवन की परेशानियों में मदद करते हैं। किसी की कुंडली में सभी 32 राजयोगों का होना असंभव लगता है। लेकिन अगर ऐसा होता है, तो कहा जाता है कि वह व्यक्ति दुनिया पर राज करता है, अपार प्रसिद्धि और धन रखता है और शक्तिशाली होता है।

कुंडली में कब बनता है राजयोग

राजयोग तब बनता है जब जातक की लग्न कुंडली में शुभ ग्रह स्थित होते हैं। आइए जानते हैं कुंडली में कैसे बनता है राजयोग। जिससे व्यक्ति का जीवन सुख-सुविधाओं में व्यतीत होता है। मेष लग्न- मेष लग्न की कुण्डली में यदि मंगल और गुरु नवम और दशम भाव में हों तो यहां राजयोग बनता है। ऐसे ही अन्य राशियों में भी योग बनते हैं।

कुंडली में कैसे जानें राजयोग

ज्योतिषीय गणना के अनुसार, कुंडली में नवम और दशम भाव महत्वपूर्ण माने जाते हैं। कुंडली में 12 घर होते हैं। नौवें स्थान को भाग्य और दसवें स्थान को कर्म कहा जाता है। जिस व्यक्ति की कुंडली में शुभ ग्रहों के साथ इन दोनों स्थितियों की युति होती है, वह राजयोग होता है। ऐसे ही अगर आपके भी नौवें और दसवें भाव में यह स्थिति बनती है तो ऐसे में आपकी जिंदगी में राजयोग बनता है। लेकिन ये राजयोग एक उम्र में आता है। 

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